Saturday 24 March, 2018

देश के कुल शहीद सैनिकों के 80 फीसद जम्मू-काश्मीर में हताहत : एक्टिविस्ट संजय शर्मा की RTI से हुआ खुलासा l

लखनऊ / 24 मार्च 2018............        
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj

भारत को अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से सटे सूबे जम्मू-काश्मीर की सीमाओं की रक्षा करने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है l  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा भारत सरकार के गृह मंत्रालय में दायर की गई एक आरटीआई पर भारतीय सेना के नई दिल्ली स्थित एकीकृत रक्षा मंत्रालय  के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी और लेफ्टिनेंट कर्नल राजीव गुलेरिया द्वारा दिए गए एक जबाब से खुलासा हो गया है कि पिछले 14 वर्षों में  सीमाओं की रक्षा करते हुए कुल जितने सैनिक पूरे देश में शहीद हुए हैं उनमें से 80 फीसदी सैनिक अकेले जम्मू-काश्मीर में हताहत हुए हैं l  
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To go through original RTI reply, Please click this exclusive weblink http://upcpri.blogspot.in/2018/03/80-rti-l.html 



लोकजीवन में पारदर्शिता,जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में  काम कर रहे देश के नामचीन  समाजसेवियों में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते 20 नवम्बर को भारत सरकार के गृह कार्य मंत्रालय में एक आरटीआई अर्जी देकर इस सम्बन्ध में सूचना माँगी थी l भारतीय सेना के नई दिल्ली स्थित एकीकृत रक्षा मंत्रालय  के केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी और लेफ्टिनेंट कर्नल राजीव गुलेरिया  ने बीती 19 फरवरी  को पत्र जारी कर संजय को सूचना दी है l



गुलेरिया ने संजय को बताया है कि 01 जनवरी 2004 से 31 दिसम्बर 2017 तक की 14 वर्षों की अवधि में देश भर में हुई बैटल कैजुएलटीज़ में कुल 2261 जवान शहीद हुए जिनमें से 1805 जवान अकेले जम्मू-कश्मीर राज्य में हुई बैटल कैजुएलटीज़ में शहीद हुए l अगर बात किसी एक साल की बैटल कैजुएलटीज़ की जाए तो इस RTI जबाब के अनुसार साल 2004 में  पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय में देश में सर्वाधिक 354 सैनिक शहीद हुए और इसी साल जम्मू-काश्मीर में सर्वाधिक 302 सैनिक शहीद हुए हैं तथा  साल 2013 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ही समय में देश में सबसे कम 75 सैनिक शहीद हुए और इसी साल जम्मू-काश्मीर में भी सबसे कम 58 सैनिक शहीद हुए हैं l बैटल कैजुएलटीज़ में देश के कुल शहीद सैनिकों की तुलना में साल 2015 में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समय में सबसे कम 63 फीसद सैनिक जम्मू-काश्मीर में हताहत हुए हैं तो वहीं देश के कुल शहीद सैनिकों की तुलना में पिछले साल 2017 में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही समय में सबसे अधिक  95 फीसद सैनिक अकेले जम्मू-काश्मीर में हताहत हुए हैं l


गुलेरिया ने संजय को यह भी बताया है कि 01 जनवरी 2004 से 31 दिसम्बर 2017 तक की 14 वर्षों की अवधि में देश भर में हुई फिजिकल कैजुएलटीज़ में कुल 19131 जवान शहीद हुए l अगर बात किसी एक साल की फिजिकल कैजुएलटीज़ की जाए तो इस RTI जबाब के अनुसार साल 2010   में मनमोहन सिंह के समय देश में सर्वाधिक   1530   सैनिक शहीद हुए और बीते साल नरेंद्र मोदी के समय  2017 में  सबसे कम  1210 सैनिक हताहत हुए हैं l


सुरक्षा बलों और सैनिकों के जीवन को अनमोल बताते हुए आरटीआई विशेषज्ञ संजय शर्मा ने अपने अपंजीकृत संगठन ‘तहरीर’ की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र  लिखकर पकिस्तान सीमा विवाद सुलझाने और जम्मू कश्मीर समस्या का स्थाई समाधान खोजकर शहीद सैनिकों की संख्या में कमी लाने की मांग रखने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा से की गई एक  एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma  
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj
( Note - This news item can be copy pasted free of charge if used without editing. This news item can be used free of charge with edits but only with proper reference of either of yaishwaryaj blog or name of this freelance journalist. News author can be contacted at mobile number is 8081898081 or email  urvashi.sharma@journalist.com )


Thursday 22 March, 2018

लखनऊ लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान MRI मशीन हादसा : गलती UP CM योगी के मंत्री के गनर की पर सजा मिली आम जनता को : RTI खुलासा l



जानिये UP CM योगी के मंत्री के गनर की गलती से डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान को हुआ कितना नुकसान ? कितने मरीज नहीं करा पाए MRI ? क्या दर्ज हुई कोई FIR ? आखिर क्यों नहीं सार्वजनिक की जा रही है जाँच रिपोर्ट ?    

