Wednesday 29 April, 2015

सूचना आयोगों में सिटीज़न चार्टर लागू कर सूचना आयुक्तों के कार्यों एवं आचरण के मानक निर्धारित करने और आयोगों में मामलों के पंजीकरण और निस्तारण के लिए समय सीमा निर्धारित करने की माँग

http://upcpri.blogspot.in/2015/04/blog-post_29.html

Press Note.18-04-15."लोकतंत्र रक्षक है आरटीआई एक्टिविस्ट". "सुशासन की
मास्टर-चाभी है आरटीआई." "आरटीआई कमजोर तो लोकतंत्र कमजोर." "इन्फो
डिलेड इस इन्फो डिनाइड." "आरटीआई किल्स टू."..... यह बानगी है उन नारों
की जो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में देश भर केसे आए आरटीआई
कार्यकर्ताओं ने अपने संबोधनों में कहे. मौका था सामाजिक संगठन
येश्वर्याज सेवा संस्थान की ओर से आयोजित किए जाने बाले 'विष्णु दत्त
मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान समारोह 2015' और 'आरटीआई एक्ट संरक्षक
के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता' विषयक
राष्ट्रीय विचार गोष्ठी का जिसमें देश के 29 सूचना आयोगों के
संगठन,परिश्रम,क्षमता पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया और आयोगों के
कार्यों और मूल्यांकन कर रिपोर्ट कार्ड बनाया गया. इस मौके पर आरटीआई
कार्यकर्ताओं द्वारा सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने हेतु
सुझाव दिए गये जिनमें से साझे सुझाव इस संस्था द्वारा देश के सभी 29
सूचना आयोगों को प्रेषित किए जाएँगे.


देशवासियों के 15 वर्षों के कठिन प्रयासों से मिला आरटीआई एक्ट लागू
होने के दसवें वर्ष में ही अपनी धार खोता नज़र आ रहा है ऐसे में यह सबाल
उठना लाजिमी है कि आख़िर पारदर्शिता के इस औजार के संरक्षक सूचना आयोगों
ने भारत में आरटीआई के सिस्टम को स्थापित करने और उसे मजबूती देने की
दिशा में क्या काम किया है. यह सबाल पहले भी उठता रहा है और इस बार इस
सबाल को उठाया है कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों से आए देश भर के
सैकड़ों आरटीआई कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के राय
उमानाथ बाली प्रेक्षागृह के जयशंकर प्रसाद सभागार में.


वक्ताओं द्वारा सेमिनार में आरटीआई के परिपेक्ष में निम्नलिखित विचार रखे गये :
"लोकप्रियता की बात करें तो भारत के संविधान के बाद आरटीआई एक्ट सबसे
अधिक लोकप्रिय है . आरटीआई एक्टिविस्ट भी मानवाधिकार कार्यकर्ता ही हैं.
पर अब तक आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमलों के 250 से अधिक मामले प्रकाश में
आ चुके हैं जिनमे से 40 मामले हत्या के है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि
विहिसिल-ब्लोअर क़ानून के बाद भी आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या का
सिलसिला रुक नहीं रहा है जो सरकार की पारदर्शिता और सुशासन के प्रति
वचनबद्धता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है. देश के राजनैतिक दल स्वयं को
आरटीआई से बाहर रखने के लिए हर संभव चालें चल रहे हैं. आरटीआई आवेदनों की
संख्या में बढ़ोत्तरी का कम होना यह बताता है कि नागरिकों में सरकार के
प्रति विश्वास में कमी आ रही है. प्रतिभागी लोकतंत्र की स्थापना के लिए
प्रशासनिक विशेषाधिकारों पर नियंत्रण आवश्यक है पर आरटीआई को कमजोर करना
लोकतंत्र को कमजोर करना है. आज सरकारें पारदर्शिता के प्रति बचनबद्ध नही
रह गयीं हैं और हैं लोकतांत्रिक प्रशासन की स्थापना और समाज के वंचित
वर्ग के हित सुरक्षित रखने के इस सबसे प्रभावी माध्यम की धार को कुन्द
करने में लगीं हैं. महज 0.4प्रतिशत भारतीयों द्वारा प्रयोग किए जाने बाले
इस एक्ट ने सरकारों की चूलें हिला दीं तो सोचिए क्या होगा जब भारत की
अधिसंख्य आवादी इस एक्ट का प्रयोग कर अपने अधिकारों की माँग करेगी, शायद
इसीलिए सरकारें इस एक्ट के प्रचार प्रसार के प्रति सोची-समझी रणनीति के
तहत नितांत उदासीन रवैया अपनाए हुई हैं."


आरटीआई आवेदनों की संख्या का रिकॉर्ड रखने का कोई भी सरकारी तंत्र नहीं
है और इसीलिए आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले के मामलों की सही संख्या भी
मालूम नहीं है.इस पर क्षोभ प्रगट करते हुए वक्ताओं ने माँग रखी कि आरटीआई
एक्टिविस्टो द्वारा अपने उत्पीड़न के संबंध में दी गयी शिकायतों पर
तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही होने हो और सुरक्षा
संबंधी अग्रिम आदेशों के लिए यह प्रथम सूचना रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर
मॅजिस्ट्रेट के सामने पेश हो तथा मामले की जाँच पुलिस उपाधीक्षक स्तर का
अधिकारी करे, मामला फास्ट ट्रॅक कोर्ट में चले और सूचना देने में देरी के
उत्तरदायी सभी लोकसेवक जब तक निर्दोष साबित न हों, सह-अपराधी माने
जायें. आरटीआई कार्यकर्ताओं को 'गवाह सुरक्षा अधिनियम' के तहत सुरक्षा
दिए जाने की माँग भी उठाई गयी.


