Saturday 30 July, 2016

UP : सूचना आयुक्तों द्वारा महिला यौन उत्पीडन करने पर उपराष्ट्रपति सख्त : मुख्य सचिव को लिखा पत्र.




विशेष समाचार का सार  ©TAHRIR : भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने यूपी के सूचना आयुक्तों द्वारा राज्य सूचना आयोग की सुनवाइयों में आने वाली महिलाओं का उत्पीडन करने की घटनाओं का संज्ञान लेकर राज्य सूचना आयोग में उच्चतम न्यायालय द्वारा विशाखा मामले में दिए निर्देशों के अनुरूप यौन उत्पीडन जांच समितिबनाने के लिए यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और इस पत्र की प्रति इस मुहिम की प्रणेता येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव और प्रतिष्ठित समाजसेविका उर्वशी शर्मा को भेजते हुए उर्वशी को अपनी इस मांग के सम्बन्ध में मुख्य सचिव से मिलने की बात कही है जिससे एक ओर जहाँ राज्य सूचना आयोग में महिलाओं का उत्पीडन करने वाले आयुक्तों की पेशानी पर चिन्ता की लकीरें उभरने के साथ-साथ सूचना आयोग में अफरा-तफरी का माहोल साफ-साफ दिखाई दे रहा है तो वहीं इस मुद्दे पर उर्वशी के साथ हिरासत में लिए गए समाजसेवी तनवीर अहमद सिद्दीकी और घर में नज़रबंद रखे गए वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता अशोक कुमार गोयल अपनी यंत्रणा भुलाकर इसे सूचना आयोग को महिलाओं के प्रति सभ्य बनाने की दिशा में किये गए उनके प्रयासों का मीठा प्रतिफल बता रहे हैं.
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Lucknow/29 July 2016/ Written by Sanjay Sharma ©TAHRIR


लगता है कि सामाजिक संगठन येश्वर्याज के धुआंधार प्रयासों से यूपी के राज्य सूचना आयोग की सुनवाइयों में आने वाली महिलाओं को यहाँ के सूचना आयुक्तों के उत्पीडन से बचने के लिए यौन उत्पीडन जांच समितिकी सौगात जल्द ही मिलने वाली है. येश्वर्याज की सचिव और समाजसेविका उर्वशी शर्मा द्वारा बीते 11 जुलाई को इस सम्बन्ध में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को भेजे गए मांग पत्र का संज्ञान लेकर अपने सचिवालय के माध्यम से उर्वशी का मांगपत्र मूल रूप में यूपी के मुख्य सचिव को भेजते हुए मुख्य सचिव को इस मामले में समुचित ध्यान देने के निर्देश दिए है. उपराष्ट्रपति सचिवालय ने इस पत्र की प्रति उर्वशी को भी भेजते हुए इस मांग के सम्बन्ध में मुख्य सचिव से मिलने की बात भी कही है.


बताते चलें कि सूचना आयोग में यौन उत्पीडन जांच समिति बनाने और सभी सुनवाई कक्षों में आडिओ-वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कराने की मांग पूरी किये बिना बीते 11 जुलाई को आरटीआई भवन के उद्घाटन पर भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, यूपी के राज्यपाल राम नाईक और यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का विरोध करने की घोषणा के चलते येश्वर्याज की सचिव उर्वशी और कोषाध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी को बीते 10 जुलाई की रात 9 बजे हिरासत में लेकर अगले दिन कार्यक्रम के समाप्त होने के बाद रिहा किया गया था और येश्वर्याज के अध्यक्ष अशोक कुमार गोयल को इसी अवधि में उनके आवास पर नज़रबंद कर दिया गया था. यही नहीं येश्वर्याज के  बाकी सदस्यों को भी अवैध पुलिसिया उत्पीडन की सम्भावना के  चलते भूमिगत होना पड़ा था. संगठन के सदस्यों पर शासन-प्रशासन की कड़ी निगाह के चलते आम जनता येश्वर्याज की मदद को सामने आई जिसने शासन-प्रशासन की आँखों में धूल झोंककर राजधानी की हृदयस्थली कहे जाने वाले हजरतगंज चौराहे के निकट स्थित महात्मा गांधी पार्क में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 2 बजे तक धरना-प्रदर्शन किया और जमानत पर रिहा होते ही उर्वशी ने उपराष्ट्रपति को यह मांगपत्र प्रेषित किया जिसे अब उपराष्ट्रपति ने यूपी के मुख्य सचिव को भेजा है.



