Friday 21 April, 2017

CPRI के प्रतिनिधिमंडल ने गवर्नर से भेंट कर की आयुक्तों की शिकायत, गवर्नर ने दिया कार्यवाही का आश्वासन l


लखनऊ/ 21-04-17
आरटीआई के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्था ‘सूचना का अधिकार बचाओ अभियान’ CPRI ट्रस्ट के 8 सदस्यीय प्रतिनिदिमंडल ने आज शाम यूपी के राज्यपाल राम नाईक से भेंट की और यूपी के सूचना आयुक्तों की शिकायत करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में व्याप्त अनियमितताओं को दूर कराकर आरटीआई आवेदकों की समस्याओं का समाधान कराने की मांग की l CPRI की संरक्षिका समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी ने बताया कि राज्यपाल ने आधे घंटे से अधिक की बातचीत में संस्था द्वारा उठाये गये बिन्दुओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया और मांगपत्र के बिन्दुओं के विषयों पर यथावश्यक व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप कर कार्यवाही का आश्वासन भी दिया l

बताते चलें कि ‘सूचना का अधिकार बचाओ अभियान’ एक पंजीकृत ट्रस्ट है जो सम्पूर्ण भारत में ‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’ के प्रचार प्रसार के लिए और आरटीआई प्रयोगकर्ताओं की समस्याओं को आगे लाकर उनका समाधान कराने के लिए प्रयासरत है l


CPRI के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में अनेकों अनियमितताएं व्याप्त हैं जिनके सम्बन्ध में संस्था द्वारा किये गये पत्राचार को राज्यपाल सचिवालय ने उत्तर प्रदेश शासन के प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा था किन्तु पूर्व की सरकार द्वारा इन प्रस्तावों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई थी l




राज्यपाल महोदय को दिये गये ज्ञापन के माध्यम से उठाई गयी संस्था की प्रमुख 7 मांगें निम्नवत हैं :


1-  उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्तों द्वारा खुली सुनवाईयां नहीं की जा रहीं हैं l सुनवाईयों की प्रतिदिन की समयसारिणी का अनुपालन सुनिश्चित कराने और सुनवाइयों को भयमुक्त, प्रताड़नामुक्त, निष्पक्ष और भ्रष्टाचारमुक्त बनाने के लिए सभी सुनवाई कक्षों में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा बहाल कराई जाए l
2-  सूचना आयुक्तों, सचिव, रजिस्ट्रार, उप सचिव आदि अधिकारियों के कार्यालय कक्षों के साथ-साथ आयोग के सभी अन्य कार्यालय-कक्षों में घूस लेकर बिना बारी काम कर देना,घूस न मिलने पर काम न करना और जनमानस के साथ दुर्व्यवहार करना आम होता जा रहा है l  इस समस्या के समाधान के लिए आयोग के सभी कार्यालयों  में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा शुरू कराई जाए l
3-  सूचना आयुक्तों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और उत्तर प्रदेश आरटीआई नियमावली 2015 के विधिक प्राविधानों का अनुपालन करने से सम्बंधित सम्यक ज्ञान न होने के कारण सूचना आयोग में दर्ज मामलों का निस्तारण अधिनियम की मूल भावना के अनुरूप ससमय नहीं हो पा रहा है जिसके कारण एक तरफ सूचना आयोग में लंबित मामलों की संख्या में कमी नहीं आ पा रही है तो वहीं दूसरी तरफ मामलों के लम्बा खिंचने के कारण आरटीआई आवेदकों की हत्याओं/प्रताड़ना के मामले बढ़ते जा रहे हैं l इस समस्या के समाधान के लिए सूचना आयुक्तों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और उत्तर प्रदेश आरटीआई नियमावली 2015 के विधिक प्राविधानों के अनुपालन से सम्बंधित प्रशिक्षण दिलाया जाए ताकि आयोग में आये प्रकरणों का ससमय सम्यक निस्तारण हो सके l