वक्ताओं ने कहा "90 प्रतिशत आयोगों के मुख्य आयुक्त सेवानिवृत्त सिविल
सर्वेंट हैं. यह डोरभाग्यपूर्ण है कि नौकरशाही मानसिकता के खिलाफ लड़ने
के लिए बनाए गये आरटीआई क़ानून के दो तिहाई संरक्षक सेवानिवृत्त नौकरशाह
हैं जो चिंता का विषय है. सरकारों द्वारा आयुक्तों की नियुक्तियों में
नमित शर्मा प्रकरण में उच्च्तम न्यायालय द्वारा दिए गये अनिवार्य
निर्देशों का भी अनुपालन नही किया जाना चिंताजनक है.भाई-भतीजावाद में
लिप्त सरकारों द्वारा सत्ता के चापलूसों को इस 'हाथ ले और इस हाथ दे' के
लिए आयुक्त बनाया जा रहा है.आयोगों द्वारा अपनी अक्षमता छुपाने के लिए
लंबित मामलों और आयोगों के आदेशों को जारी ही नही किया जा रहा है. कुछ
मामलों में तो आरटीआई के मुक़ाबले अन्य माध्यमों से सूचना पाना आसान है.
सूचना आयोगों में मानवाधिकारों का जमकर हनन किया जा रहा है .सूचना
आयुक्तों को जनता के साथ रहकर गुण-दोष के आधार पर सरकार के खिलाफ लड़ना
है पर आयुक्त आँख बंद करके सरकार के साथ होकर जनता से ही लड़ रहे
हैं.सूचना आयुक्तों को उच्च पदीय समकक्षता उच्च ज़िम्मेवारियों का एहसास
करने और शक्ति के सही प्रयोग के लिए दी गयीं थी न कि आम जनता का उत्पीड़न
करने के लिए.सरकारें आरटीआई की धार को सीनाज़ोरी से बापस नहीं ले सकतीं
है सो अब चोरी से बापस ले रहीं हैं. चापलूस सूचना आयुक्तों को नियुक्त
किया जाना इसी साजिश के हिस्सा है. सूचना आयुक्त इस एक्ट के अधीन सौंपे
गये कार्य करने को वाध्य हैं पर उनमें निहित स्वार्थ और सस्ती लोकप्रियता
के लिए पद के दुरुपयोग की प्रवृत्ति बढ़तीजा रही है. आयोग न्यायालयों की
भाँति मामलों को लंबित रखने के रोग से ग्रसित हो गये हैं. सूचना आयुक्तों
के पदग्रहण से पूर्व उनका प्रशिक्षण आवश्यक है पर बिना प्रशिक्षण के
आयोगों में कार्यरत आयुक्तों की शिथिलता से आरटीआई फेटीग बढ़ रहा है.29
सूचना आयोगों में बैठे 138 सूचना आयुक्त भारत में पारदर्शिता के इस
क़ानून की समय पूर्व मृत्यु का कारण बन रहे हैं."


आँकड़ों पर बोलते हुए वक्ताओं ने कहा "केंद्रीय विभागों से माँगी गयी
आरटीआई में 7 प्रतिशत मामले आयोग जा रहे हैं. राज्यों में यह संख्या अधिक
है.सूचना आयोगों में लंबित मामले 2 लाख से अधिक हैं जिनमें से 25 प्रतिशत
अकेले उत्तर प्रदेश से हैं. 2 प्रतिशत से भी कम मामलों में दंड और 1
प्रतिष्ट से भी कम मामलों में मुआवज़ा दिलाया जा रहा है जबकि आधे से अधिक
मामले दंड लगाने के पात्र होते हैं."


अधिकांश वक्ताओं ने सूचना आयोगों में सिटीज़न चार्टर लागू कर सूचना
आयुक्तों के कार्यों एवं आचरण के मानक निर्धारित करने की माँग की और कहा
कि आयोगों में मामलों के पंजीकरण और निस्तारण के लिए समय सीमा निर्धारित
की जाए.


कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश कमलेश्वर नाथ ने की.
सेवानिवृत्त आई.ए.एस. और पी. आई. एल. एक्टिविस्ट एस. एन. शुक्ल ने मुख्य
अतिथि के रूप में तथा मानवाधिकार कार्यकर्ता और सेवानिवृत्त आइ.पी.एस
एस. आर. दारापुरी विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित हुए और
देश भर से आए आरटीआई कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया.


पारदर्शिता,जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने
में अग्रणी सामाजिक संगठन तहरीर के संस्थापक इंजीनियर संजय शर्मा, जेएनयू
नई दिल्ली के रिसर्च फैलो सुसांता कुमार मलिक, और आरटीआई प्रयोगकर्ताओं
की सुरक्षा के मद्देनज़र गुमनाम आरटीआई दायर करने के लिए शुरू की गयी
विश्वविख्यात पहल 'आरटीआई अनॉनीमस' के संस्थापक सदस्य अवनीश सिंह
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता थे.


कार्यक्रम में लोकेश बत्रा,डा० नीरज कुमार, सलीम बेग, आशीष सागर, उर्वशी
शर्मा,रामस्वरूप यादव सहित देश के सैकड़ों नामी गिरामी आरटीआई
कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने विचारों को साझा कर सूचना आयोगों के कार्यों
का मूल्यांकन किया और सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने हेतु
सुझाव दिए. येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि इन
सुझावों में से साझे सुझाव आयोजक संस्था येश्वर्याज द्वारा देश के सभी 29
सूचना आयोगों को प्रेषित किए जाएँगे.


इस अवसर पर देश में पारदर्शिता के आंदोलन का मजबूती से नेतृत्व करने तथा
विस्तृत लोकहित बाले जनकल्याणकारी कार्यों के लिए आरटीआई का प्रयोग कर
देश को सार्थक परिणाम देने बाले उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता
कोमोडोर लोकेश बत्रा और दिल्ली के समाजसेवी सुभाष चन्द्र अग्रवाल को इस
वर्ष का 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक लाइफटाइम अचीव्मेंट आरटीआई सम्मान
2015' देकर सम्मानित किया गया.


आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाने समेत अनेकों
जनकल्याणकारी कार्यों के लिए आरटीआई का प्रयोग करने बाले उत्तर प्रदेश के
हाथरस जिले के निवासी गौरव अग्रवाल को 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक
आरटीआई रत्न सम्मान 2015' का प्रथम पुरस्कार दिया गया. आरटीआई का प्रयोग
पर्यावरण समेत अन्य ज़मीनी समस्याओं के समाधान के लिए उठाने बाले उत्तर
प्रदेश के बांदा जिले के निवासी आशीष सागर द्वितीय पुरस्कार विजेता बने
तो वही ' समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के आरटीआई द्वारा
सशक्तीकरण' के प्रतिमान बने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के निवासी गुरु
प्रसाद ने तृतीय पुरस्कार जीता.


