Saturday 29 October, 2016

RTI कार्यकर्ता हत्या मामलों में देश में दूसरे स्थान पर है UP : उर्वशी शर्मा


























लखनऊ / 28-10-16
भारत में आरटीआई यानि सूचना का अधिकार कानून साल 2005 में लागू किया गया था. केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के प्रत्येक लोक प्राधिकारी के कार्यकरण में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व संवर्धन के उद्देश्य से लाये गए इस कानून के तहत नागरिकों के सूचना के अधिकार की व्यवहारिक शासन पद्धति स्थापित करने के लिए हर सरकारी, अर्द्ध-सरकारी कार्यालयों में जन सूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारी नियुक्त करने के साथ-साथ सूचना आयोगों की स्थापना की गयी.

आरटीआई के इन ग्यारह सालों में देश के महज 0.3 % नागरिकों ने ही सूचना के अधिकार का प्रयोग किया  पर इतने में ही यहां भी बाहुबलवाद व गुंडाराज की आमद हो गयी और आरटीआई आवेदन करने वाले को प्रताड़ित किये जाने की घटनाओं में वृद्धि होने लगी और कई आरटीआई आवेदनकर्ताओं को अपनी जान से भी हाथ भी धोना पड़ा. ग्यारह वर्षों में आरटीआई कानून से भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए लेकिन इसका सबसे भयावह और दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष आरटीआई कार्यकर्ताओं पर जघन्य हमले और हत्याएं है. इसकी ताजा कड़ी मुंबई के भूपेन्द्र वीरा हैं जिनकी हत्या से दुखी और उद्देलित आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आज राजधानी लखनऊ के हजरतगंज  जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में येश्वर्याज सेवा संस्थान (AOP) की सचिव और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में इकठ्ठा होकर मृत आरटीआई कार्यकर्त्ता की आत्मा की शांति के लिए 2 घंटे की श्रद्धांजली सभा का आयोजन किया और श्रद्धांजली सभा के बाद देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजकर देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की मांग उठाई.

श्रद्धांजली सभा के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए उर्वशी ने कहा वैसे तो लोकतंत्र जनता के लिए, जनता के द्वारा और जनता का शासन है और एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में गोपनीय जैसा कुछ भी नहीं होना चाहिए पर दुर्भाग्यपूर्ण है कि सूचना चाहने वाले दिलेर नागरिकों का सम्मान किये जाने के स्थान पर उनकी प्रताड़नाओं और हत्याओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. ऐसा लगता है कि इन प्रताड़नाओं और हत्याओं से लोग सूचना मांगने से डरने लगे हैं क्योंकि राज्यसभा में दी गई एक सूचना के अनुसार 2014-15 में आरटीआई आवेदकों की संख्या घटकर 7,55,247 हो गई जो उसके पिछले साल 8,34,183 थी जिससे स्पष्ट है कि आरटीआई आवेदकों की संख्या घटती जा रही है. आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या यह पुष्ट कर रही है कि भारतीय शासन पद्धति के प्रत्येक स्तर पर भ्रष्ट  तत्त्वों की पैठ इतनी गहरी हो चुकी है कि वे एक इशारे से किसी का भी मुंह बंद करा सकते हैं या किसी को हमेशा के लिए ख़ामोश कर सकते हैं.

उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में बात करते हुए उर्वशी ने बताया कि आरटीआई लागू होने के इन ग्यारह वर्षों में देश भर में 58 से अधिक  आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है जिनमें से 9 मामले यूपी के हैं. आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याओं के मामले में देश में यूपी का स्थान महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर आता है जहाँ अब तक 12 आरटीआई कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं.इस मामले में गुजरात भी 9 हत्याओं के साथ यूपी के साथ दूसरे स्थान पर है. उर्वशी ने बताया कि आरटीआई का प्रयोग करने के कारण अब तक यूपी के हापुड़ जिले के मंगत त्यागी,मेरठ जिले के संजय त्यागी,फर्रुखाबाद के आनंद प्रकाश राजपूत,मेरठ के टिन्कू,बहराइच के विजय प्रताप और गुरु प्रसाद,श्रावस्ती के जाकिर सिद्दीकी,कानपुर के अवध नरेश सिंह और मुरादाबाद के पुष्पेन्द्र की हत्या हो चुकी है.