उर्वशी ने एक विशेष बातचीत में बताया कि सूचना आयोग आने वाले आरटीआई आवेदकों के साथ अधिकांश सूचना आयुक्तों का व्यवहार आपत्तिजनक होता है और सूचना आयुक्तों द्वारा सुनवाइयों के दौरान प्रायः ही महिला आरटीआई आवेदकों के समक्ष महिलाओं की शालीनता को भंग करने वाले शब्दों का खुलकर प्रयोग किया जाता है. उर्वशी ने बताया कि सूचना आयोग में महिला यौन उत्पीडन जांच समिति बनने के बाद महिलाएं को अपने उत्पीडन की शिकायतें करने का एक मंच मिल जायेगा और शिकायतों के डर से सूचना आयुक्तों का व्यवहार भी सुधरने की उम्मीद की जा सकती है साथ ही साथ सुनवाइयों की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू होने के बाद  सूचना आयुक्त आरटीआई आवेदकों से दुर्व्यवहार नहीं कर पायेंगे . बकौल उर्वशी, यदि वे उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग और महिला यौन उत्पीडन जांच समिति का गठन कराने में कामयाब हो जाती हैं तो उनका और उनके साथी तनवीर का पुलिस हिरासत में रहना सार्थक हो जाएगा.  
 

 
©TAHRIR
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Sanjay Sharma is a Lucknow based freelancer and President at TAHRIR. He can be contacted at associated.news.asia@gmail.com Mobile/Whatsapp No. 7318554721.

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Monday 11 July, 2016

यूपी : उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के लखनऊ दौरे से पहले आरटीआई कार्यकर्ताओं की ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों के चलते आपातकाल जैसे हालात.


Lucknow/11 July 2016/

उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के नए भवन का उद्घाटन करने आने वाले उपराष्ट्रपति के विरोध की येश्वर्याज सेवा संस्थान की घोषणा से बौखलाए शासन-प्रशासन ने लखनऊ के आरटीआई कार्यकर्ताओं के लिए आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर दी.एक तरफ येश्वर्याज की सचिव और समाजसेविका उर्वशी शर्मा को तो महिलाओं की गिरफ्तारी के सम्बन्ध में उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों को खूंटी पर टांगकर रात 09 बजे एसएसपी लखनऊ से कल के कार्यक्रम के पास देने के सम्बन्ध में बातचीत कराने की झूंठी बात कहकर हजरतगंज महिला थाने ले जा कर नज़रबंद कर दिया गया तो वहीं येश्वर्याज के कोषाध्यक्ष और आरटीआई कार्यकर्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी को पहले खंदारी बाजार पुलिस चौकी, फिर  थाना विभूतिखंड गोमतीनगर,फिर चिनहट थाने ले जाया गया और फिर अंत में कैसरबाग थाने में नज़रबंद कर दिया गया. खबर लिखे जाने तक उर्वशी और तनवीर नज़रबंद थे.
येश्वर्याज के सदस्य और वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता अशोक कुमार गोयल के घर के बाहर पुलिस की जबरदस्त घेराबंदी करके उनको कल रात से उनके घर में ही नज़रबंद  करके रखा गया है तो वहीं कल रात से ही हरपाल सिंह, संजय आज़ाद सहित अनेकों आरटीआई कार्यकर्ताओं को अवैध हिरासत में लेने के लिए पुलिस उनके घरों पर लगातार दबिश दे रही है.

गौरतलब है कि लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन ने घोषणा की थी कि आज सायं 04:30 बजे संगठन के 2 सदस्य हाथ में काली पट्टी बांधकर उपराष्ट्रपति और कार्यक्रम के अन्य अतिथियों को गुलाब का फूल देकर अपना विरोध व्यक्त करेंगे और संगठन के 2 सदस्य आज ही हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क में पूर्वाह्न 11 बजे से अपराह्न 2 बजे तक अपने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करेंगे.