विगत वर्ष में आरटीआई प्रयोगकर्ताओं के उत्पीड़न की घटनाओं में हुई
बेहताशा बढ़ोत्तरी के मद्देनज़र सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान
ने उत्पीड़न के शिकार ऐसे आरटीआई कार्यकर्ताओं को भी 'विष्णु दत्त
मिश्रा स्मारक आरटीआई बहादुरी सम्मान 2015' प्रदान कर उनकी हौसला-आफजाई
की जिन्होने उत्पीड़न का शिकार होने पर भी विषम परिस्थितिओं का डटकर
मुकाबला किया और पारदर्शिता की मशाल की ज्वाला को मध्यम नही पड़ने दिया.
आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग,अखिलेश सक्सेना,बाल कृष्ण गुप्ता,अशोक कुमार
गोयल,होमेंद्र कुमार,हरपाल सिंह,कमलेश अग्रहरि, केदार नाथ सैनी,महेंद्र
अग्रवाल,अशोक कुमार शुक्ल,नीरज शर्मा और सैयद शारिक़ कमर को उनकी बहादुरी
के लिए आरटीआई बहादुरी सम्मान 2015' प्रदान कर सम्मानित किया गया.


कार्यक्रम में 'कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव' नई दिल्ली की ओर से
उपलब्ध कराई गई आरटीआई मार्गदर्शिका का नि:शुल्क वितरण भी किया गया.

Urvashi Sharma - Secretary-Yaishwaryaj Seva Sansthaan,
Mobile – 9369613513, 8081898081, 9455553838 E-mail rtimahilamanchup@gmail.com

."लोकतंत्र रक्षक है आरटीआई एक्टिविस्ट". "सुशासन की मास्टर-चाभी है आरटीआई." "आरटीआई कमजोर तो लोकतंत्र कमजोर." "इन्फो डिलेड इस इन्फो डिनाइड." "आरटीआई किल्स टू."

http://upcpri.blogspot.in/2015/04/blog-post_29.html

Press Note.18-04-15."लोकतंत्र रक्षक है आरटीआई एक्टिविस्ट". "सुशासन की
मास्टर-चाभी है आरटीआई." "आरटीआई कमजोर तो लोकतंत्र कमजोर." "इन्फो
डिलेड इस इन्फो डिनाइड." "आरटीआई किल्स टू."..... यह बानगी है उन नारों
की जो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में देश भर केसे आए आरटीआई
कार्यकर्ताओं ने अपने संबोधनों में कहे. मौका था सामाजिक संगठन
येश्वर्याज सेवा संस्थान की ओर से आयोजित किए जाने बाले 'विष्णु दत्त
मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान समारोह 2015' और 'आरटीआई एक्ट संरक्षक
के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता' विषयक
राष्ट्रीय विचार गोष्ठी का जिसमें देश के 29 सूचना आयोगों के
संगठन,परिश्रम,क्षमता पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया और आयोगों के
कार्यों और मूल्यांकन कर रिपोर्ट कार्ड बनाया गया. इस मौके पर आरटीआई
कार्यकर्ताओं द्वारा सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने हेतु
सुझाव दिए गये जिनमें से साझे सुझाव इस संस्था द्वारा देश के सभी 29
सूचना आयोगों को प्रेषित किए जाएँगे.


देशवासियों के 15 वर्षों के कठिन प्रयासों से मिला आरटीआई एक्ट लागू
होने के दसवें वर्ष में ही अपनी धार खोता नज़र आ रहा है ऐसे में यह सबाल
उठना लाजिमी है कि आख़िर पारदर्शिता के इस औजार के संरक्षक सूचना आयोगों
ने भारत में आरटीआई के सिस्टम को स्थापित करने और उसे मजबूती देने की
दिशा में क्या काम किया है. यह सबाल पहले भी उठता रहा है और इस बार इस
सबाल को उठाया है कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों से आए देश भर के
सैकड़ों आरटीआई कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के राय
उमानाथ बाली प्रेक्षागृह के जयशंकर प्रसाद सभागार में.


वक्ताओं द्वारा सेमिनार में आरटीआई के परिपेक्ष में निम्नलिखित विचार रखे गये :
"लोकप्रियता की बात करें तो भारत के संविधान के बाद आरटीआई एक्ट सबसे
अधिक लोकप्रिय है . आरटीआई एक्टिविस्ट भी मानवाधिकार कार्यकर्ता ही हैं.
पर अब तक आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमलों के 250 से अधिक मामले प्रकाश में
आ चुके हैं जिनमे से 40 मामले हत्या के है. दुर्भाग्यपूर्ण है कि
विहिसिल-ब्लोअर क़ानून के बाद भी आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या का
सिलसिला रुक नहीं रहा है जो सरकार की पारदर्शिता और सुशासन के प्रति
वचनबद्धता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है. देश के राजनैतिक दल स्वयं को
आरटीआई से बाहर रखने के लिए हर संभव चालें चल रहे हैं. आरटीआई आवेदनों की
संख्या में बढ़ोत्तरी का कम होना यह बताता है कि नागरिकों में सरकार के
प्रति विश्वास में कमी आ रही है. प्रतिभागी लोकतंत्र की स्थापना के लिए
प्रशासनिक विशेषाधिकारों पर नियंत्रण आवश्यक है पर आरटीआई को कमजोर करना
लोकतंत्र को कमजोर करना है. आज सरकारें पारदर्शिता के प्रति बचनबद्ध नही
रह गयीं हैं और हैं लोकतांत्रिक प्रशासन की स्थापना और समाज के वंचित
वर्ग के हित सुरक्षित रखने के इस सबसे प्रभावी माध्यम की धार को कुन्द
करने में लगीं हैं. महज 0.4प्रतिशत भारतीयों द्वारा प्रयोग किए जाने बाले
इस एक्ट ने सरकारों की चूलें हिला दीं तो सोचिए क्या होगा जब भारत की
अधिसंख्य आवादी इस एक्ट का प्रयोग कर अपने अधिकारों की माँग करेगी, शायद
इसीलिए सरकारें इस एक्ट के प्रचार प्रसार के प्रति सोची-समझी रणनीति के
तहत नितांत उदासीन रवैया अपनाए हुई हैं."