कार्यक्रम में सूचना का अधिकार बचाओ अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी, एस.आर.पी.डी. मेमोरियल समाज सेवा संस्थान के सचिव राम स्वरुप यादव, सूचना का अधिकार कार्यकर्ता वेलफेयर एसोसिएशन के हरपाल सिंह के साथ साथ वरिष्ठ पत्रकार सैयद नईम अहमद और  आरटीआई कार्यकर्ता,जय विजय,आर.डी.कश्यप,सैयद फैज़ल,ज्ञानेश पाण्डेय,राम स्वरुप यादव,हुसैन खान,स्वतंत्र प्रिय गुप्ता और पवन यादव ने शिरकत की.

बस्ती के हरीराम शर्मा, लखनऊ के पंकज  सिंह,कानपुर के कुमार विनोद,गोरखपुर के अखिलेश कुमार मिश्रा और लुधियाना पंजाब के हरप्रीत मरजाना,रायबरेली के अतुल दीक्षित,गोरखपुर के कृष्ण कुमार पाठक,मुजफ्फरनगर के सुशील शर्मा,लखनऊ के सुनील गुप्ता, आगरा के गुलशेर उस्मानी, कानपुर के रौबी शर्मा के अतिरिक्त खेमराज वर्मा,दीपराज पाल और शैलेन्द्र शुक्ला ने भी इस कार्यक्रम का समर्थन किया.

सूचना का अधिकार बचाओ अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि आरटीआई एक्ट में आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा की कोई स्पष्ट परिभाषित व्यवस्था न होने और सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा के प्रति उदासीन रवैया अपनाने के कारण भ्रष्टाचार से सम्बंधित सूचनाएं मागने वाले आरटीआई कार्यकर्त्ता अत्यधिक असुरक्षित होते जा रहे हैं और इसीलिये आज हम सभी ने उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में इकठ्ठा होकर देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजकर साल 2014 में अधिनियमित होने के बाबजूद कार्यान्वयन के लिए प्रतीक्षारत ‘व्हिसिलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2011’ को तत्काल कार्यान्वित करते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं को व्हिसिलब्लोअर की श्रेणी में रखने और देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की मांग उठाई है.

Friday 28 October, 2016

उर्वशी के नेतृत्व में UP से उठी RTI कार्यकर्ताओं को व्हिसिलब्लोअर मानने और ‘व्हिसिलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट’ कार्यान्वित करने की मांग.

लखनऊ / 28-10-16 Written by Socio Political News Desk
भारत में आरटीआई यानि सूचना का अधिकार कानून साल 2005 में लागू किया गया था. केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के प्रत्येक लोक प्राधिकारी के कार्यकरण में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व संवर्धन के उद्देश्य से लाये गए इस कानून के तहत नागरिकों के सूचना के अधिकार की व्यवहारिक शासन पद्धति स्थापित करने के लिए हर सरकारी, अर्द्ध-सरकारी कार्यालयों में जन सूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारी नियुक्त करने के साथ-साथ सूचना आयोगों की स्थापना की गयी.
 
आरटीआई के इन ग्यारह सालों में देश के महज 0.3 % नागरिकों ने ही सूचना के अधिकार का प्रयोग किया  पर इतने में ही यहां भी बाहुबलवाद व गुंडाराज की आमद हो गयी और आरटीआई आवेदन करने वाले को प्रताड़ित किये जाने की घटनाओं में वृद्धि होने लगी और कई आरटीआई आवेदनकर्ताओं को अपनी जान से भी हाथ भी धोना पड़ा. ग्यारह वर्षों में आरटीआई कानून से भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए लेकिन इसका सबसे भयावह और दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष आरटीआई कार्यकर्ताओं पर जघन्य हमले और हत्याएं है. इसकी ताजा कड़ी मुंबई के भूपेन्द्र वीरा हैं जिनकी हत्या से दुखी और उद्देलित आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आज राजधानी लखनऊ के हजरतगंज  जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में येश्वर्याज सेवा संस्थान (AOP) की सचिव और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में इकठ्ठा होकर मृत आरटीआई कार्यकर्त्ता की आत्मा की शांति के लिए 2 घंटे की श्रद्धांजली सभा का आयोजन किया और श्रद्धांजली सभा के बाद देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजकर देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की मांग उठाई.
 
