Friday 31 March, 2017

UP: IPS के 23% और PPS के 29% खाली पदों से प्रभावित होगी योगी की कानून व्यवस्था सुधारने की मुहिम : संजय शर्मा




लखनऊ/31-03-17/ उर्वशी शर्मा   
विधान सभा निर्वाचन 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की बदहाल कानून व्यवस्था को अपना प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था l सूबे की जनता ने अपना भरपूर समर्थन देकर भारतीय जनता पार्टी को विगत चुनावों में अभूतपूर्व सफलता दिलाई l भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने तेजतर्रार नेता योगी आदित्यनाथ के हाथों में सूबे की कमान देकर सूबे में कानून का राज स्थापित करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया l सीएम पद की शपथ लेने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने यूपी के निवासियों को कानून का राज देने के लिए अनेकों घोषणाएं की हैं जिनमें से ‘एंटी रोमियो स्कॉड’ गठित करने को उच्च न्यायालय का समर्थन भी मिल गया है l इसी बीच यूपी की राजधानी स्थित समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता ई. संजय शर्मा ने अपनी एक आरटीआई पर पुलिस महानिदेशक कार्यालय द्वारा दिये गये जबाब के आधार पर यह सबाल खड़ा कर दिया है कि यूपी में IPS अधिकारियों के 23% खाली पड़े पदों और PPS अधिकारियों के 29% खाली पड़े पदों की लंगड़ी पुलिस प्रणाली के सहारे योगी यूपी की बदहाल कानून व्यवस्था को आखिर कितना सुधार पायेंगे ?

बकौल संजय उन्होंने बीते 17 जनवरी को एक आरटीआई दायर की थी जिस पर पुलिस महानिदेशक कार्यालय के अपर पुलिस महानिदेशक कार्मिक पी.सी. मीना और पुलिस महानिरीक्षक प्रशासन प्रकाश डी. ने उनको इसी माह जो सूचना दी है वह वेहद चौंकाने वाली है l

पी.सी. मीना ने संजय को बताया है कि यूपी में IPS कैडर के कुल 517 पद सृजित हैं जिनमें से 400 पद भरे हैं और 117 पद खाली हैं l इन 400 पदों में से 366 पर पुरुष और 34 पर महिला अधिकारी तैनात हैं l 400 अधिकारियों में से 380 हिन्दू हैं, 10 मुसलमान हैं,05 सिख हैं और 05 ईसाई हैं l यूपी में किन्नर IPS अधिकारियों की संख्या शून्य है l विगत 10 वर्षों में यूपी कैडर के 06 IPS अधिकारी सेवाकाल में ही मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं l पी.सी. मीना ने संजय को यह भी बताया है कि यूपी में पिछले 10 वर्षों में मात्र 107 IPS अधिकारी ही सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त किये जा सके हैं और इस आधार पर संजय का कहना है कि वर्तमान में रिक्त पड़े IPS के 117 पदों का भरना इतना आसान नहीं है l

प्रकाश डी. ने संजय को बताया है कि यूपी में PPS कैडर के कुल 1299 पद सृजित हैं जिनमें से 916 पद भरे हैं और 383 पद खाली हैं l इन 916 पदों में से 289 अपर पुलिस अधीक्षक और 627 पर पुलिस उपाधीक्षक तैनात हैं l 289 अपर पुलिस अधीक्षक में से 275 पुरुष हैं और 14 महिलाएं हैं l 289 अपर पुलिस अधीक्षक में से 276 हिन्दू हैं और 13 मुसलमान हैं l अपर पुलिस अधीक्षक पदों पर सिख,ईसाई और पारसी समुदाय का प्रतिनिधित्व शून्य है l 627 पुलिस उपाधीक्षक में से 585 पुरुष हैं और 42 महिलाएं हैं l 627 पुलिस उपाधीक्षक में से 596 हिन्दू हैं, 25 मुसलमान हैं और 06 सिख हैं l अपर पुलिस अधीक्षक पदों पर ईसाई और पारसी समुदाय का प्रतिनिधित्व शून्य है l यूपी में किन्नर PPS अधिकारियों की संख्या भी शून्य है l विगत 10 वर्षों में 7 अपर पुलिस अधीक्षक और 27 पुलिस उपाधीक्षक सेवाकाल में ही मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं l