आरटीआई आवेदनों की संख्या का रिकॉर्ड रखने का कोई भी सरकारी तंत्र नहीं
है और इसीलिए आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले के मामलों की सही संख्या भी
मालूम नहीं है.इस पर क्षोभ प्रगट करते हुए वक्ताओं ने माँग रखी कि आरटीआई
एक्टिविस्टो द्वारा अपने उत्पीड़न के संबंध में दी गयी शिकायतों पर
तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाही होने हो और सुरक्षा
संबंधी अग्रिम आदेशों के लिए यह प्रथम सूचना रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर
मॅजिस्ट्रेट के सामने पेश हो तथा मामले की जाँच पुलिस उपाधीक्षक स्तर का
अधिकारी करे, मामला फास्ट ट्रॅक कोर्ट में चले और सूचना देने में देरी के
उत्तरदायी सभी लोकसेवक जब तक निर्दोष साबित न हों, सह-अपराधी माने
जायें. आरटीआई कार्यकर्ताओं को 'गवाह सुरक्षा अधिनियम' के तहत सुरक्षा
दिए जाने की माँग भी उठाई गयी.


वक्ताओं ने कहा "90 प्रतिशत आयोगों के मुख्य आयुक्त सेवानिवृत्त सिविल
सर्वेंट हैं. यह डोरभाग्यपूर्ण है कि नौकरशाही मानसिकता के खिलाफ लड़ने
के लिए बनाए गये आरटीआई क़ानून के दो तिहाई संरक्षक सेवानिवृत्त नौकरशाह
हैं जो चिंता का विषय है. सरकारों द्वारा आयुक्तों की नियुक्तियों में
नमित शर्मा प्रकरण में उच्च्तम न्यायालय द्वारा दिए गये अनिवार्य
निर्देशों का भी अनुपालन नही किया जाना चिंताजनक है.भाई-भतीजावाद में
लिप्त सरकारों द्वारा सत्ता के चापलूसों को इस 'हाथ ले और इस हाथ दे' के
लिए आयुक्त बनाया जा रहा है.आयोगों द्वारा अपनी अक्षमता छुपाने के लिए
लंबित मामलों और आयोगों के आदेशों को जारी ही नही किया जा रहा है. कुछ
मामलों में तो आरटीआई के मुक़ाबले अन्य माध्यमों से सूचना पाना आसान है.
सूचना आयोगों में मानवाधिकारों का जमकर हनन किया जा रहा है .सूचना
आयुक्तों को जनता के साथ रहकर गुण-दोष के आधार पर सरकार के खिलाफ लड़ना
है पर आयुक्त आँख बंद करके सरकार के साथ होकर जनता से ही लड़ रहे
हैं.सूचना आयुक्तों को उच्च पदीय समकक्षता उच्च ज़िम्मेवारियों का एहसास
करने और शक्ति के सही प्रयोग के लिए दी गयीं थी न कि आम जनता का उत्पीड़न
करने के लिए.सरकारें आरटीआई की धार को सीनाज़ोरी से बापस नहीं ले सकतीं
है सो अब चोरी से बापस ले रहीं हैं. चापलूस सूचना आयुक्तों को नियुक्त
किया जाना इसी साजिश के हिस्सा है. सूचना आयुक्त इस एक्ट के अधीन सौंपे
गये कार्य करने को वाध्य हैं पर उनमें निहित स्वार्थ और सस्ती लोकप्रियता
के लिए पद के दुरुपयोग की प्रवृत्ति बढ़तीजा रही है. आयोग न्यायालयों की
भाँति मामलों को लंबित रखने के रोग से ग्रसित हो गये हैं. सूचना आयुक्तों
के पदग्रहण से पूर्व उनका प्रशिक्षण आवश्यक है पर बिना प्रशिक्षण के
आयोगों में कार्यरत आयुक्तों की शिथिलता से आरटीआई फेटीग बढ़ रहा है.29
सूचना आयोगों में बैठे 138 सूचना आयुक्त भारत में पारदर्शिता के इस
क़ानून की समय पूर्व मृत्यु का कारण बन रहे हैं."


आँकड़ों पर बोलते हुए वक्ताओं ने कहा "केंद्रीय विभागों से माँगी गयी
आरटीआई में 7 प्रतिशत मामले आयोग जा रहे हैं. राज्यों में यह संख्या अधिक
है.सूचना आयोगों में लंबित मामले 2 लाख से अधिक हैं जिनमें से 25 प्रतिशत
अकेले उत्तर प्रदेश से हैं. 2 प्रतिशत से भी कम मामलों में दंड और 1
प्रतिष्ट से भी कम मामलों में मुआवज़ा दिलाया जा रहा है जबकि आधे से अधिक
मामले दंड लगाने के पात्र होते हैं."


अधिकांश वक्ताओं ने सूचना आयोगों में सिटीज़न चार्टर लागू कर सूचना
आयुक्तों के कार्यों एवं आचरण के मानक निर्धारित करने की माँग की और कहा
कि आयोगों में मामलों के पंजीकरण और निस्तारण के लिए समय सीमा निर्धारित
की जाए.


कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश कमलेश्वर नाथ ने की.
सेवानिवृत्त आई.ए.एस. और पी. आई. एल. एक्टिविस्ट एस. एन. शुक्ल ने मुख्य
अतिथि के रूप में तथा मानवाधिकार कार्यकर्ता और सेवानिवृत्त आइ.पी.एस
एस. आर. दारापुरी विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित हुए और
देश भर से आए आरटीआई कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया.


पारदर्शिता,जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने
में अग्रणी सामाजिक संगठन तहरीर के संस्थापक इंजीनियर संजय शर्मा, जेएनयू
नई दिल्ली के रिसर्च फैलो सुसांता कुमार मलिक, और आरटीआई प्रयोगकर्ताओं
की सुरक्षा के मद्देनज़र गुमनाम आरटीआई दायर करने के लिए शुरू की गयी
विश्वविख्यात पहल 'आरटीआई अनॉनीमस' के संस्थापक सदस्य अवनीश सिंह
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता थे.


