Thursday 26 November, 2015

येश्वर्याज की अगुआई में ‘त्वरित न्याय मांग यात्रा’ 12 दिसम्बर को लखनऊ में

न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ 'न्याय यात्रा' निकाल और 'मोमबत्ती जला' 12
दिसम्बर को यूपी की राजधानी लखनऊ में विरोध प्रदर्शन कर न्यायिक
पारदर्शिता और जबाबदेही की मांग करेंगे समाजसेवी.

लखनऊ/25 नवम्बर 2015/ आने बाले 12 दिसम्बर को देश भर के अनेकों सामाजिक
संगठनों के पदाधिकारी और समाजसेवी न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ यूपी की
राजधानी लखनऊ में एकत्र होकर लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा
संस्थान की अगुआई में जिलाधिकारी आवास से हजरतगंज जीपीओ स्थित महात्मा
गांधी पार्क तक पैदल मार्च करेंगे और महात्मा गांधी की प्रतिमा पर
मोमबत्ती जलाकर त्वरित न्याय के लिए सभी न्यायालयों में न्यायिक
पारदर्शिता और जबाबदेही स्थापित करने की अपनी मांगों को बुलंद
करेंगे.कार्यक्रम का समन्वयन समाजसेवी तनवीर अहमद सिद्दीकी और सह-समन्वयन
समाजसेवी राम स्वरुप यादव करेंगे .

येश्वर्याज की सचिव,सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी
शर्मा ने बताया कि न्यायिक पारदर्शिता न होने के कारण ही न्यायिक
प्रक्रियाओं में भी भ्रष्टाचार गहरे तक घर कर गया है और इसलिए आज सभी के
लिए एकसमान न्याय की बात बेमानी सी हो गयी है.सलमान खान के केस का हवाला
देते हुए उर्वशी ने कहा कि सलमान को लाभ पंहुचाने के लिए पहले तो इस केस
को 13 साल तक लटकाए रखा जाता है और फिर इसे तीन दिन के भीतर निबटा भी
दिया जाता है. उर्वशी ने कहा कि ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि सलमान न्याय को
खरीदने में समर्थ हैं जबकि एक आम आदमी, जो न्याय के लिए भुगतान नहीं कर
पाता है वह न्याय पाने में पीछे छूट जाता है. न्याय व्यवस्था पर कटाक्ष
करते हुए उर्वशी ने कहा कि यह कैसी व्यवस्था है जो जब चाहे तब न्याय में
देरी भी कर सकती है और उसमें तेजी भी ला सकती है. उर्वशी ने कहा कि इस
कार्यक्रम के माध्यम से उनका संगठन उस न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ आवाज
बुलंद करने को आगे आया है जिसमें विशिष्ट लोग और अमीर लोग जेल जाने से बच
जाते हैं और निर्दोष होने पर भी गरीब जेलों में पड़े रहते हैं.

बकौल उर्वशी भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता और समानता से
पहले न्याय को जगह दिया जाना यह स्पष्ट करता है कि संविधान निर्माताओं की
द्रष्टि में एक अपने नागरिकों को न्याय उपलब्ध कराना भारत के लोकतंत्र का
सर्वप्रमुख दायित्व था पर इस संविधान के लागू होने के 65 सालों बाद भी
न्यायिक प्रक्रियाओं में समानता की दिशा में उपलब्धियां कम हैं और
चिंताएं अधिक। उर्वशी ने कहा कि न्याय मे देरी और लंबित प्रकरणों की
बढ़ती संख्या के मुद्दों पर चिंता तो सभी व्यक्त करते हैं पर इस समस्या
का हल निकालने की दिशा में किये गए प्रयासों का कोई सार्थक परिणाम अभी तक
सामने नहीं आया है.उर्वशी ने कहा कि न्याय की एक पारदर्शी और जिम्मेदार
प्रणाली विकसित किये बिना इस समस्या का समाधान संभव नहीं है. उर्वशी ने
कहा कि न्यायपालिका स्वायत्तता के नाम पर जवाबदेही से बचती है जो सही
नहीं है.

उर्वशी ने बताया कि वे देश भर के सामाजिक संगठनों और समाजसेवियों से अपील
करेंगी कि वे सब इस 'त्वरित न्याय संघर्ष यात्रा को अपना सांकेतिक समर्थन
दें. बकौल उर्वशी उनका प्रयास है कि आने बाले 12 दिसम्बर को भारत के अधिक
से अधिक जिला मुख्यालयों पर न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ एक विरोध
प्रदर्शन हो.

उर्वशी ने बताया कि कार्यक्रम की अधिक जानकारी हेतु कार्यक्रम के समन्वयक
तनवीर अहमद सिद्दीकी से मोबाइल नंबर 9335011869 पर,सह-समन्वयन राम स्वरुप
यादव से मोबाइल नंबर 9455508230 पर और संस्था के हेल्पलाइन नंबर
8081898081/ 9455553838 पर संपर्क कर कार्यक्रम की अद्यतन जानकारी
प्राप्त की जा सकती है.

उर्वशी ने बताया कि इस न्याय यात्रा और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से
न्यायालयों में पारदर्शिता और जबाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अदालती
कार्यवाहियों की विडियो रिकॉर्डिंग कराने, सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट/निचली
अदालतों/अपीलीय अदालतों आदि मुक़दमे के निपटान की अधिकतम समय सीमा
निर्धारित करने आदि मांगों को उठाते हुए देश के
राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्य न्यायधीश और सभी प्रदेशों के
राज्यपालों,मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों को ज्ञापन
भेजा जाएगा.

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