Sunday 16 December, 2012

themailtoday.com:RTI News : 'सरकारी मानसिकता सूचना के अधिकार में बड़ी बाधा’

'सरकारी मानसिकता सूचना के अधिकार में बड़ी बाधा'

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लखनऊ || दिसंबर 16, 2012: कैसरबाग, लखनऊ स्थित जयशंकर सभागार मे ''सात
वर्षीय सूचना का अधिकार नागरिक वर्ग को शिक्षित करने, भ्रष्टाचार को
रोकने और लोक प्राधिकरणों को उत्तरदायी बनाने में कितना कारागार ?'' विषय
पर संगोष्ठी एवं प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये 'सूचना का अधिकार'
प्रयोग-कर्ताओं की जन-सुनवाई का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन
'येश्वर्याज सेवा संस्थान' एवं एस0आर0पी0डी0एम0 समाज सेवा संस्थान के
सामूहिक तत्तवावधान में किया गया।

कार्यक्रम में पूर्व न्यायाधीश सी0बी0 पाण्डेय ने मुख्य अतिथि के रूप में
संगोष्ठी को सम्बोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त
आई0ए0एस0, अधिवक्ता, आर0टी0आई0 एक्टिविस्ट एवं समाजसेवी एस0एन0 शुक्ला ने
की। कार्यक्रम में मूर्धन्य लेखक एवं प्रोफेसर-लखनऊ विश्वविद्यालय डा0
नीरज कुमार, वरिष्ठ पत्रकार मोहित दुबे, आर0टी0आई0 एक्टिविस्ट प्रो0
डी0डी0 शर्मा एवं आर0टी0आई0 एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकत्री डॉ0 नूतन
ठाकुर विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित थे।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने सूचना के अधिकार के सात वर्ष की यात्रा पर
प्रकाश डालते हुए सूचना के अधिकार को भारतीय लोकतन्त्र का गौरव बताया।
वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए कहा कि 'जानकारी' या इसे प्राप्त करने के
साधन के बिना एक लोकप्रिय जनता की सरकार प्रहसन या त्रासदी मात्र होती
है। किन्तु 2005 में सूचना का अधिकार प्राप्त होने के बाद भारत में अब
ऐसा नहीं है।

जागरूक नागरिकों को प्रजातन्त्र की मजबूत कड़ी बताते हुए सूचना के अधिकार
के द्वारा देश की आम जनता को देश को बदलने, ताकत मिलने की बात बताते हुए
यह बताया गया कि यह अधिनियम एकमात्र ऐसा अधिनियम है जिसकी शुरूआत जनता
करती है अर्थात जिसकी कुंजी जनता के हाथ में है और इसके सही क्रियान्वयन
से जनता सरकार व अधिकारियों को कठघरे में खड़ा करती है।

लोकतंत्र जनता के द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन होता है किन्तु
सूचना का अधिकार आने से, पूर्व गोपनीयता की आड़ में छद्म राजशाही कायम
थी। सूचना का अधिकार आने से जनता जागरूक और सशक्त हो रही है एवं सशक्त
जनता को शासक-वर्ग बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है।

शासक वर्ग का यह व्यवहार प्रधानमंत्री समेत चोटी के राजनेताओं एवं
अधिकारियों के आर0टी0आई0 विरोधी वक्तव्यों एवं सूचना का अधिकार
कार्यकर्ताओं के विरूद्ध हो रही दमनात्मक कार्यवाहियों से परिलक्षित होता
है। इसी कड़ी में सरकारों द्वारा आयोगों को भाई-भतीजावाद की भेंट चढ़ाकर
एक साजिश के तहत अशक्त बनाया जा रहा है।

सूचना का अधिकार, एकमात्र ऐसा अधिकार है जिसमें बिना कोई कारण दिये आम
जनता को सूचना मांगने का अधिकार प्राप्त है एवं यह जनता द्वारा शासक वर्ग
की जिम्मेदारी नियत करने की व्यावहारिक व्यवस्था लागू करने के दृष्टिकोण
से लाया गया था किन्तु यह दुर्भाग्य का विषय है कि देश की जनता को पहले
तो सूचना का अधिकार पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा और अब सूचना के अधिकार
को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

सरकारी तन्त्र द्वारा सूचना के अधिकार के प्रति उदासीन रवैये पर प्रकाश
डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकारी संस्थाओं द्वारा कानून में प्रदत्त
स्वतः खुलासे के प्रावधानों पर अमल नहीं किया जा रहा है। धारा 4-1(बी) के
तहत जो सूचनाएं चार माह में विभागों की वेबसाइट पर अपलोड हो जानी चाहिए
थी वे 7 साल में भी विभागीय वेबसाइटों पर अपलोड नहीं हो पाई।

कार्यक्रम के अन्त में रामस्वरूप यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम की संचालिका उर्वशी शर्मा ने लोगों का आवाह्न करते हुए बताया
कि आगामी दिनांक 01.04.2013 को उ0प्र0 विधान सभा के सामने स्थित धरना
स्थल पर ''भैंस के आगे बीन बजाकर'' सूचना के अधिकार के प्रति सरकार के
सुस्त रवैये के विरूद्ध आर0टी0आई0 कार्यकर्ता प्रतीकात्मक प्रदर्शन
करेंगे जिसमें उन्होंने प्रदेश के अधिक से अधिक आर0टी0आई0 कार्यकर्ताओं
से प्रतिभाग करने हेतु आवाह्न किया।

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