समाजसेवी संजय कहते हैं कि आजादी के इतने दिनों बाद भी यूपी के पुलिस अधिकारियों में महिलाओं और अल्पसंख्यकों का समुचित प्रतिनिधित्व न होना भी एक चिंताजनक स्थिति है l बकौल संजय बीते 10 वर्षों में 6 IPS, 7 अपर पुलिस अधीक्षक और 27 पुलिस उपाधीक्षक के सेवाकाल में मरने के इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि पुलिस विभाग में जैसे जैसे पद छोटा होता जाता है, राजनैतिक दबाब के कारण  चिंताएं बढ़ती जातीं हैं और पुलिस कार्मिक अवसादग्रस्त होकर बीमारियों से ग्रसित होते जाते हैं l

संजय ने बताया कि उनकी निजी राय है कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे में IPS के 23% और PPS के 29% खाली पद योगी यूपी की  कानून व्यवस्था सुधारने की मुहिम के रास्ते का बड़ा रोड़ा साबित होंगे और इसीलिये वे  भारत के प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यूपी पुलिस के रिक्त पदों को शीघ्रता से भरने,पुलिस के पदों पर समाज के सभी वर्गों को समुचित प्रतिनिधित्व देने और पुलिस कार्मिकों के ऊपर से राजनैतिक दबाब हटाकर उनको अवसादग्रस्त होने से बचाने की मांग भी करने जा रहे हैं l   





Monday 27 March, 2017

यूपी : CM योगी से की पुलिस द्वारा माँ-बहन की गालियाँ देने पर रोक की मांग l


लखनऊ/27 मार्च 2017 –
बीते कल समाजसेवियों ने राजधानी स्थित लक्ष्मण मेला मैदान धरना स्थल पर समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में इकटठे होकर विगत सरकारों के कुशासन के कारण यूपी के पुलिस थानों में व्याप्त हुए भ्रष्टाचार और अन्य अनियमितताओं के विरोध में धरना देकर प्रदर्शन किया और पुलिस थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार/अनियमितताओं का शीघ्र और समयबद्ध निराकरण कराने के लिए सूबे की नवगठित बीजेपी सरकार को 5 सूत्रीय सुझावात्मक मांगपत्र प्रेषित किया l

उर्वशी ने बताया कि उनकी पहली मांग है कि भारत के संविधान के भाग - 4  अनुच्छेद - 39(क) के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत प्रत्येक थाने पर निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की जाए  ताकि पुलिस थानों पर बर्दी के रौब में होने वाले गैर-कानूनी कार्य रुकें । पूर्ववर्ती सपा सरकार के समय पुलिस थानों पर ऍफ़.आई.आर. लिखने में भेद-भाव और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उर्वशी ने सपा सरकार के पूरे कार्यकाल में थानों से लौटाए गये सभी पीड़ितों की FIR दर्ज किये जाने  और तत्कालीन थानाध्यक्षों के खिलाफ विभागीय और विधिक कार्यवाही किये जाने की मांग उठाई है l आगे से थानों में आने वाले पीड़ितों के हित सुरक्षित रखने के लिए उर्वशी ने FIR लिखने के लिए पुलिस थानों में प्रेषित प्रार्थना पत्रों का निस्तारण मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में दिनांक 12-11-13 को पारित निर्णय और भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पत्र संख्या 15011/ 91/ 2013-SC/ST-W दिनांक 12-10-15 का पूर्ण अनुपालन करते हुए किये जाने की मांग की है l

उर्वशी  ने यूपी के अधिकाँश पुलिस कर्मियों पर शराब पीकर ड्यूटी आने का गंभीर आरोप लगाते हुए ड्यूटी पर शराब पीकर आने वाले पुलिस कार्मिकों को चिन्हित कर दण्डित करने के लिए प्रत्येक थाने पर ब्रेथ अल्कोहल एनालाइजर उपलब्ध कराकर प्रतिदिन प्रत्येक पुलिसकर्मी की ड्यूटी आते-जाते समय जांच कर रिपोर्ट दर्ज कराये जाने की मांग की है  l  

उर्वशी ने यूपी की पुलिस पर थानों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर महिला की शालीनता को अपमानित करने  की गालियां अर्थात माँ-बहन-बेटी की गालियां खुलेआम देने का आरोप लगाते हुए माँ-बहन-बेटी की गालियां खुलेआम देने वाले पुलिस कार्मिकों के खिलाफ विभागीय और विधिक कार्यवाही करने का आदेश जारी किये जाने की भी मांग की है  l

उर्वशी ने बताया कि उनको पूरी उम्मीद है कि प्रदेश की नवगठित वर्तमान सरकार उनकी इन मांगों को शीघ्रता से समयबद्ध रूप से पूरा कर उत्तर प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने के अपने वादे को जल्द ही पूरा करेगी l