4-  आयोग द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 22 का अनुपालन नहीं किया जा रहा है और आयोग के अभिलेख सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत नहीं दिये जा रहे हैं l धारा 22 के अनुपालन में आयोग के अभिलेखों की सत्यापित प्रतियाँ सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रदान कराई जाएँ l
5-  आयोग में दर्ज शिकायतों और अपीलों के आदेशों की सत्यापित प्रतियाँ सुनवाई के दिनांक के 15 दिन के अन्दर आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कराते हुए आदेश को पंजीकृत डाक के माध्यम से आरटीआई आवेदक को भेजा जाए l
6-  सूचना आयुक्तों, सचिव, रजिस्ट्रार, उप सचिव आदि अधिकारियों के कार्यालय कक्षों के साथ-साथ आयोग के अन्य सभी कार्यालय-कक्षों में पत्र / आपत्ति पत्र / आदेशों की नकल के प्रार्थना पत्रों की प्राप्ति कर मुहर/मुद्रा के साथ पावती देने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए l
7-  सूचना आयुक्तों द्वारा देर से सुनवाई शुरू करने / अचानक अवकाश पर चले जाने / अचानक किसी अन्य शासकीय कार्य पर जाने की सूचना तत्काल आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित करते हुए सूचना एस.एम.एस. और ई-मेल द्वारा आरटीआई आवेदकों को तत्काल दिया जाना शुरू किया जाए l 


CPRI के प्रतिनिधिमंडल में उर्वशी शर्मा और तनवीर अहमद सिद्दीकी के साथ CPRI के मुख्य विधिक सलाहकार रुवैद कमाल किदवई भी उपस्थित रहे l

राज्यपाल से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में समाजसेवी सफीर सिद्दीकी, सुरेश शर्मा, मोहम्मद अमीन, नीलम गौतम  और संजय शर्मा भी शामिल थे l  






Wednesday 19 April, 2017

UP: गधे के साथ धरना दे कल राजधानी में सूचना आयुक्तों का विरोध करेंगे RTI एक्टिविस्ट l

लखनऊ/19-04-17
भारत में सूचना का अधिकार यानि कि पारदर्शिता का कानून लागू हुए 11 साल से भी ज्यादा हो गये हैं l इस कानून को लागू करते समय भारत की संसद ने ये नहीं सोचा होगा कि कभी ऐसा दिन भी आएगा जब उनके द्वारा पारदर्शिता के इस कानून में नियत की गई संरक्षक की भूमिका को निभाने के लिए नियुक्त होने वाले सूचना आयुक्तों के पदों पर ऐसे-ऐसे लोग नियुक्त हो जायेंगे कि उनका विरोध करने के लिए एक्टिविस्टों को गधों के साथ सड़क पर आकर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की मांग बुलंद करने पड़ेगी l पर आज स्थिति ऐसी हो गई है कि आरटीआई एक्टिविस्टों को उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्तों का विरोध करने के लिए लखनऊ की समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में इकट्ठा होकर गधे के साथ धरना देना पड़ रहा है l

एक्टिविस्ट उर्वशी ने बताया कि संसद ने आरटीआई कानून को एक अत्यंत ही पवित्र उद्देश्य की पूर्ति के  लिए पारित किया था l उर्वशी ने कहा कि आरटीआई एक्ट की प्रस्तावना में ही नागरिकों से अपील की गई है कि वे इस जानने के अधिकार का प्रयोग करें और गवर्नेंस में सहभागिता कर लोकतंत्र को मजबूती दें परन्तु जब कोई नागरिक आरटीआई का प्रयोग कर कानून को पारित करने की मंशा के अनुसार अपने दायित्व का निर्वहन करता है तो जन सूचना अधिकारी से लेकर सूचना आयुक्त तक सभी उसे दुश्मन की निगाह से देखने लगते हैं l

उर्वशी ने बताया कि आरटीआई कानून में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए व्यक्ति में व्यापक ज्ञान और अनुभव के साथ-साथ समाज के प्रख्यात होना भी आवश्यक किया गया है पर सूबे की अखिलेश सरकार ने इन पदों पर अज्ञानी,अनुभवहीन और सामान्य समझ तक न रखने वाले व्यक्तियों को नियुक्त करके सूबे में आरटीआई कानून को मृतप्राय अवस्था में पहुंचा दिया है l उर्वशी ने वर्तमान आयुक्तों की नियुक्तियों को राजनैतिक नियुक्ति बताया है l