श्रद्धांजली सभा के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए उर्वशी ने कहा "वैसे तो लोकतंत्र जनता के लिए, जनता के द्वारा और जनता का शासन है और एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में गोपनीय जैसा कुछ भी नहीं होना चाहिए पर दुर्भाग्यपूर्ण है कि सूचना चाहने वाले दिलेर नागरिकों का सम्मान किये जाने के स्थान पर उनकी प्रताड़नाओं और हत्याओं का सिलसिला बढ़ता जा रहा है. ऐसा लगता है कि इन प्रताड़नाओं और हत्याओं से लोग सूचना मांगने से डरने लगे हैं क्योंकि राज्यसभा में दी गई एक सूचना के अनुसार 2014-15 में आरटीआई आवेदकों की संख्या घटकर 7,55,247 हो गई जो उसके पिछले साल 8,34,183 थी जिससे स्पष्ट है कि आरटीआई आवेदकों की संख्या घटती जा रही है. आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या यह पुष्ट कर रही है कि भारतीय शासन पद्धति के प्रत्येक स्तर पर भ्रष्ट  तत्त्वों की पैठ इतनी गहरी हो चुकी है कि वे एक इशारे से किसी का भी मुंह बंद करा सकते हैं या किसी को हमेशा के लिए ख़ामोश कर सकते हैं."
 
उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में बात करते हुए उर्वशी ने बताया कि आरटीआई लागू होने के इन ग्यारह वर्षों में देश भर में 58 से अधिक  आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है जिनमें से 9 मामले यूपी के हैं. आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याओं के मामले में देश में यूपी का स्थान महाराष्ट्र के बाद दुसरे नंबर पर आता है जहाँ अब तक 12 आरटीआई कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं.इस मामले में गुजरात भी 9 हत्याओं के साथ यूपी के साथ दूसरे स्थान पर है. उर्वशी ने बताया कि आरटीआई का प्रयोग करने के कारण अब तक यूपी के हापुड़ जिले के मंगत त्यागी,मेरठ जिले के संजय त्यागी,फर्रुखाबाद के आनंद प्रकाश राजपूत,मेरठ के टिन्कू,बहराइच के विजय प्रताप और गुरु प्रसाद,श्रावस्ती के जाकिर सिद्दीकी,कानपुर के अवध नरेश सिंह और मुरादाबाद के पुष्पेन्द्र की हत्या हो चुकी है.
 
कार्यक्रम में सूचना का अधिकार बचाओ अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी, एस.आर.पी.डी. मेमोरियल समाज सेवा संस्थान के सचिव राम स्वरुप यादव, सूचना का अधिकार कार्यकर्ता वेलफेयर एसोसिएशन के हरपाल सिंह के साथ साथ वरिष्ठ पत्रकार सैयद नईम अहमद और  आरटीआई कार्यकर्ता,जय विजय,आर.डी.कश्यप,सैयद फैज़ल,ज्ञानेश पाण्डेय,राम स्वरुप यादव,हुसैन खान,स्वतंत्र प्रिय गुप्ता और पवन यादव ने शिरकत की.
 
बस्ती के हरीराम शर्मा, लखनऊ के पंकज  सिंह,कानपुर के कुमार विनोद,गोरखपुर के अखिलेश कुमार मिश्रा और लुधियाना पंजाब के हरप्रीत मरजाना,रायबरेली के अतुल दीक्षित,गोरखपुर के कृष्ण कुमार पाठक,मुजफ्फरनगर के सुशील शर्मा,लखनऊ के सुनील गुप्ता, आगरा के गुलशेर उस्मानी, कानपुर के रौबी शर्मा के अतिरिक्त खेमराज वर्मा,दीपराज पाल और शैलेन्द्र शुक्ला ने भी इस कार्यक्रम का समर्थन किया.
 