धरना प्रदर्शन में तनवीर अहमद सिद्दीकी,हरपाल सिंह,अशोक कुमार गोयल,ज्ञानेश पाण्डेय, अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह ,मोहम्मद अमीन,शीबू निगम,एस.एम.शमीम,अधिवक्ता रुवैद कमाल किदवई,जे.बी.सिंह  समेत अनेकों समाजसेवियों ने प्रतिभाग किया l


           

Sunday 26 March, 2017

यूपी : समाजसेवियों ने राजधानी में धरना देकर योगी से की पुलिस सुधार की मांग

लखनऊ/26 मार्च 2017 ----- आज लखनऊ के समाजसेवियों ने राजधानी स्थित लक्ष्मण मेला मैदान धरना स्थल पर समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में इकटठे होकर विगत सरकारों के कुशासन के कारण यूपी के पुलिस थानों में व्याप्त हुए भ्रष्टाचार/अनियमितताओं के विरोध में धरना देकर प्रदर्शन किया और पुलिस थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार/अनियमितताओं का शीघ्र और समयबद्ध निराकरण कराने के लिए सूबे की नवगठित बीजेपी सरकार को निम्नलिखित 5 सूत्रीय सुझावात्मक मांगों को पूरा कराने के सम्बन्ध में ज्ञापन का प्रेषण किया l
1)भारत के संविधान के भाग - 4  अनुच्छेद - 39(क) के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत प्रत्येक थाने पर निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की जाए  ।
2)पूर्ववर्ती सपा सरकार के समय पुलिस थानों से लौटाए गये सभी पीड़ितों की FIR दर्ज की जाए और तत्कालीन थानाध्यक्षों के खिलाफ विभागीय और विधिक कार्यवाही की जाये l
3)FIR लिखने के लिए पुलिस थानों में प्रेषित प्रार्थना पत्रों का निस्तारण मा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में दिनांक 12-11-13 को पारित निर्णय और भारत सरकार के गृह मंत्रालय के पत्र संख्या 15011/ 91/ 2013-SC/ST-W दिनांक 12-10-15 का पूर्ण अनुपालन करते हुए किया जाए l
4) शराब पीकर ड्यूटी आने वाले पुलिस कार्मिकों को चिन्हित कर दण्डित करने के लिए प्रत्येक थाने पर ब्रेथ अल्कोहल एनालाइजर उपलब्ध कराकर प्रतिदिन प्रत्येक पुलिसकर्मी की ड्यूटी आते-जाते समय जांच कर रिपोर्ट दर्ज की जाए l  
5) थानों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर महिला की शालीनता को अपमानित करने  की गालियां अर्थात माँ-बहन-बेटी की गालियां खुलेआम देने वाले पुलिस कार्मिकों के खिलाफ विभागीय और विधिक कार्यवाही करने का आदेश जारी किया जाये l

उर्वशी ने बताया कि उनको पूरी उम्मीद है कि प्रदेश की नवगठित वर्तमान सरकार उनकी इन मांगों को शीघ्रता से समयबद्ध रूप से पूरा कर उत्तर प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने के अपने वादे को जल्द ही पूरा करेगी l

कार्यक्रम में तनवीर अहमद सिद्दीकी,हरपाल सिंह,अशोक कुमार गोयल,ज्ञानेश पाण्डेय, अधिवक्ता मनीष कुमार सिंह ,मोहम्मद अमीन,शीबू निगम  अधिवक्ता रुवैद कमाल किदवई समेत अनेकों समाजसेवियों ने प्रतिभाग किया l


Monday 20 March, 2017

यूपी: IAS सदाकांत की चापलूसी काम आयेगी या अभियोजन स्वीकृति से मुश्किल होगी राह l







सदाकांत के पत्र दिनांक 16-03-17 और डीओपीटी के अंडर सेक्रेट्री राजकिशन वत्स के पत्र दिनांक 13-02-17 को डाउनलोड करने के लिए वेबलिंक को http://upcpri.blogspot.in/2017/03/ias-l_20.html क्लिक करें l