लखनऊ / 21 मार्च 2018............        
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की वह घटना तो आपको याद होगी ही जिसमें प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के खादी ग्रामोद्योग मंत्री कानपुर के सत्यदेव पचौरी के गार्ड मुकेश शर्मा ने चिकित्सकीय प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते हुए MRI कक्ष में पिस्टल के साथ प्रवेश किया था और पांच करोड़ रुपए से अधिक की कीमत वाली एमआरआई मशीन को खराब कर दिया था l लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने तब इस घटना की FIR लिखाने और जांच कराकर दोषियों को दण्डित कराने जैसी बड़ी-बड़ी बातें कीं थीं लेकिन जैसा कि सत्ताधारी मंत्रियों के मामले हमेशा से होता आया है वैसे ही इस मामले में कार्यवाही के नाम पर महज 2  चिट्ठियां लिखकर मामले की लीपापोती  कर दी गई है और अभी तक किसी को भी दण्डित नहीं किया गया है l योगी के    मंत्री के गनर की गलती से लोहिया संस्थान 69 लाख से अधिक का नुकसान तो हुआ ही है साथ ही साथ MRI कराने की लाइन में लगे 213 मरीज सीधे-सीधे  प्रभावित हुए हैं पर अभी तक घटना की कोई FIR दर्ज नहीं हुई है l जनता के टैक्स के 69 लाख से ज्यादा रुपये गटर में चले गए पर लोहिया संस्थान ने घटना के सम्बन्ध में कराई कई जांच की रिपोर्ट को RTI में मांगे जाने पर भी देने से इनकार कर दिया है l   चौंकाने वाला यह खुलासा सूबे  की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा  लोहिया संस्थान के  कार्यालय में  दायर की गई एक आरटीआई पर लोहिया संस्थान के निदेशक प्रोफेसर दीपक मालवीय द्वारा दिए गए जबाब से हुआ है l
मूल आरटीआई आवेदन और जवाब देखने के लिए इस एक्सक्लूसिव वेबलिंक  http://upcpri.blogspot.in/2018/03/up-69-213-fir-rti-l.html   को क्लिक करें l


बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता,जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन  कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के जून  महीने की 5  तारीख को  यूपी के लोहिया संस्थान  के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर खादी ग्रामोद्योग मंत्री गार्ड की पिस्टल से लोहिया संस्थान की  एमआरआई मशीन खराब होने के सम्बन्ध में 11 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l संजय ने MRI मशीन से जांच कराने वाले और मशीन से जांच कराने की वेटिंग में लगे मरीजों की संख्या,मंत्री की बीमारी,मंत्री के गार्ड को पिस्टल के साथ प्रवेश देने की गलती करने वाले अधिकारियों के नाम, घटना की FIR, घटना की बजह से हुए नुकसान और घटना की जांच रिपोर्ट की प्रति आदि की सूचना माँगी थी l   हालाँकि आरटीआई एक्ट के तहत सूचना देने के लिए अधिकतम 30 दिन की अवधि निर्धारित है लेकिन अधिकारी योगी सरकार के रसूखदार मंत्री के नाम के चलते सूचना छुपाने के लिए लगातार RTI एक्ट का उल्लंघन करते रहे l जब लोहिया संस्थान में प्रथम अपील के बाद भी सूचना नहीं मिली तब निराश संजय ने बीती साल 31 अक्टूबर को मामला उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग पहुंचा दिया l सूचना आयोग के नोटिस के बाद लोहिया संस्थान के निदेशक ने बैक डेट में बीती 20 जनवरी को पत्र जरी किया है जो संजय को डाक के माध्यम से हाल ही में प्राप्त हुआ है l