बकौल उर्वशी क्योंकि अब सूबे में सत्ता परिवर्तन हो चुका है और सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे में कानून का राज स्थापित करने के लिए कृतसंकल्प हैं इसीलिये उन्होंने सीएम योगी के ध्यानाकर्षण के लिए कल 20 अप्रैल को गधे के साथ इस धरने का आयोजन इस आशय से किया है कि योगी यूपी के राज्यपाल द्वारा सूचना आयुक्तों के खिलाफ कार्यवाही के लिए प्रशासनिक सुधार विभाग भेजे गये 303 मामलों को सुप्रीम कोर्ट भिजवाकर वर्तमान सूचना आयुक्तों के खिलाफ एक्ट की धारा 17 की दंडात्मक कार्यवाही करायेंगे और सूचना आयोग में खाली पड़े दो पदों पर आरटीआई कानून का व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाले  समाज के प्रख्यात व्यक्तियों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पारदर्शी रीति से करेंगे l

उर्वशी ने बताया कि कल वे अपने साथियों के साथ उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ‘आरटीआई भवन’ विभूतिखंड गोमतीनगर,लखनऊ के मुख्य द्वार के बाहर की सड़क के डिवाइडर पर मुख्य द्वार के सामने पूर्वाह्न 11:00 बजे से 12:00 बजे दोपहर तक;लक्ष्मण मेला मैदान, धरना स्थल, लखनऊ अपराह्न 01:00 बजे से 03:00 बजे अपराह्न तक और लखनऊ के जिलाधिकारी आवास के सामने, सड़क के दूसरी ओर रवीन्द्र नाथ टैगोर की मूर्ति के सामने   - 04:00 बजे से 05:00 बजे अपराह्न तक धरना प्रदर्शन कर जिला प्रशासन के माध्यम सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और यूपी के राज्यपाल, सीएम को ज्ञापन भी भेजेंगी  l





Monday 17 April, 2017

UP - उर्वशी शर्मा ने IPS अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर पर लगाए गंभीर आरोप : थाना विभूतिखंड में दी FIR की तहरीर



लखनऊ / 17-04-17
लखनऊ की एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर पत्नी अमिताभ ठाकुर को आपराधिक प्रवृत्ति की दंपत्ति बताते हुए ठाकुर  दंपत्ति पर उच्च आई.पी.एस. पद की आड़ में फर्जी एन.जी.ओ. बनाकर इन्टरनेट और सोशल मीडिया पर उनका प्रचार कर भोले भाले लोगों को बेबकूफ बनाकर धनउगाही करने, मानहानि और चरित्रहनन करने, संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ा करने,आधा दर्जन एनजीओ बनाकर धन ऐंठने जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए ठाकुर दंपत्ति के खिलाफ FIR लिखाने की तहरीर राजधानी के थाना विभूतिखंड में दी है l

उर्वशी ने अपनी तहरीर में अमिताभ ठाकुर को एक शातिर व्यक्ति बताते हुए ठाकुर पर भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनसे धन-उगाही करने के लिए समय-समय पर तरह-तरह के झूठे प्रपंच करने और ऐसा करने के लिए ये जानबूझकर झूंठे दस्तावेजों की रचना का आरोप भी लगाया है l

उर्वशी ने ठाकुर दंपत्ति को शातिर बताते हुए इनके द्वारा न्यायिक और अर्ध न्यायिक संस्थाओं की सुनवाइयों में अपने साथ स्पाई-कैमरे और छुपी हुई ऑडियो रिकॉर्डिंग डिवाइस लेकर जाने और जासूसी से छुपकर सुनवाई की पूरी रिकॉर्डिंग कर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तक के आदेशों पर टिप्पणियां करके उनको खुलेआम ललकारने का आरोप भी लगाया है l