लखनऊ/20-03-17/ उर्वशी शर्मा  
लगता है बीते विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद बीते 16 मार्च को अपने मातहतों को पुरानी कार्यशैली त्यागकर सुधरने की नसीहत देने का आदेश जारी कर उसे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भेजकर चापलूसी के मोड में आये यूपी के अपर मुख्य सचिव पद पर तैनात आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव सदाकांत शुक्ला का यूपी का मलाईदार पद पाने का सपना महज सपना बन कर रह जाएगा और सदाकांत का यह ख्याव कभी हकीकत नहीं बन पायेगा l भारत सरकार के गृह मंत्रालय में तैनाती के दौरान लेह में रोड का कॉन्ट्रैक्ट देने में खुफिया जानकारी लीक कर भारत की सुरक्षा को दांव पर लगाकर 200 करोड़ का घोटाला करने की बजह से पूर्ववर्ती मायावती सरकार के समय यूपी बापस भेज दिये गये दागी आई.ए.एस. सदाकांत के खिलाफ सी.बी.आई. द्वारा साल 2011 में दर्ज की गई ऍफ़.आई.आर. पर अभियोजन का मामला काफी समय से गृह मंत्रालय में अटका पड़ा था जो बीते 13 फरवरी को राजधानी लखनऊ निवासी समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा के सतत प्रयासों से भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ( DOPT ) को अंतिम निर्णय के लिए प्राप्त हो गया है जहाँ यह प्रक्रियाधीन है l   

बताते चलें कि पूर्व की मनमोहन सिंह की सरकार के समय केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय में तैनाती के दौरान सदाकांत ने कथित रूप से भारत की सुरक्षा को खतरे में डालकर 200 करोड़ की घूस ली थी जिस बजह से सी.बी.आई. ने सदाकांत कप दोषी पाते हुए सदाकांत के खिलाफ साल 2011 में ऍफ़.आई.आर. दर्ज की थी और सदाकांत के दिल्ली स्थित आवास पर छापेमारी भी की थी l सदाकांत के खिलाफ सीबीआई ने डीओपीटी से अभियोजन मंजूरी मांगी थी। तब डीओपीटी ने यह मामला गृह मंत्रालय भेज दिया था जहाँ यह अटका पड़ा था । संजय ने के पत्र लिखकर और आरटीआई लगाकर अब यह मामला गृह मंत्रालय से डीओपीटी भिजवा दिया है l संजय द्वारा बीते साल के नवम्बर महीने में भारत सरकार से की गई एक शिकायत के बाद डीओपीटी के अंडर सेक्रेट्री राजकिशन वत्स ने बीते 13 फरवरी को संजय को एक पत्र भेजकर इस मामले में कार्यवाही अंतिम दौर में होने की सूचना दी है l

समाजसेवी संजय ने बताया कि माया सरकार और अखिलेश सरकार ने सदाकांत के रीढ़-विहीन और भ्रष्टाचारी होने  के विशेष गुण के आधार पर साधक-सिद्धक बन अपने-अपने हित साधने को उच्च पद सौंपे जिसका प्रमाण सदाकांत द्वारा बीते 16 मार्च को जारी किया गया पत्र है जो स्वतः ही सिद्ध कर रहा है कि सदाकांत ने अखिलेश सरकार के कार्यकाल में अपने विभाग के मातहतों को भ्रष्टाचार करने की छूट दे रखी थी l

संजय ने बताया कि उन्हें अपेक्षा है कि इमानदार छवि के तेजतर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जानबूझकर मक्खी नहीं निगलेंगे और ‘भारत माता’ के साथ गद्दारी कर भ्रष्टाचार करने वाले सदाकांत को न केवल हाशिये पर रखेंगे अपितु इन्हें इनके किये की सजा दिलाने के लिए प्रदेश सरकार के स्तर से आवश्यक प्रयास भी करेंगे l

केंद्र द्वारा बापस किये जाने पर सदाकांत यूपी आकर कुछ दिन हाशिये पर रहे और फिर अपने चापलूसी के गुण से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को और फिर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को साधा और इन दोनों के कार्यकाल में जमकर मलाई खाई l यूपी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद सदाकांत ने इसी चापलूसी के अस्त्र का फन्दा बनाकर 16 मार्च को अपने मातहतों को पुरानी कार्यशैली त्यागकर सुधरने की नसीहत देने का आदेश जारी कर उसे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भेजकर अपनी निष्ठां अखिलेश से तोड़कर भारतीय जनता पार्टी के साथ होने का सन्देश दिया है पर इसी बीच अभियोजन स्वीकृति का मामला अंतिम दौर में पहुंचने से लग रहा है कि इस बार सदाकांत के मंसूबे सफल नहीं होंगे और सूबे में भ्रष्टाचार का सर्वनाश करने का दावा करने वाली ‘योगी’ सरकार सदाकांत को कोई तवज्जो नहीं देगी l