कार्यक्रम में लोकेश बत्रा,डा० नीरज कुमार, सलीम बेग, आशीष सागर, उर्वशी
शर्मा,रामस्वरूप यादव सहित देश के सैकड़ों नामी गिरामी आरटीआई
कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने विचारों को साझा कर सूचना आयोगों के कार्यों
का मूल्यांकन किया और सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने हेतु
सुझाव दिए. येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि इन
सुझावों में से साझे सुझाव आयोजक संस्था येश्वर्याज द्वारा देश के सभी 29
सूचना आयोगों को प्रेषित किए जाएँगे.


इस अवसर पर देश में पारदर्शिता के आंदोलन का मजबूती से नेतृत्व करने तथा
विस्तृत लोकहित बाले जनकल्याणकारी कार्यों के लिए आरटीआई का प्रयोग कर
देश को सार्थक परिणाम देने बाले उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता
कोमोडोर लोकेश बत्रा और दिल्ली के समाजसेवी सुभाष चन्द्र अग्रवाल को इस
वर्ष का 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक लाइफटाइम अचीव्मेंट आरटीआई सम्मान
2015' देकर सम्मानित किया गया.


आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाने समेत अनेकों
जनकल्याणकारी कार्यों के लिए आरटीआई का प्रयोग करने बाले उत्तर प्रदेश के
हाथरस जिले के निवासी गौरव अग्रवाल को 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक
आरटीआई रत्न सम्मान 2015' का प्रथम पुरस्कार दिया गया. आरटीआई का प्रयोग
पर्यावरण समेत अन्य ज़मीनी समस्याओं के समाधान के लिए उठाने बाले उत्तर
प्रदेश के बांदा जिले के निवासी आशीष सागर द्वितीय पुरस्कार विजेता बने
तो वही ' समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के आरटीआई द्वारा
सशक्तीकरण' के प्रतिमान बने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के निवासी गुरु
प्रसाद ने तृतीय पुरस्कार जीता.


विगत वर्ष में आरटीआई प्रयोगकर्ताओं के उत्पीड़न की घटनाओं में हुई
बेहताशा बढ़ोत्तरी के मद्देनज़र सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान
ने उत्पीड़न के शिकार ऐसे आरटीआई कार्यकर्ताओं को भी 'विष्णु दत्त
मिश्रा स्मारक आरटीआई बहादुरी सम्मान 2015' प्रदान कर उनकी हौसला-आफजाई
की जिन्होने उत्पीड़न का शिकार होने पर भी विषम परिस्थितिओं का डटकर
मुकाबला किया और पारदर्शिता की मशाल की ज्वाला को मध्यम नही पड़ने दिया.
आरटीआई कार्यकर्ता सलीम बेग,अखिलेश सक्सेना,बाल कृष्ण गुप्ता,अशोक कुमार
गोयल,होमेंद्र कुमार,हरपाल सिंह,कमलेश अग्रहरि, केदार नाथ सैनी,महेंद्र
अग्रवाल,अशोक कुमार शुक्ल,नीरज शर्मा और सैयद शारिक़ कमर को उनकी बहादुरी
के लिए आरटीआई बहादुरी सम्मान 2015' प्रदान कर सम्मानित किया गया.


कार्यक्रम में 'कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव' नई दिल्ली की ओर से
उपलब्ध कराई गई आरटीआई मार्गदर्शिका का नि:शुल्क वितरण भी किया गया.
Urvashi Sharma - Secretary-Yaishwaryaj Seva Sansthaan,
Mobile – 9369613513, 8081898081, 9455553838 E-mail rtimahilamanchup@gmail.com

Friday 17 April, 2015

विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न (2015) सम्मान समारोह एवं "आरटीआई एक्ट के संरक्षक के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता" विषयक राष्ट्रीय विचार-गोष्ठी 18 अप्रैल 2015 ( शनिवार ) को राजधानी लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह परिसर स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार ,कैसरबाग में

विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न (2015) सम्मान समारोह एवं "आरटीआई
एक्ट के संरक्षक के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की
प्रभावकारिता" विषयक राष्ट्रीय विचार-गोष्ठी 18 अप्रैल 2015 ( शनिवार
) को राजधानी लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह परिसर स्थित जयशंकर
प्रसाद सभागार ,कैसरबाग में

--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption 9455553838


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Note : if you don't want to receive mails from me,kindly inform me so
that i should delete your name from my mailing list.

विषय : मीडिया आमंत्रण एवं प्रचार प्रसार हेतु सूचना Re. सूचना आयोगों का मूल्यांकन कर रिपोर्ट कार्ड बनाने को लखनऊ में जमा होंगे देश भर के आरटीआई कार्यकर्ता.

Ref. No: 20150417-PR-VDMMRRS&NS/YSS/2015-16
Date :17th April 2015
विषय : मीडिया आमंत्रण एवं प्रचार प्रसार हेतु सूचना Re. सूचना आयोगों का
मूल्यांकन कर रिपोर्ट कार्ड बनाने को लखनऊ में जमा होंगे देश भर के
आरटीआई कार्यकर्ता.

आदरणीय महोदय,
सादर अवगत कराना है कि हमारा संगठन
येश्वर्याज सेवा संस्थान कल दिनांक 18 अप्रैल 2015 ( शनिवार ) को राजधानी
लखनऊ के राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह परिसर स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार
,कैसरबाग में विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न (2015) सम्मान
समारोह एवं "आरटीआई एक्ट के संरक्षक के दायित्वों के निर्वहन में सूचना
आयोगों की प्रभावकारिता" विषयक राष्ट्रीय विचार-गोष्ठी का आयोजन कर
रहा है l

कार्यक्रम का विवरण निम्नानुसार है :
1- विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न (2015) सम्मान समारोह - 04 बजे अपराह्न l
2- आरटीआई ( सूचना का अधिकार ) पर राष्ट्रीय सेमिनार - 11 बजे
पूर्वाह्न से 7 बजे अपराह्न तक l


आपसे सादर अनुरोध है कि हमारे इन सामाजिक कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार
अपने लोकप्रिय मीडिया के माध्यम से करने की कृपा करें l साथ ही साथ अपने
संवाददाता और फोटो / वीडियो जर्नलिस्ट को इन दोनों कार्यक्रमों के कवरेज
हेतु इन कार्यक्रमों में भेजने की कृपा भी करें l