अमिताभ ठाकुर द्वारा महात्मा गाँधी और महिलाओं पर सेक्स से सम्बंधित सार्वजनिक टिप्पणियों को महात्मा गांधी और महिलाओं के वारे  मानहानिकारक बताते हुए ठाकुर की टिप्पणियों से उनकी भावनाएं आहत होने की बात भी उर्वशी ने अपनी तहरीर में लिखी है l

अमिताभ ठाकुर और नूतन ठाकुर द्वारा गंभीर प्रकृति के संज्ञेय अपराध करने की बात लिखते हुए उर्वशी ने थानाध्यक्ष से सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिनांक 12-11-13 को ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (2014) 2 एससीसी 1 में पारित निर्णय के अनुपालन में प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध होने की बात सामने आने के कारण ऍफ़आईआर दर्ज कर विवेचना कर साक्ष्य संकलन कर मामले का विधिक निस्तारण करने का अनुरोध किया है l  

Tuesday 11 April, 2017

जालसाज है यूपी का अपर मुख्य सचिव सदाकांत शुक्ला : उर्वशी शर्मा

समाचार सार : पारदर्शिका, जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत देश की नामचीन समाजसेविकाओं और आरटीआई कार्यकर्ताओं में शुमार की जाने वाली लखनऊ की एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने अपनी आरटीआई के माध्यम से प्राप्त रिकॉर्ड के आधार पर यूपी के लोक निर्माण विभाग तथा आवास एवं शहरी नियोजन जैसे दो महत्वपूर्ण महकमों में  अपर मुख्य सचिव के पद पर काम कर रहे आईएएस  सदाकांत शुक्ल पर जालसाजी कर सरकारी आवास हथियाने का आरोप लगाते हुए सदाकांत के खिलाफ  जालसाजी और धोखाधड़ी की धाराओं में ऍफ़.आई.आर. दर्ज कराने की तहरीर बीते 9 अप्रैल को थाना हज़रतगंज में दी है l

To download otiginal letter as given to SHO Hazratganj alongwith all attachments, please click this weblink http://upcpri.blogspot.in/2017/04/l_10.html

लखनऊ / 11-04-17
यूपी को अगर आबादी के हिसाब से देखा जाए तो यह भारत का सबसे बड़ा सूबा है l अगर कोई आपसे कहे कि इस यूपी की 20 करोड़ से अधिक की आबादी को आवास यानि कि मकान मुहैया कराने की कमान पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक ऐसे अधिकारी के हाथ में दी हुई थी जिसने साल 2011 में राज्य का सरकारी  आवास हथियाने के लिए जालसाजी का सहारा लिया था तो शायद आपको यकीन न हो पर पारदर्शिका, जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत देश की नामचीन समाजसेविकाओं और आरटीआई कार्यकर्ताओं में शुमार की जाने वाली लखनऊ की एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा को आरटीआई के माध्यम से जो रिकॉर्ड मिला है उससे पूरी तरह सिद्ध हो रहा है कि IAS सदाकांत शुक्ल ने साल 2011 में समाज कल्याण, डा. अम्बेडकर ग्राम सभा विकास,महिला कल्याण और बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के प्रमुख सचिव के पद पर काम करते हुए सरकारी आवास हथियाने की साजिश के लिए जालसाजी और कूटरचना का अपराध करने से भी गुरेज़ नहीं किया l

उर्वशी ने उत्तर प्रदेश के वर्तमान अपर मुख्य सचिव सदाकांत के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही करने की मांग वाली तहरीर बीते 9 अप्रैल को थाना हजरतगंज में दे दी है l

बकौल उर्वशी उत्तर प्रदेश के राज्य संपत्ति विभाग ने उनको आरटीआई के तहत जो कागजात दिये हैं उनसे यह सामने आ रहा है कि उत्तर प्रदेश के वर्तमान अपर मुख्य सचिव सदाकांत ने राज्य संपत्ति विभाग का सरकारी आवास नियम विरुद्ध रीति से आबंटित कराने के लिए शातिराना ढंग से कूटरचित पत्र बनाकर कूटरचित पत्र को असली की तरह प्रयोग किया और राज्य सरकार की आँखों में धूल झोंककर धोखाधड़ी से सरकारी मकान हथिया लिया l 