Wednesday 15 March, 2017

‘Holi Milan’ 2017 of Social Organization ‘YAISHWARYAJ’

सामाजिक संगठन ‘येश्वर्याज’ का होली मिलन समारोह 2017

‘Holi Milan’ 2017 of Social Organization ‘YAISHWARYAJ’
























Thursday 9 March, 2017

आज़म खान के खिलाफ ऍफ़.आई.आर. दर्ज करने की उर्वशी शर्मा ने की मांग l

लखनऊ/09-03-17
दस्तावेजों में हेराफेरी मामले में हाई कोर्ट के निशाने पर आये सपा नेता आज़म खान की मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं l हाई कोर्ट के सामने पेश होने से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक हो आये आज़म को कोई राहत नहीं मिली और आखिरकार उनको बीते कल  हाई कोर्ट के सामने पेश होना पड़ा l इसी बीच लखनऊ की समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने लखनऊ के थाना हजरतगंज में बाकायदा एक तहरीर देकर उत्तर प्रदेश जल निगम के अध्यक्ष आज़म खान, प्रबंध निदेशक पी. के. असुदानी और मुख्य अभियंता आर. पी. सिन्हा के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही की मांग कर दी है l


बकौल उर्वशी जल निगम ने 2013 में अपने एक कर्मचारी के  बावत ट्रिब्युनल द्वारा पारित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।ट्रिब्युनल ने कर्मचारी को इस आधार पर राहत दे दी थी कि उसके खिलाफ पेश आरोप पत्र पर सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे।जल निगम के चेयरमैन, एमडी और चीफ इंजीनियर की ओर से दायर सेवा याचिका में ट्रिब्युनल के आदेश को चुनौती दी गई थी।साढ़े तीन साल बाद जल निगम की ओर से पूरक शपथपत्र देकर कहा गया कि उक्त कर्मचारी के खिलाफ दिये गये आरोप पत्र पर सक्षम प्राधिकारी के दस्तखत थे। इस पर   जस्टिस सुधीर अग्रवाल और  जस्टिस अनंत कुमार  की बेंच ने बीते 17 फरवरी को अपना अभिमत दिया कि इन तीनों ने दस्तावेजों में प्रथम दृष्टया हेराफेरी की है। उच्च न्यायालय ने इन तीनों को अदालत में झूठा हलफनामा देने का भी प्रथम दृष्टया दोषी माना है l कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान दस्तावेजों में शुरुआती हेराफेरी को देखते हुए कहा कि यह  फर्जी और कूटरचित दस्तावेज बाद में तैयार किया गया हैं साथ ही कहा कि अदालत  प्रथम दृष्टया मानती है कि झूंठे और जाली दस्तावेज को बाद में तैयार कर असली की तरह पेश किया गया है l

उर्वशी ने बताया कि बीते 01 मार्च को मामले की सुनवाई करते हुए  न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ मिश्रा द्वतीय की पीठ ने उत्तर प्रदेश जल निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पी. के. असुदानी और मुख्य अभियंता आर. पी. सिन्हा के द्वारा व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने और शपथपत्र दे देने पर भी उनको क्लीन चिट नहीं दी और उत्तर प्रदेश जल निगम के अध्यक्ष आज़म खान के खिलाफ जमानतीय वारंट जारी करने का आदेश दिया जो इन तीनों अभियुक्तों की उपरोक्त अपराध में प्रथम दृष्टया संलिप्तता सामने ला रहा है  l

उर्वशी ने अपनी तहरीर में तीनों अभियुक्तगणों के खिलाफ प्रथमदृष्टया आईपीसी की धारा 420,467,468,469,470,471,34,166,167,200,203,217,218,415,417, 464, 465,120B, ,219 आदि  के अपराध करने की बात कही है  l



Saturday 4 March, 2017

यूपी : आखिर एक्टिविस्ट ने ही क्यों कर डाली सूचना आयोग को आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने की मांग ?


यूपी : आखिर एक्टिविस्ट ने ही क्यों कर डाली सूचना आयोग को आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने की मांग ?


