Tuesday 3 December, 2013

गरीब 'जन' के शाहखर्च 'प्रतिनिधि'

http://www.instantkhabar.com/lucknow/item/11493-lucknow.html

उर्वशी शर्मा उर्वशी शर्मा
लखनऊ: चुनावी सरगर्मियों के इस मौसम में जनता का सही प्रतिनिधि होने का
दम भरने वाले सभी उम्मीदवार बरसाती मेढकों की तरह टर्राते नजर आ रहे है|
गरीब जनता को चाँद तारे तोड़कर ला देने जैसे न जाने क्या क्या अकल्पनीय
वादे किये जा रहे हैं| जनता पशोपेश में है और यह भी जानती है कि उसे
नागनाथों और साँपनाथों में से ही किसी को चुनना पड़ेगा | अगर वह न भी
चुनना चाहे तो भी कोई न कोई नागनाथ या सांपनाथ तो चुन ही जाएगा क्योंकि
हमारा सिस्टम ही ऐसा है| आपको ये बातें हताशा भरी लग रही होंगी पर अब ये
हताशा ही भारत के लोक' की नियति बनती दिखाई दे रही है और पता नहीं इससे
हमारा तंत्र इससे कब उबरेगा ?

यदि ऐसा नहीं होता तो जिस भारत में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय
की एक रिपोर्ट के अनुसार निपट गरीब 17/- प्रतिदिन में गुजर-बसर करते
हैं, जिस भारत का योजना आयोग 28/- रोजाना खर्च करने बाले को गरीब नहीं
मानता है, जिस देश की सत्तारूढ़ पार्टी के नेता 12 /- और 5 /- में भरपेट
भोजन मिलने के दावे करते हैं उसी देश की सत्तारूढ़ सरकार अपने चौथे
सालगिरह जश्न पर प्रति आगंतुक 6871 /- खर्च करने से पहले हज़ार बार
सोचती|

लखनऊ स्थित आरटीआई वर्कर और समाज सेविका उर्वशी शर्मा ने बताया कि
उन्होंने बीते मई में यूपीए-2 सरकार के चौथे सालगिरह जश्न के आगंतुकों और
खर्चे के सम्बन्ध में प्रधानमंत्री कार्यालय से सूचना माँगी थी| उस समय
यह कहा गया कि आगंतुकों के नाम उजागर होने से देश की सुरक्षा को ख़तरा है
और खर्चे के बिल प्रधान मंत्री कार्यालय में प्राप्त नहीं हुए हैं| कुछ
माह इंतज़ार कर बीते अगस्त में उर्वशी ने पुनः सूचना यह सोचकर माँगी कि
अब तक तो बिल आ ही गए होंगे और आगंतुकों के नाम के स्थान पर उनकी संख्या
माँगी ताकि देश भी सुरक्षित रहे और उनका भी काम हो जाये| उर्वशी को तब
आश्चर्य हुआ जब प्रधानमंत्री कार्यालय के उन्ही जनसूचना अधिकारी ने सूचना
न देने के दूषित उद्देश्य से उनके दूसरे आवेदन पर पहले आवेदन के उनके
जवाब से उलट लिखा कि सूचनाएं प्रधानमंत्री कार्यालय से सम्बंधित ही नहीं
हैं| उर्वशी ने बताया कि देश के सर्वोच्च प्रशासनिक कार्यालय द्वारा देश
की सरकार की शाहखर्ची छुपाने के इस कुत्सित प्रयास से मुझे गहरा आघात लगा
और मैंने अपनी वेदना और शिकायत अपील के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय
के अपीलीय अधिकारी को भेजी| मेरी मजबूत आपत्तियों पर अपीलीय अधिकारी के
दखल के बाद बीते 22 नवम्बर को मुझे जो सूचना मिली है वह बेहद चौकाने वाली
है|

प्राप्त सूचना के अनुसार इस सालगिरह जश्न में 522 मेहमान निमंत्रित थे
जिनमे से 300 ने इस सालगिरह जश्न मंर शिरकत की|आगंतुकों की संख्या से
स्पष्ट है कि जश्न में बुलाये गए लोगों में से 43% से अधिक अनुपस्थित
रहे जो जनता के पैसे से किये जा रहे आयोजन के नियोजनकताओं की
कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है कि आखिर क्यों इतनी बड़ी संख्या
में ऐसे लोगों को आमंत्रित किया गया जो कार्यक्रम में आने वाले ही नहीं
थे|

आये हुए 300 मेहमानों पर किये गए खर्चों के मदवार आंकड़े भी बेहद चौकाने
वाले हैं | प्रधानमंत्री द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार इस कार्यक्रम
में प्रति आगंतुक 3719/- प्रति आगंतुक की भारी भरकम रकम टेंट की व्यवस्था
में,2103 /- प्रति आगंतुक की भारी भरकम रकम खान-पान में और 1012 /- प्रति
आगंतुक की भारी भरकम रकम बिजली व्यवस्था में खर्ची गयी l

बड़ा सबाल यह है कि भारत जैसे गरीब देश की सरकारें आखिर कब सरकारी पैसे की
इस तरह की बेमतलब शाहखर्ची छोड़कर वास्तव में जनता का पैसा वास्तव में
जनता पर ही खर्च करने का सोचेंगी l

उर्वशी ने कहा कि शायद मेरे अकेले ये सवाल उठाने से कुछ नहीं होने वाला
है क्योंकि जब तक सारा हिंदुस्तान ये सवाल नहीं उठाएगा तब तक कुछ भी नहीं
होने वाला है| उर्वशी को पूरी आशा है कि कभी न कभी भारत की जनता इस तरह
की बेशर्म सरकारों के सोये पड़े जमीर को , जिनके लिए एक तरफ तो 28 /-
प्रतिदिन कमाने वाला व्यक्ति गरीब नहीं लगता वही दूसरी ओर वे एक बेमतलब
जश्न पर एक व्यक्ति के एक समय के भोजन और इंतजाम पर 6871/- खर्च कर देती
हैं , को जागने पर आमादा अवश्य कर देगी|

खबर की श्रेणी लखनऊ

Tagged under urvashi sharma

No comments:

Post a Comment