निदेशक दीपक मालवीय ने संजय को बताया है कि घटना के दिन बीती 2 जून को ही MRI जांच की वेटिंग में लगे 20 मरीजों को बिना जांच हॉस्पिटल से बापस जाना पड़ा l मशीन के 16 दिन खराब रहने और इस से वेटिंग में लगे 213 मरीजों के प्रभावित होने की बात भी संजय को बताई गई है l MRI की जांच रूम में प्रवेश से पूर्व किसी धातु का प्रवेश न होने देने के लिए एडिशनल प्रोफेसर डा. गौरव राज, जूनियर रेजिडेंट डा. अशोक कुमार गौतम, रेडियोग्राफर दीपक जोशी और अटेंडेंट राम नरेश की ड्यूटी होने की बात भी संजय को बताई गई है l घटना के सम्बन्ध में FIR लिखाने के लिए निदेशक द्वारा घटना के अगले दिन 3 जून को विभूतिखंड के थानाध्यक्ष को पत्र लिखने पर घटना की FIR दर्ज होने या न होने की सूचना संस्थान को नहीं होने की बात भी संजय को बताई गई है l घटना की जांच के लिए लोहिया संस्थान के निदेशक द्वारा कार्डियोलॉजी विभाग के डीन एवं विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मुकुल मिश्रा की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय जांच समिति भी 3 जून को बनाने की बात कहते हुए मालवीय ने जांच रिपोर्ट को गोपनीय बताते हुए RTI में देने से मना कर दिया है l मालवीय ने संजय को बताया है कि घटना से संस्थान को 69 लाख 3 हज़ार रुपयों का आर्थिक नुकसान हुआ है l मंत्री की बींमारी को उनकी निजता बताते हुए मंत्री के इलाज़ की सूचना  संजय को नहीं दी गई है l


एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने एक विशेष बातचीत में इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा को  बताया कि नियमानुसार 1 महीने में मिल जाने वाली सूचना उन्हें 7 महीने बाद भी नहीं मिली जो  दुर्भाग्यपूर्ण है l बकौल संजय सूचना आम जनता के टैक्स के पैसों से खरीदी गई मशीन को मंत्री के दिखावे के चलते अकारण हुए नुकसान और मशीन खराब होने से गंभीर बीमारियों से जूझ रही आम जनता को हुई परेशानियों  जैसे संवेदनशील मुद्दे से जुड़ी थी जिसे संस्थान को स्वतः स्फूर्त रूप से सार्वजनिक करना चाहिए था लेकिन संस्थान   द्वारा  RTI के तहत सूचना देने के स्थान पर लगातार सूचना छुपाने के लिए प्रयासरत रहने से स्पष्ट है कि लोहिया प्रशासन ने योगी सरकार के मंत्री के गनर और अपने अकर्मण्य स्टाफ को बचाने के लिए काम किया है और  महज़ 2 चिट्ठियां लिखकर खानापूर्ति की है और मामले को ठन्डे बस्ते में डाल दिया है l सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने के लिए विश्वविख्यात संजय ने लोहिया प्रशासन पर  योगी सरकार के दबाब में काम करने का आरोप लगाते हुए प्रकरण की FIR लिखाने के लिए और  निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों को दण्डित कराने के लिए कोई भी ठोस कार्यवाही नहीं करने का भी गंभीर आरोप भी लगाया है l

संजय ने अपने पंजीकृत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के संस्थापक अध्यक्ष  की हैसियत से CM योगी आदित्यनाथ को पत्र  लिखकर  मामले में FIR लिखाकर विधिक कार्यवाही कराने और मामले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करा कर उस पर कार्यवाही कराने और  दोषियों को दण्डित कराकर 69 लाख 3 हज़ार रुपयों की बसूली दोषियों से कराने की मांग रखने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा से की गई एक  एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma  
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj
( Note - This news item can be copy pasted free of charge if used without editing. This news item can be used free of charge with edits but only with proper reference of either of yaishwaryaj blog or name of this freelance journalist. News author can be contacted at mobile number is 8081898081 or email  urvashi.sharma@journalist.com )


राफेल विमान से जुडी की कोई भी जानकारी RTI में नहीं देगी NDA सरकार l

News Summary : राफेल विमान खरीद को UPA सरकार ने नहीं किया था कोई करार और देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर सेना को कमजोर करने और सेना का आधुनिकीकरण रोके रखने के आरोपों का कोई प्रमाण नहीं : RTI खुलासा l राफेल विमान से जुडी की कोई भी जानकारी RTI में नहीं देगी NDA सरकार l कांग्रेस पार्टी और भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण दोनों झूंठी : RTI खुलासा l



लखनऊ / 22 मार्च 2018............        
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj

राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी  और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर लम्बे समय से जारी है l बताते चलें कि वायुसेना की मांग पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने 126 लड़ाकू विमान खरीदने का   प्रस्ताव सबसे पहले रखा था l बाद में  UPA सरकार ने  रक्षा  खरीद परिषद बनाकर इस प्रस्ताव को आगे बढाया  जिसके मुखिया तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी  ने अगस्‍त 2007 में 126 एयरक्राफ्ट की खरीद को मंजूरी दी l  इसके बाद  बोली लगने की प्रक्रिया शुरू हुई और  आखिरकार 3 हजार 800 किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम 126 राफेल विमानों की खरीद का आरएफपी मीडियम मल्‍टी-रोल कॉम्‍बेट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) कार्यक्रम के अंतर्गत जारी किया गया l  एमएमआरसीए के कॉम्पिटीशन में अमेरिका के बोइंग एफ/ए-18ई/एफ सुपर हॉरनेट, फ्रांस का डसॉल्‍ट राफेल, ब्रिटेन का यूरोफाइटर, अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन एफ-16 फाल्‍कन, रूस का मिखोयान मिग-35 और स्वीडन के साब जैस 39 ग्रिपेन जैसे एयरक्राफ्ट शामिल थे l  कम कीमत और सस्ते रखरखाव की बात कहते हुए इन छह फाइटर जेट्स के बीच राफेल को  चुना गया l भारतीय वायुसेना ने कई विमानों के तकनीकी परीक्षण और मूल्यांकन किए और साल 2011 में  राफेल और यूरोफाइटर टाइफून को मानदंडों  पर खरा पाया गया और साल 2012 में राफेल को एल-1 बिडर घोषित किया गया और इसके मैन्युफैक्चरर दसाल्ट ए‍विएशन के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर बातचीत शुरू हुई. लेकिन आरएफपी अनुपालन,लागत और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे  कई मुद्दों पर गतिरोध की वजह से साल 2014 में UPA सरकार के समय तक यह बातचीत अधूरी ही रही l साल 2014 में  नरेंद्र मोदी सरकार ने इस दिशा में फिर से प्रयास शुरू किया और  पीएम की फ्रांस यात्रा के दौरान साल 2015 में भारत और फ्रांस के बीच 36 फ्लाइ-अवे यानी उड़ान के लिए तैयार राफेल विमान  हासिल करने और दोनों देश विमानों की आपूर्ति की शर्तों के लिए एक अंतर-सरकारी समझौता करने की सहमति बनी l कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद दोनों देशों के बीच 2016 में आईजीए समझौता हुआ है l एनडीए सरकार ने दावा किया है कि उसने यह सौदा यूपीए से कम  कीमत में करके  12,600 करोड़ रुपये से ज्यादा बचाए हैं जबकि कोंग्रेस  का कहना है कि यूपीए ने 126 विमानों का सौदा  54,000 करोड़ रुपये में किया था जबकि मोदी सरकार सिर्फ 36 विमानों के लिए 58,000 करोड़ रुपये खर्च रही है l अब सूबे  की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा  भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में दायर की गई एक आरटीआई पर वायु सेना मुख्यालय ने जो जबाब दिया है उससे राफेल विमान से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं l  

मूल आरटीआई आवेदन और जवाब देखने के लिए इस एक्सक्लूसिव वेबलिंक   http://upcpri.blogspot.in/2018/03/rti-l.html   को क्लिक करें l


बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता,जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन  समाजसेवियों ओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के नवम्बर महीने की 20 तारीख को  भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में एक RTI दायर करके राफेल विमान सौदे आदि के सम्बन्ध में 11 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l रक्षा मंत्रालय की सेक्शन ऑफिसर ( RTI) मंजू बिष्ट ने बीती साल 21 दिसम्बर को संजय की आरटीआई अर्जी वायु सेना मुख्यालय को अंतरित की थी l अब वायु सेना मुख्यालय की केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी और विंग कमांडर सुमन अधिकारी ने संजय को जो सूचना दी है वह बेहद चौंकाने वाली है l