Lucknow/04-03-17
अब तक सभी आरटीआई एक्टिविस्ट किसी भी संस्था या क्षेत्र को पारदर्शिता के कानून या सूचना के अधिकार की परिधि में लाने की वकालत करते दिखाई दिए हैं पर यूपी में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें सूबे के जाने-माने आरटीआई विशेषज्ञ और एक्टिविस्ट इंजीनियर संजय शर्मा ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी को पत्र लिखकर यूपी के सूचना आयोग को आरटीआई की परिधि से बाहर करने की मांग कर डाली  है l जब आप संजय द्वारा उठाई गई इस अप्रत्याशित मांग को उठाने के कारण  के बारे में जानेंगे तो आप दांतों तले  उंगली दबाने को मजबूर हो जाएंगे क्योंकि संजय ने यह मांग यूपी के सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी तेजस्कर पांडेय, प्रथम अपीलीय अधिकारी राघवेंद्र विक्रम सिंह और मुख्य सूचना आयुक्त के धुर आरटीआई विरोधी रवैये के चलते मजबूरी में उठाई है l

मामला दरअसल ये है कि  एक्टिविस्ट संजय ने सूचना आयोग और सूचना आयुक्तों के क्रियाकलापों के सम्बन्ध में सूचना पाने के लिए सूचना आयोग में 8 आरटीआई आवेदन दिए थे l हालाँकि आरटीआई एक्ट की धारा 7 (1 ) के अनुसार 30 दिनों में सूचना दिया जाना अनिवार्य है पर तेजस्कर पांडेय ने  इन 8 में से किसी  भी  आरटीआई आवेदन पर 30 दिनों में कोई भी सूचना नहीं दी और संजय ने आरटीआई एक्ट की  धारा  18  का प्रयोग कर शिकायतों को आयोग पंहुँचा  दिया l बकौल संजय आयोग इन मामलों में सुनवाई तो कई हुईं  है पर मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं किया है l

इन 8 आरटीआई आवेदनों पर संजय द्वारा आयोग में की गई प्रथम अपीलों को प्रथम अपीलीय अधिकारी राघवेंद्र विक्रम सिंह में ठन्डे बास्ते में डाल  दिया और इन पर आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है l प्रथम अपीलों पर राघवेंद्र विक्रम सिंह द्वारा कार्यवाही न किये जाने पर संजय ने आयोग में द्वितीय अपीलें कीं हैं जिन पर  सुनवाई तो कई हुईं  है पर मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं किया है l बकौल संजय 6  महीने से अधिक समय बीत जाने पर भी जन सूचना अधिकारी ने इन 8 में से 5 अपीलों के सम्बन्ध में आज तक कोई भी सूचना नहीं दी है और 3 मामलों में द्वितीय अपील दायर करने के बाद आरटीआई आवेदन के उत्तर भेजे हैं जिनके सम्बन्ध में उनके  द्वारा प्रेषित आपत्तियां आज तक जन सूचना अधिकारी के स्तर पर निस्तारण के लिए लंबित हैं l

बकौल संजय पूरे सूबे की सूचना दिलाने के लिए बने सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी की नाक के नीचे बैठकर आरटीआई एक्ट की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने वाले जन सूचना अधिकारी पर कोई कार्यवाही न होने के इस मामले से खुद-ब-खुद सामने आ रहा है की जावेद उस्मानी ने यूपी में आरटीआई की लुटिया डुबोने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है l


अपने पत्र में संजय ने लिखा है "मेरे द्वारा मांगीं गई सूचनाएं उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्टाचार तथा सूचना आयुक्तों से सम्बंधित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से सम्बंधित हैं l ऐसे में आयोग के तीनों स्तरों क्रमशः जन सूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी और मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत जानबूझकर मूर्ख बनने का नाटक करके सूचनाओं को सार्वजनिक करने में देरी की जा रही है और इस प्रकार मेरे संवैधानिक/नागरिक/मानव अधिकारों का हनन तो किया ही जा रहा है साथ ही साथ यह आयोग द्वारा किया जा रहा मेरा उत्पीडन भी है l"

संजय ने बताया कि जब आयोग को कोई सूचना देनी ही नहीं है तो फिर क्यों न इस बेबजह की ड्रामेवाजी  को समाप्त कराया जाये और  आयोग को आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर कराने की मुहिम  चलाई जाए ताकि उन जैसे जागरूक नागरिक बेबजह सूचना मांगकर अपना समय और धन नष्ट न करें तथा  आयोग और आयुक्तों को भी  खुलकर भ्रष्टाचार करने की छूट  विधिक रूप से मिल जाए l