उर्वशी के अनुसार सदाकांत सरकारी आवास हथियाने के लिए झूंठ बोला कि लखनऊ में उसका कोई निजी आवास नहीं था और इसी आधार पर उसने राज भवन कॉलोनी,दिलकुशा कॉलोनी अथवा अन्य किसी कॉलोनी में सरकारी आवास पर अपना दावा ठोंका जबकि सदाकांत ने साल 2011 और 2012 में भारत सरकार को अचल संपत्तियों का जो विवरण दिया था उसके अनुसार लखनऊ के कुर्सी रोड स्थित विकास नगर कॉलोनी में लगभग 50 लाख कीमत का MIG मकान नंबर 2/29 सदाकांत के अपने नाम में था जो सदाकांत द्वारा अपने निजी इस्तेमाल में लाया जा रहा था l

उर्वशी ने बताया कि लखनऊ के विकास नगर कॉलोनी स्थित मकान होते हुए भी सदाकांत द्वारा  असत्य अभिकथन करके कूटरचना द्वारा पत्र तैयार किया गया और इस कूटरचित पत्र को उत्तर प्रदेश शासन के राज्य संपत्ति अधिकारी को भेज इस कूटरचित पत्र के आधार पर आवास आबंटन नियमावली 1980 के नियम 23 के अंतर्गत नियमों में शिथिलता प्राप्त कर राज्य संपत्ति विभाग के आवास का आबंटन करा कर 3 दिन में ही सरकारी मकान पर  काबिज भी हो गया l उर्वशी के अनुसार कूटरचना कर तैयार पत्र के आधार पर बेईमानी और फर्जीबाड़े से सरकार की संपत्ति प्राप्त करने का यह गंभीर संज्ञेय अपराध सदाकांत ने भली भांति यह जानते हुए कि वह अपराध कर रहा है , किया l उर्वशी ने सदाकांत के अपराध को  ठन्डे दिमाग से सोच-समझकर कारित किया गया अपराध बताया है l  

उर्वशी ने अपनी तहरीर में सदाकांत के आपराधिक कृत्य को भारतीय दंड संहिता की धारा 420,467,471 और  भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत कारित किये गये गंभीर प्रकृति का संज्ञेय अपराध बताया है और थाना हजरतगंज के थाना प्रभारी से सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में पारित निर्णय और भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को ऍफ़.आई.आर. लिखने के सम्बन्ध में प्रेषित निर्देशों का अनुपालन करते हुए सदाकांत के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही करने की मांग की है l


Saturday 8 April, 2017

UP : अखिलेश के ‘गधों’ से नाखुश समाजसेवी ‘गधे’ संग धरना दे योगी से करेंगे मोदी के ‘गधों’ की माँग l

लखनऊ / 08-04-17
लगता है यूपी में हालिया संपन्न हुए विधान सभा चुनावों में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच ‘गधों’ को लेकर हुई बहुचर्चित ज़ुबानी जंग की आबाजें सूबे की फिजाओं में अभी तक गूँज रही हैं l तभी तो यूपी के समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने आने वाले 20 अप्रैल को समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा के नेतृत्व में राजधानी लखनऊ में गधे के साथ 3 स्थानों पर धरना देकर एक अनोखे अंदाज में अपनी मांगें उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और सूबे के नए सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने रखने का ऐलान किया है l