फ्रांस की कंपनी दसौल्ट एविएशन और भारत सरकार के बीच राफेल विमान खरीदने के लिए UPA सरकार के समय हुए करार,NDA सरकार के समय हुए करार,परिचालित पत्रावलियों,सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी की बैठकों के कार्यवृत्तों, भारत में जहाज बनाने की जिम्मेदारी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड HAL की जगह रिलायंस डिफेन्स लिमिटेड को देने के करार और NDA सरकार के समय किये गए सौदे में प्रति विमान कीमत की सूचना को गोपनीय प्रकृति की सूचना बताते हुए सुमन ने एक्टिविस्ट संजय को बताया है कि इस सूचना के सार्वजनिक करने से यह सूचना देश के दुश्मनों तक पंहुचेगी जिसका सीधा असर देश की सुरक्षा और रणनीतिक हितों पर पड़ेगा l सुमन ने यह भी बताया है कि यह सूचना वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार गोपनीयता अथवा बौद्धिक सम्पदा से सम्बंधित है जिसके प्रगटन से  विदेशी सरकार के बिश्वास पर भारत से जुड़े  तृतीय पक्ष दसौल्ट एविएशन की प्रतियोगी स्थिति को हानि पंहुचेगी और आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8(1)(a),(d) & (f) के तहत सूचना देने से मना कर दिया है l




संजय को दी गई सूचना के अनुसार पूर्ववर्ती UPA सरकार के कार्यकाल में राफेल विमान खरीद के सम्बन्ध में कोई करार नहीं किया गया था l राफेल विमानों का निर्माण भारत में करने के लिए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किये गए करार, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किये गए करार को रद्द करने और रिलायंस डिफेन्स लिमिटेड द्वारा किये गए करार की कोई भी सूचना रक्षा मंत्रालय और वायु सेना मुख्यालय में नहीं होने की बात भी संजय को बताई गई है l



देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पूर्ववर्ती UPA सरकार पर 10 वर्षों तक वायुसेना सहित रक्षा तैयारियों पर ध्यान नहीं देने और रक्षा आधुनिकीकरण को रोके रखने संबंधी आरोपों के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य रक्षा मंत्रालय और वायुसेना मुख्यालय में नहीं होने की बात भी संजय को बताई गई है l



सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने के लिए विश्वविख्यात संजय कहते हैं कि एक तरफ कांग्रेस राफेल सौदे के सम्बन्ध में बिना कोई करार किये ही करार करने की बात कहकर आम जनता को गुमराह कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी अन्य सूचनाएं सार्वजनिक करना तो दूर की बात है, एक  राफेल विमान की कीमत तक बताने से मुंह छुपाकर जनता को सरकार की ईमानदारी पर शक करने का मौका दे रहे हैं तथा  देश की रक्षा मंत्री संभवतः क्षुद्र राजनैतिक लाभ के लिए अपने पद की गरिमा को गिराकर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्मिता से जुड़े संवेदनशील मामले में भी झूंठे और निराधार आरोप लगाने से  गुरेज नहीं कर रही हैं  l संजय ने राजनैतिक दलों और व्यक्तियों के इस प्रकार के कृत्यों को निंदनीय करार दिया है l



एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने एक विशेष बातचीत में इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा को  बताया कि राफेल विमान सौदा विवादग्रस्त हो गया है और ऐसे में केंद्र सरकार का यह दायित्व है कि वह इस विमान सौदे के वित्तीय पक्ष की समस्त सूचनाएं खुद-ब-खुद पब्लिक डोमेन में डाले ताकि देश के सबा सौ करोड़ से अधिक नागरिकों का सरकार पर विश्वास कायम रहे l कांग्रेस और भारत की रक्षामंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से बोले गए झूंठ पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग उठाने संबंधी पत्र अपने पंजीकृत सामाजिक संगठन तहरीर के माध्यम से कांग्रेस अध्यक्ष और देश की रक्षा मंत्री को भेजने की बात कहते हुए संजय ने माँगी गई सूचनाओं को व्यापक लोकहित की सूचनाएं बताया है और  सूचनाओं को सार्वजनिक कराने के लिए मामले में अपील डालने की बात कही है l




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News written by freelance journalist Urvashi Sharma  
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Monday 19 March, 2018

यूपी : गोरखपुर के मृत मासूमों को न्याय दिलाने के मुद्दे पर कटघरे में CM योगी और बीजेपी सरकार l

लखनऊ / 19 मार्च 2018............        
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj

हाल में हुए लोकसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी सीएम योगी के गृहजनपद गोरखपुर की वह सीट भी गँवा चुकी है जिस पर दशकों से पार्टी का कब्ज़ा था l चर्चा आम है कि गोरखपुर में बीजेपी की करारी हार के पीछे गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बीते साल अगस्त महीने में ऑक्सीजन की कमी से मारे गए मासूमों और उनके सिसकते परिवारों की आह ने अहम रोल प्ले किया है l बहरहाल बीजेपी की गोरखपुर में हार के पीछे कारण चाहे जो भी रहे हों पर सूबे  की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा  मुख्य सचिव  कार्यालय में  दायर की गई एक आरटीआई को हैंडल करने में  योगी सरकार ने जिस संवेदनहीनता का परिचय दिया है उससे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उनके अगुआई वाली सरकार योगी के गृहजनपद में हुए इस भीषण काण्ड के पीड़ितों को न्याय दिलाने के मुद्दे पर कटघरे में खड़े नज़र आ रहे हैं l


