Monday 9 February, 2015

क्या महज मौजमस्ती के लिए ही थे यूपी सीएम के सरकारी विदेश दौरे ? अखिलेश के विदेश दौरों के बाद नही बनी कोई रिपोर्ट ! आरटीआई से हुआ खुलासा.

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आमतौर पर सरकारी खर्चों पर किए गये विदेश दौरों के बाद उन दौरों के
दौरान सीखी गयी बातों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार कर उस पर अमल किया जाना
एक सामान्य प्रक्रिया मानी जाती है परंतु यूपी सीएम के सरकारी विदेश दौरे
इस सामान्य प्रक्रिया से छूट प्राप्त श्रेणी में आते हैं. यह खुलासा लखनऊ
निवासी सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा की एक आरटीआई से हुआ
है। दरअसल, संजय की आरटीआई के जवाब में उत्तर प्रदेश के गोपन विभाग के
विशेष सचिव एवं जन सूचना अधिकारी कृष्ण गोपाल ओर से जो उत्तर मिला है,
उसने अखिलेश के विदेश दौरों की पोल खोल दी है.


संजय ने बताया कि साल 2013 में अखिलेश अपने 12 सदस्यीय शिष्टमंडल के साथ
हावर्ड यूनिवर्सिटी के एनुअल सिँपोसियम में भाग लेने यू एस ए गये थे.
आज़म ख़ान की तलाशी के कारण यह दौरा विवादित हो गया और अखिलेश कार्यक्रम
में शिरकत किए बिना ही लौट आए थे. अब इस आरटीआई जबाब से यह सामने आ रहा
है कि इस दौरे पर गये 11 लोगों का खर्चा राज्य सरकार ने उठाया और एक
सदस्य विजय कुमार यादव अपने खर्चे पर अखिलेश के साथ शायद अपने निजी हित
साधने यू एस ए गये थे. इस विदेश यात्रा की कोई रिपोर्ट प्रदेश सरकार को
नही दी गयी है. संजय का मानना है कि हावर्ड यूनिवर्सिटी के एनुअल
सिँपोसियम में भाग लेने यू एस ए गये अखिलेश समेत 12 सदस्यीय शिष्टमंडल
के इस विवादित दौरे से प्रदेश को कोई लाभ नही हुआ है.


अपनी आरटीआई से सरकार की कार्यप्रणाली को प्रायः कटघरे में खड़ा करने
बाले सामाजिक कार्यकर्ता संजय कहते हैं कि बीते साल में अखिलेश अपने 07
सदस्यीय शिष्टमंडल के साथ नीदरलेंड में पुष्प बाजार के भ्रमण, दुग्ध ,फल
एवं शाक-सब्जी की आधुनिक तकनीक के अध्ययन के लिए गये थे.अब इस आरटीआई
जबाब से यह सामने आ रहा है कि इस दौरे पर गये सभी 07 लोगों का खर्चा
राज्य सरकार ने उठाया और यह भी कि इन 07 लोगों में से कोई भी पुष्प,
दुग्ध ,फल , शाक-सब्जी के क्षेत्र का विशेषग्य नही था. इस विदेश यात्रा
की भी कोई रिपोर्ट प्रदेश सरकार को नही दी गयी है. संजय का मानना है कि
नीदरलेंड गये अखिलेश समेत 07 सदस्यीय शिष्टमंडल के इस दौरे से प्रदेश को
पुष्प, दुग्ध ,फल , शाक-सब्जी के क्षेत्र में कोई भी लाभ नही हुआ है.



संजय ने यह जानकारी हासिल करने के लिए पिछले वर्ष 10 फरवरी को मुख्य सचिव
के कार्यालय में एक आरटीआई दायर की थी। आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत
हालांकि, 30 दिनों में ही सूचना देने की अनिवार्यता है, लेकिन उत्तर
प्रदेश के गोपन विभाग की उदासीनता के चलते संजय को यह अधूरी सूचना गोपन
विभाग द्वारा 11 महीने बाद दी गई है। अभी संजय को इन यात्राओं पर हुए
खर्चों की जानकारी नही दी गयी है और उत्तर प्रदेश के गोपन विभाग के विशेष
सचिव एवं जन सूचना अधिकारी कृष्ण गोपाल ने आरटीआई आवेदन का यह भाग
अभी-अभी सचिवालय प्रशासन विभाग को भेजा है.


इन विदेश यात्राओं की कोई रिपोर्ट प्रदेश सरकार को नही दिए जाने के
संबंध में उत्तर प्रदेश के गोपन विभाग के विशेष सचिव एवं जन सूचना
अधिकारी कृष्ण गोपाल ने कहा है कि विदेश यात्राओं के उपरांत राज्य सरकार
को रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने की कोई व्यवस्था का प्रविधान नही है किंतु
संजय इससे असहमत हैं और कहते हैं कि सभी लोकसेवकों के द्वारा सरकारी
खर्चों पर किए गये विदेश दौरों के बाद उन दौरों के दौरान सीखी गयी बातों
को लेकर एक रिपोर्ट तैयार कर उस पर अमल किया जाना एक सामान्य प्रक्रिया
है और लोकसेवक होने के कारण यूपी सीएम के सरकारी विदेश दौरे इस सामान्य
प्रक्रिया से छूट प्राप्त श्रेणी में नही हो सकते हैं.


संजय ने सबाल उठाया है कि जब राजनेताओं के विदेशी दौरों के बाद उनकी कोई
जबाबदेही ही नही निर्धारित है तो जनता के पैसों से किए गये ये विदेशी
दौरे क्या महज मौजमस्ती के लिए और अपने चहेते नौकरशाहों और मंत्रियों को
उपकृत करने के लिए किए जाते हैं ?


लोक जीवन में पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के
मानवाधिकारों के संरक्षण के हितार्थ जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था
'तहरीर' के संस्थापक संजय ने इस संबंध में सूचना आयोग की सुनवाई में
अपना पक्ष रखने के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति और सूबे के
राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राजनेताओं के विदेशी दौरों के बाद
उनकी कोई जबाबदेही निर्धारित किए जाने की माँग करने और अपनी इस मुहिम की
सफलता के लिए आवश्यकता होने पर न्यायालय जाने की बात कही है.

--
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
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Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
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