संजय ने बताया कि जावेद उस्मानी  ने एक्ट की धारा 15(4) में कई तुगलकी आदेश जारी कर एक्ट को कमजोर करने की साजिश की है तो उन्होंने सोचा कि क्यों न जावेद उस्मानी को  पत्र लिखकर उनको एक और तुगलकी आदेश जारी करने की गुहार लगाईं जाए और इसीलिये उन्होंने उस्मानी को पत्र लिखकर आयोग को ही आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने का आदेश  जारी करके आयोग द्वारा किया जा रहा उनका उत्पीडन समाप्त कराने का अनुरोध किया है l

बकौल संजय वे अनियमितता दिखने पर  सूचना मांगने की अपनी आदत से मजबूर हैं और आयोग भ्रष्टाचार छुपाने के लिए सूचना न देने की आदत से मजबूर है l

संजय के अनुसार जब तक आयोग आरटीआई एक्ट की परिधि में रहेगा वे सूचना मांगते रहेंगे और सूचना आयोग के हाथों उत्पीड़ित होते रहेंगे इसीलिये उन्होंने आयोग को ही आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने का आदेश  जारी करने का अनुरोध किया है ताकि सारा बखेड़ा ही ख़त्म हो जाए l

संजय द्वारा भेजा  गया पत्र निम्नानुसार है :
सुनवाई कक्ष संख्या S1 - सुनवाई की तिथि 06-03-2017
सेवा में,                                                                                                                            
श्री जावेद उस्मानी - मुख्य सूचना आयुक्त
उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग,आर.टी.आई.भवन
गोमती नगर,लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पिन कोड – 226016   