मूल आरटीआई आवेदन और जवाब देखने के लिए इस एक्सक्लूसिव वेबलिंक  http://upcpri.blogspot.in/2018/03/cm-l.html  को क्लिक करें l


बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता और जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन  कार्यकर्ताओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के अगस्त महीने की 14  तारीख को  यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मासूमों की मौतों के सम्बन्ध में वित्तीय वर्ष 2017-18 के सम्बन्ध में 9 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l संजय ने मेडिकल कॉलेज की ऑक्सीजन सप्लाई,घटना की मजिस्ट्रेटी जांच, मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाई पॉवर जांच, मारे गए बच्चों की पोस्ट मोरटम रिपोर्ट,प्राइवेट संस्थानों से खरीदी गई ऑक्सीजन और घटना के दोषियों को दिए गए दंड की सूचना माँगी थी l मुख्य सचिव कार्यालय के अनु सचिव एवं  जन सूचना अधिकारी पी. के. पाण्डेय ने संजय का आवेदन बीते साल 21 अगस्त  को उत्तर प्रदेश शासन के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को ट्रान्सफर किया था l  हालाँकि आरटीआई एक्ट के तहत सूचना देने के लिए अधिकतम 30 दिन की अवधि निर्धारित है लेकिन योगी सरकार ने मासूमों की मौत से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर निहायत असंवेदनशील रुख अपनाया और सूचना छुपाने के लिए RTI एक्ट का उल्लंघन तक कर दिया l निराश संजय ने बीती साल 5 अक्टूबर को मामला उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग पहुंचा दिया l बीती फरवरी में सूचना आयोग के नोटिस के बाद सूबे के चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के महानिदेशक कार्यालय की सम्बद्ध अधिकारी और जन सूचना अधिकारी प्रभा वर्मा ने बीती 6 फरवरी को संजय का आवेदन गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को अंतरित किया है l मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने बीती 6 फरवरी को पत्र लिखकर सूचना देने के लिए 15 अतिरिक्त दिनों की मांग की है परन्तु अभी तक संजय को कोई भी सूचना नहीं दी  है l




एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने एक विशेष बातचीत में इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा को  बताया कि नियमानुसार 30 दिन में मिल जाने वाली सूचना उन्हें 210 दिन बाद भी नहीं दी गईं  हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है l बकौल संजय सूचना मुख्यमंत्री के गृह-जनपद में किये गए भ्रष्टाचार की बजह से हुई मासूमों की मौतों जैसे संवेदनशील मुद्दे से जुड़ी थी जिसे सरकार को स्वतः स्फूर्त रूप से सार्वजनिक करना चाहिए था लेकिन सरकार द्वारा RTI के तहत भी सूचना देने के स्थान पर लगातार सूचना छुपाने के लिए प्रयासरत रहने से स्पष्ट है कि योगी सरकार ने इस भयावह मौतकाण्ड के मीडिया में लीक होने पर उस समय जांच बैठाने के नाम पर महज खानापूर्ति की थी और सरकार ने बाद में दोषियों को बचाने के लिए मामले की जांचों को ठन्डे बस्ते  में डाल दिया  है l सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने के लिए विख्यात संजय ने इस आधार पर यूपी की सरकार और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर के मृत मासूमों को न्याय दिलाने के मुद्दे पर पर कटघरे में खड़ा कर दिया है l


एक संत की कथनी करनी में अंतर नहीं होने की बात कहते हुए समाजसेवी संजय ने संत से मुख्यमंत्री बने योगी आदित्यनाथ से उच्च अपेक्षाओं की बात कही है और अपने पंजीकृत सामाजिक संगठन ‘तहरीर’ के संस्थापक अध्यक्ष  की हैसियत से पत्र  लिखकर योगी से मामले में स्वयं दखल देकर गोरखपुर के मृत मासूमों को न्याय दिलाने की मांग रखने की बात इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा से की गई एक  एक्सक्लूसिव वार्ता में कही है l
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News written by freelance journalist Urvashi Sharma  
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