इस अनोखे धरने के वारे में बात करते हुए उर्वशी शर्मा ने बताया कि विगत चुनावों के दौरान देश के पीएम मोदी ने गधे की वफादारी की बहुत चर्चा की थी । उन्होंने कहा कि गधा अपने मालिक का वफादार होता है। गधा कितना ही बीमार हो, भूखा हो, थका हो लेकिन अगर मालिक उससे काम लेता है तो सहन करता हुआ भी अपने मालिक का दिया काम पूरा करके रहता है। मोदी ने यह भी कहा था कि सवा सौ करोड़ देशवासी उनके मालिक हैं। वो उनसे जितना काम लेते हैं, वे करते हैं  थक जाएँ तो भी करते हैं  क्योंकि वे गधे से गर्व के साथ प्रेरणा लेते हैं ।प्रधानमंत्री ने कहा था अगर खुले दिमाग से देखो तो गधा भी प्रेरणा देता है। खर्च भी कम करता है। गधा भेदभाव नहीं करता चाहे उसकी पीठ पर चीनी हो या चूना। पीएम ने खुद को सबसे बड़ा गधा माना था l

धरने का बैनर जारी करते हुए उर्वशी ने बताया कि ये धरना पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में नियुक्त किये गये वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त और सभी वर्तमान सूचना आयुक्तों के खिलाफ है जिनमें कार्यों के प्रति वफादारी की कमी है , अपने मालिक अर्थात देश के नागरिकों के प्रति वफादारी की कमी है ,कार्य समय में पदीय कार्य न करके व्यक्तिगत कार्य करने की आदत है , अपने मालिक अर्थात देश के नागरिकों का दिया काम पूरा न करने की आदत है ,राजकोष से अनाप-शनाप खर्चे करने की आदत है ,अधिकतर बिना बताये छुट्टी पर रहने की आदत है और कार्य करते समय भेदभाव करने की भी आदत है l

बकौल उर्वशी अखिलेश यादव द्वारा नियुक्त सूचना आयुक्तों में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बताये गये गधे के अच्छे गुणों में से एक एक भी अच्छे गुण के न होने के कारण आयोग आने वाले पूरे सूबे के आरटीआई कार्यकर्ता और प्रयोगकर्ता व्यथित हैं और इसीलिये उन्होंने आगामी 20 अप्रैल को लखनऊ में 3 स्थानों उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग ‘आरटीआई भवन’ विभूतिखंड गोमतीनगर,लखनऊ के मुख्य द्वार के बाहर की सड़क के डिवाइडर पर मुख्य द्वार के सामने; जिलाधिकारी आवास के सामने, सड़क के दूसरी ओर रवीन्द्र नाथ टैगोर की मूर्ति के सामने और लक्ष्मण मेला मैदान, धरना स्थल, लखनऊ पर एक जीवित गधे के साथ एक  धरने का आयोजन कर उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग में रिक्त पड़े सूचना आयुक्तों के 2 पदों पर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्णित गधे के गुणों वाले सूचना आयुक्तों का चयन नमित शर्मा मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्दिष्ट की गई प्रक्रिया के अनुसार पारदर्शी रीति से करने की मांग बुलंद करने के लिए उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन भेजने का फैसला किया है  l  



Saturday 1 April, 2017

यूपी : पूंजी निवेश में माया से भी फिसड्डी रहे अखिलेश l





लखनऊ/01 अप्रैल 2017/उर्वशी शर्मा  
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री पूरे 5 साल विकास कराने का दम भरते रहे l यहाँ तक कि चुनाव पूर्व की सभाओं और रैलियों में भी अखिलेश अपने 5 साल में कराये विकास के आधार पर चुनाव जीतने का दावा करते रहे l यह बात और है कि उत्तर प्रदेश की जनता ने अखिलेश और उनके दावों को नकारते हुए भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाकर सूबे में सत्ता परिवर्तन कर दिया l  अब राजधानी लखनऊ के समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने अपनी एक आरटीआई पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा प्रेषित किये गये जबाब के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश और उनकी नौकरशाही पर विकास के नाम पर सूबे की जनता के साथ धोखाधड़ी करने का गंभीर आरोप लगाया है l