सादर प्रेषित l

भवदीया

( उर्वशी शर्मा )
सचिव

Lucknow.17-04-15. Pre Program Press Release.कल शनिवार ( 18-04-15 ) को
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में देशभर के आरटीआई (सूचना का अधिकार)
कार्यकर्ता इकट्ठा होंगे। ये आरटीआई कार्यकर्ता सामाजिक संगठन येश्वर्याज
सेवा संस्थान की ओर से आयोजित किए जाने बाले 'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक
आरटीआई रत्न सम्मान समारोह 2015' और 'आरटीआई एक्ट संरक्षक के दायित्वों
के निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता' विषयक राष्ट्रीय विचार
गोष्ठी में भाग लेने आ रहे हैं।

संगठन की सचिव उर्वशी शर्मा ने बताया कि उनका संगठन प्राप्त आवेदनों के
आधार पर तीन आरटीआई कार्यकर्ताओं को उनके सराहनीय कार्यों के लिए 'विष्णु
दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न सम्मान 2015' प्रदान कर सम्मानित करेगा
ताकि वे देश ,समाज एवं अन्य आरटीआई कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्त्रोत
बनें।

उर्वशी का कहना है कि विगत वर्ष में आरटीआई प्रयोगकर्ताओं के उत्पीड़न की
घटनाओं में हुई बेहताशा बढ़ोत्तरी के मद्देनज़र इस वर्ष से उनका संगठन
उत्पीड़न के शिकार ऐसे 10 आरटीआई कार्यकर्ताओं को भी 'विष्णु दत्त मिश्रा
स्मारक आरटीआई बहादुरी सम्मान 2015' प्रदान कर उनकी हौसला-आफजाई करेगा
जिन्होने उत्पीड़न का शिकार होने पर भी विषम परिस्थितिओं का डटकर मुकाबला
करते हुए पारदर्शिता की मशाल की ज्वाला को मध्यम नही पड़ने दिया.

उर्वशी ने बताया कि जनकल्याणकारी कार्यों के लिए आरटीआई का प्रयोग कर
देश को सार्थक परिणाम देने बाले दिल्ली के समाजसेवी सुभाष चन्द्र अग्रवाल
और उत्तर प्रदेश के आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर लोकेश बत्रा को इस वर्ष का
'विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक लाइफटाइम अचीव्मेंट आरटीआई सम्मान 2015'
देकर सम्मानित किया जाएगा.


उर्वशी के अनुसार इस एक दिवसीय समारोह के अंतर्गत 'आरटीआई एक्ट संरक्षक
के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता' विषयक
राष्ट्रीय विचार गोष्ठी का आयोजन भी लखनऊ के राय उमानाथ बाली
प्रेक्षागृह के जयशंकर प्रसाद सभागार में 18 अप्रैल को किया जाएगा.
कार्यक्रम में उड़ीसा, तमिलनाडु, हरियाणा, दिल्ली,महाराष्ट्र,कर्नाटक
सहित भारत के विभिन्न राज्यों के आरटीआई कार्यकर्ता शिरकत करेंगे और
अपने-अपने विचारों को साझा कर सूचना आयोगों के कार्यों का मूल्यांकन कर
सूचना आयोगों का रिपोर्ट कार्ड बनाएँगे और सूचना आयोगों की कार्यप्रणाली
में सुधार लाने हेतु सुझाव देंगे जिनमें से साझे सुझाव हमारी संस्था
द्वारा देश के सभी 29 सूचना आयोगों को प्रेषित किए जाएँगे.


सूचना आयोगों के कार्यों के मूल्यांकन के उद्देश्य से विचार गोष्ठी
आयोजित करने के सबाल पर उर्वशी ने बताया कि देशवासियों के 15 वर्षों के
कठिन प्रयासों से मिला यह आरटीआई एक्ट लागू होने के दसवें वर्ष में ही
अपनी धार खोता नज़र आ रहा है . उर्वशी के अनुसार उनकी संस्था द्वारा कराए
गये एक सर्वे में यह बात निकालकर आई थी कि सूचना के अधिकार के प्रभावी
क्रियान्वयन के मार्ग में सर्वाधिक वाधाएं सूचना आयोगों की लचर
कार्यप्राणाली की बजह से ही है अतः उनकी संस्था द्वारा यह निर्णय लिया
गया कि इस विषय पर एक राष्ट्रीय विचार गोष्ठी आयोजित कर सूचना आयोगों के
कार्यों का मूल्यांकन किया जाए और अपने उद्देश्यों से भटके सूचना आयोगों
की कार्यप्रणाली को पटरी पर लाने के लिए सभी 29 सूचना आयोगों को
सुझावात्मक माँग-पत्र प्रेषित किए जायें.


कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश कमलेश्वर नाथ करेंगे।
कार्यक्रम में सेवानिवृत्त आई.ए.एस. एस. एन. शुक्ल मुख्य अतिथि, एड्वोकेट
सी. बी. पांडेय गेस्ट ऑफ ऑनर तथा सेवानिवृत्त आइ.पी.एस एस. आर. दारापुरी
विशिष्ट अतिथि होंगे।


कार्यक्रम में सामाजिक संगठन तहरीर के संस्थापक इंजीनियर संजय शर्मा,
जेएनयू नई दिल्ली के रिसर्च फैलो सुसांता कुमार मलिक, और विश्वविख्यात
पहल 'आरटीआई अनॉनीमस' के संस्थापक सदस्य अवनीश सिंह मुख्य वक्ता होंगे
तथा गौरव अग्रवाल,आशीष सागर,सलीम बेग,राम स्वरूप यादव सहित देश के कई
नामी गिरामी आरटीआई कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे।

कार्यक्रम में 'कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव' नई दिल्ली की ओर से
उपलब्ध कराई गई आरटीआई मार्गदर्शिका का नि:शुल्क वितरण भी किया जाएगा।



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-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
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Wednesday 15 April, 2015

RTI seminar & RTI Ratn award 2015 ceremony in Lucknow on 18 April 2015

RTI seminar & RTI Ratn award 2015 ceremony in Lucknow on 18 April 2015

आरटीआई सेमिनार और आरटीआई रत्न सम्मान समारोह २०१५ लखनऊ में १८ अप्रैल २०१५ को

आरटीआई सेमिनार और आरटीआई रत्न सम्मान समारोह २०१५ लखनऊ में १८ अप्रैल २०१५ को

e-invite for National RTI Seminar & Vishnu Dutt Mishra Memorial RTI Ratna 2015 award Ceremony in Lucknow, Uttar Pradesh, India.