येश्वर्याज द्वारा एक आधिकारिक विज्ञप्ति जारी करते हुए यूपी के शासन-प्रशासन के इस दमनात्मक कदम को  अभिव्यक्ति की आजादी की हत्या की संघ्या देते हुए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के लखनऊ दौरे से पहले आरटीआई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों, नज़रबंदियों और उनके घरों पर दी जा रही दबिशों को आपातकाल की संज्ञा दी और शासन-प्रशासन के इन दमनात्मक क़दमों की भर्त्सना की है.

बताते चलें कि लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान विगत 2 वर्षों से  उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में महिला यौन-उत्पीडन मामलों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार विशाखा समिति बनाने और आयोग की सभी कार्यवाहियों की शत-प्रतिशत वीडियो रिकॉर्डिंग कराने,इन रिकॉर्डिंग्स को आईटी एक्ट में प्राविधानित समय तक संरक्षित रखकर किसी भी पक्ष द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध कराने की व्यवस्थाएं कराने की मुहिम चला रहा है और उपराष्ट्रपति का विरोध भी इसी मुहिम का एक हिस्सा था.

ऐसे में अगर सरकार पूरा जोर लगाकर  आरटीआई कार्यकर्ताओं को आरटीआई भवन और हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा गांधी पार्क जाने से बलपूर्वक रोककर मात्र 2 आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा किये जाने वाले आज के सांकेतिक विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम को रोक भी लेती है तो भी क्या सरकार के यह दमनात्मक कदम उसकी असफलता को खुद-ब-खुद बयाँ नहीं कर रहे हैं और क्या आरटीआई कार्यकर्ताओं की ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों ने उस पारदर्शिता कानून की ही हत्या नहीं कर दी है जिसके संरक्षण के लिए बने आरटीआई  भवन का उद्घाटन करने उपराष्ट्रपति,राज्यपाल और मुख्यमंत्री आ रहे हैं.



Sunday 10 July, 2016

कल उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के लखनऊ आगमन पर येश्वर्याज ने 2 स्थानों पर की उपराष्ट्रपति के विरोध की तैयारी.



 


विशेष समाचार का सार  ©TAHRIR : उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के कल लखनऊ आगमन पर सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान ने 2 स्थानों पर उपराष्ट्रपति के विरोध की तैयारी की है. संगठन की तरफ से इस सम्बन्ध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ दायर याचिका की सुनवाई कल ही कराने के लिए न्यायालय में अर्जी देने की बात भी कही जा रही है.

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Wednesday 6 July, 2016

UP:सूचना आयुक्त अरविन्द बिष्ट समेत 6 के खिलाफ आपराधिक मुकद्दमा दर्ज



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विशेष समाचार का सार  ©yaishwaryaj: बीते कल लखनऊ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता तनवीर अहमद सिद्दीकी द्वारा लखनऊ की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संध्या तिवारी के सम्मुख प्रस्तुत की गयी एक अर्जी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने स्वीकार किया है और उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त अरविन्द सिंह बिष्ट समेत आधा दर्जन व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की आधा दर्जनसे अधिक धाराओं और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत आपराधिक परिवाद दर्ज करने का आदेश पारित करते हुए वादी तनवीर अहमद सिद्दीकी को आगामी 4 अगस्त को अदालत के समक्ष उपस्थित होकर अपने बयान दर्ज कराने का आदेश दिया है.  
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UP : राजभवन को भी लग गयी भ्रष्टाचार की दीमक.





विशेष समाचार का सार  ©TAHRIR : उत्तर प्रदेश की सरकारी व्यवस्थाओं से व्यथित आमजन यूपी के राजभवन को अपनी आख़िरी उम्मीद के रूप में देखता है पर यूपी का राजभवन भी लगता है कि अब यह राजभवन भी भ्रष्टाचार की गिरफ्त में आ गया है जहाँ किसी व्यक्ति द्वारा घूस की रकम सहर्ष दे देने पर शिकायती पत्रों के साथ प्रस्तुतकर्ता के पहचान पत्र की प्रति संलग्न न होने पर भी पत्र प्राप्त किये जा रहे हैं किन्तु घूस की रकम न देने पर प्रस्तुतकर्ता के पहचान पत्र की प्रति की अनिवार्यता बताते हुए बिना पहचान पत्र संलग्न किये पत्र बापस किये जा रहे हैं.
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