To download RTI reply, please click here http://upcpri.blogspot.in/2017/04/l.html
बताते चलें कि संजय ने यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय में एक आरटीआई अर्जी देकर वितीय वर्ष 2007-08 से वितीय वर्ष 2016-17 तक की अवधि में यूपी में हुए पूंजी निवेश की सूचना माँगी थी l मुख्य सचिव कार्यालय ने संजय की इस आरटीआई को उत्तर प्रदेश के औध्योगिक विकास विभाग को अंतरित कर दिया था l औध्योगिक विकास विभाग ने इस सम्बन्ध में संजय को जो सूचना दी है वह बताती है कि यूपी में पूंजी निवेश कराने के मामले में अखिलेश यादव  अपनी पूर्ववर्ती मायावती से भी फिसड्डी साबित हुए l यूपी की सत्ता सँभालने के प्रथम 4 वर्षों में मायावती ने यूपी में कुल 32492.85 करोड़ रुपयों का पूंजी निवेश कराया तो वहीं  अखिलेश यादव यूपी की सत्ता सँभालने के प्रथम 4 वर्षों में यूपी में महज़ 27374.50 करोड़ रुपयों का ही पूंजी निवेश करा पाए l अखिलेश के कार्यकाल का यह पूंजी निवेश मायावती के कार्यकाल के पूंजी निवेश के मुकाबले 5118.35 करोड़ रुपये अर्थात लगभग 16% कम रहा l  

समाजसेवी संजय ने एक विशेष बातचीत में बताया कि यदि बाद के वर्षों में हुए रुपये के अवमूल्यन को गणना में  लिया जाए तो अखिलेश के कार्यकाल के आरंभिक 4 वर्षों का पूंजी निवेश मायावती के कार्यकाल के आरंभिक 4 वर्षों के पूंजी निवेश के मुकाबले काफी कम रहा है l 

माया-काल में वित्तीय वर्ष 2007-08 में 4918.26 करोड़ रुपयों का, 2008-09 में 5176.63 करोड़ रुपयों का, 2009-10 में 11951.93 करोड़ रुपयों का और 2010-11 में 10446.03 करोड़ रुपयों का पूंजी निवेश हुआ तो वहीं अखिलेश-काल में वित्तीय वर्ष 2012-13 में 6659.55 करोड़ रुपयों का, 2013-14 में 5213.03 करोड़ रुपयों का, 2014-15 में 7671.2034 करोड़ रुपयों का, 2015-16 में 7830.7169 करोड़ रुपयों का पूंजी निवेश हुआ l अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में मायावती ने यूपी में 25052.42 करोड़ रुपयों का पूंजी निवेश कराया था l अखिलेश यादव के कार्यकाल के अंतिम वर्ष अर्थात वित्तीय वर्ष 2016-17 की सूचना अभी संजय को नहीं दी गई है l

अखिलेश यादव और उनके अधिकारियों द्वारा यूपी में पूंजी निवेश कराने के नाम पर मुफ्त की विदेशी-देशी यात्राओं,होटलों में की गई मंहगी सभाओं और झूंठे प्रचार पर जनता की गाढ़ी कमाई खर्च कर जनता के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए संजय ने पूंजी निवेश पर अखिलेश के झूंठे वादों को अखिलेश की हार के अनेकों कारकों में से एक कारक करार दिया है l

संजय ने बताया कि क्योंकि सूबे के नए सीएम योगी आदित्यनाथ को भी अखिलेश के काल की वही रीढ़विहीन और मतलबपरस्त नौकरशाही विरासत में मिली है जो अपनी निजी स्वार्थ साधने के लिए 5 साल तक अखिलेश के सफेद झूंठ को ही सच के रूप में जनता के सामने परोसती रही इसीलिये अब उन्होंने पूंजी निवेश के इन तथ्यों के आधार पर वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर योगी को यूपी की रीढ़विहीन और मतलबपरस्त नौकरशाही से भविष्य में सावधान रहने की व्यक्तिगत सलाह दी है l

सूबे के विकास के लिए पूंजीनिवेश को अत्यधिक महत्वपूर्ण कारक बताते हुए संजय ने अपने पत्र में योगी से यूपी में अखिलेश की तरह कागजी नहीं अपितु वास्तविक पूंजी निवेश कराकर यूपी के नौजवानों को रोजगार के अवसर मुहैया कराने की अपील करने की बात भी कही है l

©yaishwaryaj