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Urvashi Sharma
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Monday 13 April, 2015

rti seminar in lucknow

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Sunday 12 April, 2015

"आरटीआई एक्ट के संरक्षक के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता" विषय पर राष्ट्रीय विचार-गोष्ठी

"आरटीआई एक्ट के संरक्षक के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की
प्रभावकारिता" विषय पर राष्ट्रीय विचार-गोष्ठी

विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न (2015) सम्मान समारोह

विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न (2015) सम्मान समारोह

आमंत्रण : "आरटीआई एक्ट के संरक्षक के दायित्वों के निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता" विषय पर राष्ट्रीय विचार-गोष्ठी एवं विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न (2015) सम्मान समारोह

http://upcpri.blogspot.in/2015/04/18-2015-10-7-2015.html

येश्वर्याज सेवा संस्थान,लखनऊ द्वारा 18 अप्रैल 2015 ( शनिवार ) को 10
बजे पूर्वाह्न से 7 बजे अपराह्न तक जयशंकर प्रसाद सभागार, कैसरबाग,
लखनऊ,उत्तर प्रदेश,भारत में "आरटीआई एक्ट के संरक्षक के दायित्वों के
निर्वहन में सूचना आयोगों की प्रभावकारिता" विषय पर राष्ट्रीय
विचार-गोष्ठी एवं विष्णु दत्त मिश्रा स्मारक आरटीआई रत्न (2015) सम्मान
समारोह आयोजन किया जा रहा है। सभी आरटीआई एक्टिविस्ट कार्यक्रम में
सादर आमंत्रित हैं.

कृपया इस मेल को अपने मित्रों और परिचितों से भी शेयर करें.

अधिक जानकारी के लिए कार्यक्रम की संयोजिका उर्वशी शर्मा से मोबाइल नंबर
9369613513 / ई-मेल rtimahilamanchup@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता
है l


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Urvashi Sharma
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Invite : National Seminar on “ Efficacy of Info- Commissions as custodian of RTI act” and Vishnu Dutt Mishra Memorial RTI Ratna Award (2015) ceremony

http://upcpri.blogspot.in/2015/04/yaishwaryaj-seva-sansthan-lucknow-is.html

YAISHWARYAJ Seva Sansthan, Lucknow is organizing a National Seminar on
" Efficacy of Info- Commissions as custodian of RTI act" and Vishnu
Dutt Mishra Memorial RTI Ratna Award (2015) ceremony on 18-04-2015 (
Saturday ) 10 AM – 7PM at Jaishankar Prasad Meeting-Hall,
Quaiserbagh, Lucknow ,Uttar Pradesh, India.

Please attend. For more information you may contact Program
coordinator Urvashi Sharma at her Mobile no. 9369613513 or contact
her via e-mail rtimahilamanchup@gmail.com
Pls. share this mail with your friends & contacts.


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Tuesday 7 April, 2015

Eve-teaser Goon Devendra Shukla & 420 Shraddha Saxena, a criminal minded couple from Lucknow. लखनऊ की एक ऐसी आपराधिक मानसिकता बाली दंपत्ति जिसमें पति देवेन्द्र शुक्ला शोहदा , पत्नी श्रद्धा सक्सेना जालसाज़ !

लखनऊ की एक ऐसी आपराधिक मानसिकता बाली दंपत्ति जिसमें पति देवेन्द्र
शुक्ला शोहदा , पत्नी श्रद्धा सक्सेना जालसाज़ !


लखनऊ के पारा पुलिस स्टेशन में दर्ज दो प्रथम सूचना रिपोर्टों की धाराओं
से स्पष्ट हो रहा है कि लखनऊ के संजय गाँधी पुरम इंदिरानगर निवासी यह एक
ऐसी बेमिसाल दंपत्ति है जिसमें पति देवेन्द्र शुक्ला शोहदा है तो पत्नी
श्रद्धा सक्सेना जालसाज़.

श्रद्धा मूलतः ग्वालियर मध्य प्रदेश की रहने बाली है तो देवेन्द्र उत्तर
प्रदेश के जौनपुर जिले का.

श्रद्धा लखनऊ के जी. बी. पंत पॉलिटेक्निक में अँग्रेज़ी की प्रवक्ता है
तो जयपुरिया इन्स्टिट्यूट से एमबीए देवेन्द्र इंग्रम माइक्रो के
मार्केटिंग विभाग में कार्यरत.

इस दंपत्ति की फोटो और इन पर दर्ज एफआईआर यहाँ पायें और आपराधिक
मानसिकता बाली श्रद्धा सक्सेना और देवेन्द्र शुक्ला से सावधान रहें.

सूचना जनहित में जारी......................
Read more at http://upcpri.blogspot.in/2015/04/blog-post.html


Eve-teaser Goon Devendra Shukla & 420 Shraddha Saxena, a criminal
minded couple from Lucknow.

A Strange couple from Lucknow, Shraddha Saxena & Devendra
Shukla,Residents of G 72/17 Sanjay Gandhi Puram Indiranagar Lucknow
Uttar Pradesh. Devendra is accused in FIR No. 176/14 U/S 504,506 & 507
IPC filed in Thana Para of Lucknow while Shraddha is accused in FIR
No. 113/15 U/S 420/467/468/471 & 167 IPC filed in Thana Para of
Lucknow.

Shraddha is from Gwalior district of Madhya Pradesh & Devendra is from
Jaunpur district of Uttar Pradesh.

Shraddha is English lecturer in Govt. G. B. Pant Polytechnic Lucknow &
Devendra, a MBA from Jaipuria Institute is Marketing Manager at Ingram
Micro.

Find here the pics of this couple & the FIRs and beware of this
criminal mined couple.

Information being shared in public interest………………..
Read more at http://upcpri.blogspot.in/2015/04/eve-teaser-goon-devendra-shukla-420.html

Monday 6 April, 2015

एक ऐसी बेमिसाल दंपत्ति है जिसमें पति देवेन्द्र शुक्ला शोहदा और पत्नी श्रद्धा सक्सेना जालसाज़ !