विषय : संजय शर्मा बनाम जन सूचना अधिकारी उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग से सम्बंधित 8 शिकायतों एवं 8 अपीलों ( कुल 16 प्रकरणों ) की दिनांक 06-03-17 की सुनवाई के रिकॉर्ड में लेने के लिए पत्र का प्रेषण  l
महोदय,
आपके संज्ञानार्थ सादर अवगत कराते हुए अनुरोध है कि :
1- दिनांक 06-03-17 को  सूचीबद्ध 16 प्रकरणों के सम्बन्ध में महोदय को एवं जन सूचना अधिकारी को पृथक-पृथक संबोधित करते हुए प्रकरण-वार आपत्ति विषयक पत्र  दिनांक 10-02-17,22-02-17 और 27-02-17 को आयोग के प्राप्ति पटल पर प्राप्त कराये जा चुके हैं जिन के सम्बन्ध में मुझे आज तक जन सूचना अधिकारी का कोई भी पत्र नहीं मिला है l कृपया दिनांक 10-02-17,22-02-17 और 27-02-17 को प्रेषित आपत्तियों का संज्ञान लेकर सुनवाई करें l
2- दिनांक 06-03-17 को  सूचीबद्ध मामलों में से अधिकतर मामले पूर्व में भी आयोग में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थे किन्तु आप द्वारा इन मामलों की पूर्व की इन सुनवाइयों के समय इन प्रकरणों में गुण-दोष के आधार पर सूचना देने या न देने के सम्बन्ध में अपना अभिमत स्थिर कर जन सूचना अधिकारी को कोई निर्देश नहीं दिये गये जिसके कारण न केवल आयोग के समय का दुरुपयोग हुआ है अपितु मुझे सूचना दिलाने में नाहक ही बिलम्ब भी हुआ है और अधिनियम की मूल मंशा के खिलाफ काम हुआ है l   
3- उपरोक्त 16 प्रकरणों को जन सूचना अधिकारी के इस निवेदन पर एक साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है कि सुनवाई में कार्यालय के समय का सदुपयोग हो सके जबकि उपरोक्त 16 प्रकरणों में से जो आठ शिकायतें हैं वे आठ की आठों शिकायतें महज इसलिए करनी पडीं हैं क्योंकि जन सूचना अधिकारी ने इन सभी शिकायतों से सम्बंधित  आरटीआई आवेदनों पर 30 दिनों में कोई भी सूचना नहीं दी है l अवशेष 8 द्वितीय अपीलें इस कारण करनी पडीं हैं कि प्रथम अपीलीय अधिकारी ने किसी भी प्रथम अपील की सुनवाई नहीं की है और जन सूचना अधिकारी ने इन 8 में से 5 अपीलों से सम्बंधित आरटीआई आवेदनों पर आज तक कोई भी सूचना नहीं दी है और 3 मामलों में द्वितीय अपील दायर करने के बाद आरटीआई आवेदन के उत्तर भेजे हैं जिनके सम्बन्ध में मेरे द्वारा प्रेषित आपत्तियां आज तक जन सूचना अधिकारी के स्तर पर निस्तारण के लिए लंबित हैं l उपरोक्त से स्पष्ट है कि आयोग के जन सूचना अधिकारी एक दोगली कार्यपद्धति के तहत कार्य करके न केवल आयोग का कीमती समय नष्ट करने के अपितु आयोग में आप की नाक के नीचे बैठकर आरटीआई एक्ट की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने के दोषी हैं  जिसके लिए इनको धारा 20(1) और 20(2) के तहत दण्डित किया जाना अनिवार्य है l
4- उपरोक्त 16 मामलों में से जो 8 मामले धारा 18 की शिकायतों के हैं उन में मैंने सूचना प्राप्त करने की  नहीं अपितु 30 दिन से अधिक की प्रत्येक दिन की देरी के लिए जन सूचना अधिकारी को @250/- प्रतिदिन की दर से दण्डित करने की मांग की है l जन सूचना अधिकारी से प्रत्येक मामले में सूचना देने में 30 दिन से अधिक की प्रत्येक दिन की देरी के लिए स्पष्टीकरण तलब कर जन सूचना अधिकारी को धारा 20(1) के तहत दण्डित किया जाए l
5- उपरोक्त 16 मामलों में से जो 8 मामले धारा 19(3) की अपीलों के हैं उनमें आयोग के प्रथम अपीलीय अधिकारी को अधिनियम की धारा 19(6) के तहत लेखबद्ध किये गये कारणों के साथ आयोग के समक्ष तलब किया जाए और जन सूचना अधिकारी को उन 5 अपीलों से सम्बंधित आरटीआई आवेदनों पर, जिन पर आज तक कोई भी सूचना नहीं दी है, बिन्दुवार सूचना निःशुल्क देने के लिए और अवशेष 3 मामलों में मेरे द्वारा प्रेषित आपत्तियां का बिन्दुवार निराकरण कर सूचना निःशुल्क देने के लिए निर्देशित करने के साथ साथ आयोग में आप की नाक के नीचे बैठकर आरटीआई एक्ट की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने के लिए  जन सूचना अधिकारी से प्रत्येक मामले में स्पष्टीकरण तलब कर उसे धारा 20(2) के तहत दण्डित किया जाए l
6- सुनवाई में  हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा Sanjay Hindwan vs. State Information Commission and others, CWP No.640 of 2012-D, decided on 24.08.2012 के आदेश और HIGH COURT OF PUNJAB AND HARYANA AT CHANDIGARH द्वारा CWP No.17758 of 2014 Smt. Chander Kanta ...Petitioner Versus The State Information Commission and others ...Respondents के सम्बन्ध में पारित आदेश दिनांक 19.05.2016 का संज्ञान लेकर जनसूचना अधिकारी को 30 दिन के अधिक की अवधि की प्रत्येक दिन की देरी के लिए एक्ट की धारा 20 के तहत दण्डित किया जाए l
7- मेरे द्वारा मांगीं गई सूचनाएं उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्टाचार तथा सूचना आयुक्तों से सम्बंधित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से सम्बंधित हैं l ऐसे में आयोग के तीनों स्तरों क्रमशः जन सूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी और मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा एक सोची समझी साजिश के तहत जानबूझकर मूर्ख बनने का नाटक करके सूचनाओं को सार्वजनिक करने में देरी की जा रही है और इस प्रकार मेरे संवैधानिक/नागरिक/मानव अधिकारों का हनन तो किया ही जा रहा है साथ ही साथ यह आयोग द्वारा किया जा रहा मेरा उत्पीडन भी है l  कृपया या तो आयोग से सम्बंधित उत्तर प्रदेश आरटीआई नियमावली 2015 के प्रारूप 3 को आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित कर प्रति सप्ताह अपडेट कराने के लिए या फिर आयोग को आरटीआई एक्ट की परिधि से बाहर करने का आदेश एक्ट की धारा 15(4) में जारी कर आयोग द्वारा किया जा रहा मेरा उत्पीडन समाप्त कराने का कष्ट करें l

प्रतिलिपि : श्री तेजस्कर पाण्डेय,उप सचिव एवं जन सूचना अधिकारी, राज्य सूचना आयोग,आर.टी.आई.भवन,गोमती नगर,लखनऊ,उत्तर प्रदेश, पिन कोड – 226016  को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित l

भवदीय,   

( संजय शर्मा )
102, नारायण टॉवर, ईदगाह के सामने,ऍफ़ ब्लाक

राजाजीपुरम ,लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत,पिन कोड – 226017    ई –मेल पता :   tahririndia@gmail.com      मोबाइल :  7318554721