सूचना का अधिकार बचाओ अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि आरटीआई एक्ट में आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा की कोई स्पष्ट परिभाषित व्यवस्था न होने और सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा के प्रति उदासीन रवैया अपनाने के कारण भ्रष्टाचार से सम्बंधित सूचनाएं मागने वाले आरटीआई कार्यकर्त्ता अत्यधिक असुरक्षित होते जा रहे हैं और इसीलिये आज हम सभी ने उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में इकठ्ठा होकर देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजकर साल 2014 में अधिनियमित होने के बाबजूद कार्यान्वयन के लिए प्रतीक्षारत 'व्हिसिलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2011' को तत्काल कार्यान्वित करते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं को व्हिसिलब्लोअर की श्रेणी में रखने और देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की मांग उठाई है.

Sunday 23 October, 2016

UP: RTI activists’ meet in Lucknow to pay tributes to slain Maharashtrian fellow Bhupendra Veera


 
मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता भूपेंद्र वीरा की श्रद्धांजली सभा आगामी 28 अक्टूबर को UP की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज जीपीओ निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में.
 
 
साथियों और मित्रों,
भू-माफियाओं के खिलाफ काफी लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे  मुंबई के सांताक्रूज निवासी 72 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता भूपेंद्र वीरा की हत्या की गूँज महाराष्ट्र से यूपी तक पंहुंच गयी है और अपने साथी की हत्या से दुखी और उद्देलित यूपी के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने मेरे नेतृत्व में लामबंद होकर आगामी 28 अक्टूबर को सूबे की राजधानी लखनऊ के हृदयस्थल हजरतगंज के जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में इकठ्ठा होकर मृत आरटीआई कार्यकर्त्ता की आत्मा की शांति के लिए 2 घंटे की श्रद्धांजली सभा का आयोजन करने और श्रद्धांजली सभा के बाद देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित ज्ञापन भेजकर देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की मांग उठाने का ऐलान कर दिया है.
 
 
 
मेरा मानना है कि आरटीआई एक्ट में आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा की कोई स्पष्ट परिभाषित व्यवस्था न होने और सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा के प्रति उदासीन रवैया अपनाने के कारण भ्रष्टाचार से सम्बंधित सूचनाएं मागने वाले आरटीआई कार्यकर्त्ता अत्यधिक असुरक्षित होते जा रहे हैं और यही कारण है कि आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमलों और उनके उत्पीडन की घटनाओं में उत्तरोत्तर वृद्धि होती जा रही है.
 
 
मुंबई के साथी भूपेंद्र वीरा की हत्या के बाद उनकी आत्मा की शांति के लिए सूबे के आरटीआई कार्यकर्ता आगामी 28 अक्टूबर को लखनऊ हजरतगंज जीपीओ के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में मेरी अगुआई में इकठ्ठा होकर दोपहर 12 बजे से 2 बजे अपराह्न तक मौन बैठकर  श्रद्धांजली देंगे और इसके बाद देश के राष्ट्रपति,प्रधान मंत्री और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजकर साल 2014 में अधिनियमित होने के बाबजूद कार्यान्वयन के लिए प्रतीक्षारत 'व्हिसिलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2011' को तत्काल कार्यान्वित करते हुए आरटीआई कार्यकर्ताओं को व्हिसिलब्लोअर की श्रेणी में रखने और देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने की मांग उठाएंगे. 
 
 
मेरा तो कहना है कि आरटीआई कार्यकर्ताओं पर ये हमले सूचना मांगने के प्रति डर का माहौल कायम करने के लिए किये जा रहे है. मैं आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या को भारतीय लोकतंत्र की हत्या मानती हूँ और अब स्थितियां ऐसी बनती जा रहीं है जिनमें धन और बल की ताकत चुनावी राजनीति के बाद सार्वजनिक जीवन पर भी कब्ज़ा करती जा रही है.
 
 
साथियों, अब यह लड़ाई भ्रष्ट तंत्र और सचेतक नागरिकों के बीच है और मैं अपने साथियों के साथ निरंतर संघर्षरत रहकर  यह सुनिश्चित करूंगी कि अंतिम जीत लोकचेतना की ही हो.इसके लिए मुझे आप सब के साथ की आवश्यकता है.  
 
 
इस कार्यक्रम की सूचना लिखित रूप में लखनऊ प्रशासन को दे दी गयी है. आप सबसे अनुरोध है कि आरटीआई आन्दोलन को मजबूती देने के लिए आगामी 28 अक्टूबर को लखनऊ पंहुचें.