लखनऊ के पारा पुलिस स्टेशन में दर्ज दो प्रथम सूचना रिपोर्टों की धाराओं
से स्पष्ट हो रहा है कि लखनऊ के संजय गाँधी पुरम इंदिरानगर निवासी यह एक
ऐसी बेमिसाल दंपत्ति है जिसमें पति देवेन्द्र शुक्ला शोहदा है तो पत्नी
श्रद्धा सक्सेना जालसाज़.

श्रद्धा मूलतः ग्वालियर मध्य प्रदेश की रहने बाली है तो देवेन्द्र उत्तर
प्रदेश के जौनपुर जिले का.

श्रद्धा लखनऊ के जी. बी. पंत पॉलिटेक्निक में अँग्रेज़ी की प्रवक्ता है
तो जयपुरिया इन्स्टिट्यूट से एमबीए देवेन्द्र इंग्रम माइक्रो के
मार्केटिंग विभाग में कार्यरत.

इस दंपत्ति की फोटो और इन पर दर्ज एफआईआर यहाँ पायें और आपराधिक
मानसिकता बाली श्रद्धा सक्सेना और देवेन्द्र शुक्ला से सावधान रहें.

सूचना जनहित में जारी......................


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Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
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Sunday 5 April, 2015

आरटीआई के आधार पर समाजसेविका की दी तहरीर पर पॉलीटेक्निक की महिला प्रवक्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 420/467/468/471/167 में जालसाजी का मुक़द्दमा दर्ज . समाजसेविका ने की महिला प्रवक्ता की तत्काल गिरफ्तारी की माँग .

Media-Release : आदिकाल से ही भारतीय समाज में अध्यापकों को उच्च आदर्शों
का पोषक माना गया है परंतु समय के साथ इस दिशा में क्षरण होता गया है और
अब स्थिति यह आ गयी है कि आज अध्यापक भी सामान्यतया न सोचे जाने बाले
जघन्यतम अपराधों के आरोपी बन रहे हैं. ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश की
राजधानी लखनऊ का है जहाँ की समाजसेविका उर्वशी शर्मा की एक तहरीर पर
मोहान रोड स्थित शैक्षणिक संस्था राजकीय गोविंद बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक
में कार्यरत अँग्रेज़ी भाषा की महिला प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ
श्रद्धा शुक्ला के विरुद्ध थाना पारा में छल, कपट, कूटरचना, जालसाजी आदि
जैसी संगीन धाराओं में मुक़द्दमा दर्ज हुआ है.


उर्वशी शर्मा ने बताया कि श्रद्धा ने उनके परिवार को क्षति पंहुचाने के
दुरूद्देश्य से छल, कपट, कूटरचना और जालसाजी से एक पत्र तैयार किया था.
बकौल उर्वशी उनको यह पत्र आरटीआई ( सूचना के अधिकार ) का प्रयोग करने के
बाद मिला था जिसके आधार पर उन्होने थाना पारा में एक तहरीर दी थी.


लखनऊ के थाना पारा में बीते 21 मार्च 2015 को राजकीय गोविंद बल्लभ पंत
पॉलीटेक्निक की अँग्रेज़ी भाषा की महिला प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ
श्रद्धा शुक्ला के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 420/467/468/471/167
में एफआईआर संख्या 113/2015 दर्ज कर विवेचना उपनिरीक्षक रमेश चंद्र
पांडे को सौंपी गयी है.


उर्वशी ने इस संबंध में थाना पारा के थानाध्यक्ष से मिलकर श्रद्धा की
तत्काल गिरफ्तारी की माँग की है.

समाज कल्याण द्वारा समाज के वंचित वर्ग के छात्र-छात्राओं को समाज की
मुख्यधारा में लाने उद्देश्य से यूपी में एकमात्र संचालित इस पॉलीटेक्निक
की एक महिला अध्यापिका द्वारा इस प्रकार की जालसाजी करने के इस मामले में
मुक़द्दमा दर्ज होने के बाद अब उर्वशी ने समाज कल्याण विभाग के
अधिकारियों को पत्र लिखकर "गौरतलब है कि यह महिला पूर्व विभागीय प्रमुख
सचिव यूपी के आईएएस सदाकान्त से ड्यूटी समय में चुपके-चुपके बिना
प्रधानाचार्य की अनुमति के मिलती रही है ऐसे में उपरोक्त जघन्य अपराधों
की अभियुक्ता इस महिला के छात्रों और छात्राओं के मध्य रहने से
छात्र-छात्राओं पर गंभीर दुष्परिणाम आने की प्रबल संभावना के मद्देनज़र
आपसे अनुरोध है कि श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला को तत्काल
निलंबित कर उसके विरुद्ध विभागीय नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही
आरंभ करने एवं प्रकरण की जाँच किसी सद्चारित्र और ईमानदार अधिकारी से
कराकर इस महिला के विरुद्ध की गयी विभागीय दांडिक कार्यवाही की सूचना
मुझे दी जाए" लिखते हुए श्रद्धा को तत्काल निलंबित कर उसके विरुद्ध
विभागीय नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की माँग भी की है.

राजकीय गोविंद बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक में अँग्रेज़ी की महिला प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला के विरुद्ध थाना पारा में छल, कपट, कूटरचना, जालसाजी आदि जैसी संगीन धाराओं में मुक़द्दमा दर्ज.

लखनऊ के राजकीय गोविंद बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक में अँग्रेज़ी की महिला प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला के विरुद्ध थाना पारा में भारतीय दंड विधान की धारा 420/467/468/471/167 में एफआईआर संख्या 113/2015 दर्ज कर विवेचना उपनिरीक्षक रमेश चंद्र पांडे को सौंपी गयी

समाजसेविका उर्वशी शर्मा ने पारा थानाध्यक्ष से मिलकर की राजकीय गोविंद बल्लभ पंत पॉलीटेक्निक में अंग्रेज़ी की महिला प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला की तत्काल गिरफ्तारी की मांग

http://shritimes.com/epaper/Admin/data/2015/04/05/Lucknow/Lucknow/2015_04_05_page4.html#

http://www.shritimes.com/Admin/data/2015/04/05/Lucknow/Lucknow/images/page4_15.gif