Thursday 9 August, 2012

यूपी लोकायुक्त को आरटीआई दायरे में लाओ

http://www.janjwar.com/2011-06-03-11-27-02/71-movement/2964-uttar-pradesh-lokayukt-rti-se-bahar

यूपी लोकायुक्त को आरटीआई दायरे में लाओ

Thursday, 09 August 2012 08:55

उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार बचाओ अभियान के तत्वावधान में राज्य की
राजधानी में 8 अगस्त को गोष्ठी का आयोजन कर सरकार द्वारा लोकायुक्त को
आरटीआई से बाहर किये जाने का विरोध किया गया. गोष्ठी में सामाजिक
कार्यकर्ता उषा शर्मा, प्रभुता मिश्रा,बबिता सिंह, विष्णु दत्त मिश्रा और
आरटीआई कार्यकर्ताओं, जिसमें वकीलों,प्रोफेसरों,इंजीनियरों, सेवानिवृत्त
सरकारी अधिकारियों और अन्य लोगों, में भाग लिया.

गोष्ठी का उद्घाटन करते हुए उर्वशी शर्मा ने कहा कि यह लगता है कि उत्तर
प्रदेश राज्य में जागरूक नागरिकों नें सूचना के अधिकार का प्रयोग करके
जीवन के हर क्षेत्र के भ्रष्टाचार को उजागर कर सरकार को परेशान कर दिया
है, जिससे सात साल पुराने आरटीआई को कमजोर करने का कार्य उत्तर प्रदेश
में समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने शुरू किया है.

प्रभुता मिश्रा ने कहा कि 31 जुलाई को उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने
लोकायुक्त को सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई एक्ट) की धारा 24 (4) के
तहत छूट देकर इसे दूसरी अनुसूची में डालने का फैसला किया है. कैबिनेट का
यह निर्णय सरकार के लोकायुक्त को मजबूत बनाने का वादा करने के विपरीत है.

समाजवादी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में लोकायुक्त के कार्यालय को
मजबूत करने के लिए कदम उठाने के लिए वादा किया था, लेकिन इसे और अधिक
पारदर्शी बनाने की बजाय, सरकार ने पहले लोकायुक्त के कार्यकाल में आठ साल
के लिए वृद्धि की , फिर लोकायुक्त कार्यालय में किसी व्यक्ति द्वारा लोक
सेवक के खिलाफ की गयी शिकायत के प्रमाणित न होने पर शिकायतकर्ता को ही
दंडित करने के लिए प्राविधान किया ,और अब लोकायुक्त को आरटीआई अधिनियम के
दायरे के बाहर रखने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर लोकायुक्त संगठन को कमजोर
करने और उसके राजनीतिकरण किया है .

कार्यकर्ता उषा शर्मा ने कहा कि आरटीआई अधिनियम की धारा 24 (4) केवल
सुरक्षा और खुफिया संगठनों को छूट देता है.. इस छूट के लिए अर्हता
प्राप्त करने के लिए संगठन के लिए या तो सुरक्षा से संबंधित सेवाएं
प्रदान करने के कार्य या खुफिया अन्वेषण के लिए जिम्मेदार होना चाहिए और
यह इस संगठन का प्राथमिक कार्य होना चाहिए . लोकायुक्त न तो सुरक्षा और न
ही एक खुफिया संगठन है . यह मुख्य रूप से स्वं में निहित शक्तियों के साथ
सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ लगाए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का
संचालन करने के लिए एक संस्था है .लोकायुक्त धारा 24 (4) के तहत छूट के
लिए योग्य नहीं है .

गोष्ठी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उत्तर प्रदेश के निर्वाचन
क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी विधायकों को उत्तर प्रदेश
लोकायुक्त को सूचना का अधिकार अधिनियम से छूट देने के राज्य सरकार के
निर्णय की वापसी की मांग से सम्बंधित ज्ञापन भेजने का संकल्प सर्वसम्मति
से पारित किया गया.

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