Monday 8 June, 2015

व्यवस्था से लड़ती ‘आरटीआई गर्ल’

व्यवस्था से लड़ती 'आरटीआई गर्ल'

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June 4, 2015 Diti Bajpai नारी डायरी

खेलकूद वाली उम्र में ऐश्वर्या ने समाज की बुराइयों से लडऩे के लिए बनाया
आरटीआई को हथियार

लखनऊ। तेरह वर्षीय की उम्र बच्चों के खेलने कूदने की होती, लेकिन
ऐश्वर्या पाराशर को लोग इस उम्र में आरटीआई गर्ल (सूचना का अधिकार वाली
लड़की) के नाम से जानते हैं। ऐश्वर्या ने आरटीआई को ज़रिया बना कर सामाज
की कई बुराई से लडऩे की ठानी है जिसके लिए उसे सम्मानित भी किया जा चुका
है।

IMG_20150528_122424लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर
राजाजीपुरम में रहने वाली ऐश्वर्या कक्षा नौ में पढ़ाई कर रही हैं।
ऐश्वर्या ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) का इस्तेमाल करते हुए अपने स्कूल
के सामने फेके जा रहे कूड़े के संदर्भ में पहली आरटीआई दाखिल की

ऐश्वर्या बताती हैं, "हमारे स्कूल के सामने कूड़े का ढेर लगा रहता था।
इसको हटाने के लिए मैंने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को पत्र लिखा था,
जिसके बाद उस कूड़ाघर को हटाकर उसकी जगह सार्वजनिक पुस्तकालय बना दिया
गया।"

ऐश्वर्या सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करके 15 अगस्त, दो अक्टूबर, 26
जनवरी को राष्ट्रीय पर्व घोषित करने, हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित करने,
राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्बन्ध में भारत सरकार से सूचना प्राप्त कर चुकी
हैं। ऐश्वर्या को सीएनएन-आईबीएन की तरफ से 'सिटिजऩ जर्नलिस्ट',
हिन्दुस्तान टाइम्स की तरफ से 'एचटी वुमन' 2012 एवं 2013 का पुरस्कार तथा
पुरवैय्या संस्थान की तरफ से पुरस्कृत किया जा चुका है। ऐश्वर्या डॉक्टर
बनकर लोगों की मदद करना चाहती हैं।

आरटीआई दाखिल करने में ऐश्वर्या अपनी मां की मदद लेती है जो कि एक आरटीआई
कार्यकर्ता हैं। ऐश्वर्या की मां उर्वशी शर्मा बताती हैं, "सूचना का
अधिकार प्राप्त करने का अधिकार सभी को है इसीलिए मैंने अपनी बेटी को
आरटीआई के बारे में बताया। ऐश्वर्या ने गोमती नदी की सफाई अभियान के लिए
सिग्नेचर कैम्पेन भी चलाया, जिसके बाद पहली बार गोमती नदी की सफाई के लिए
बजट भी आंवटित किया गया।"

वर्ष 2012 में ऐश्वर्या ने दूसरी आरटीआई दाखिल की थी। इस आरटीआई के जवाब
ने सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी थी। आरटीआई का इस्तेमाल करते हुए
ऐश्वर्या ने पूछा था कि महात्मा गांधी को 'राष्ट्रीय पिता' की उपाधि कब
और किस आदेश के तहत दी गई थी। ऐश्वर्या बताती हैं, "जब मैंने यह आरटीआई
दाखिल की तो काफी समय बाद उसका उत्तर आया, जिसमें लिखा था कि महात्मा
गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा दिए जाने के समर्थन में कोई दस्तावेज
मौजूद नहीं है।"

ऐश्वर्या आगे बताती हैं, "जब मुझे यह पता चला की ऐसी कोई उपाधि उन्हें
नहीं दी गई तो मैंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महात्मा
गांधी को राष्ट्रपिता घोषित करने के लिए अधिसूचना जारी करने की प्रार्थना
भी की थी।"

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