राजपत्रित महिला अधिकारी की जालसाजी के मामले में एफ.आई.आर. पर प्रगति
रिपोर्ट न्यायालय में तलब.
लखनऊ के राजकीय गोविन्द बल्लभ पन्त पॉलिटेक्निक की घोटालेबाज और फ्रॉड
अंग्रेजी की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना उर्फ श्रद्धा शुक्ला से घूस खाकर
इस महिला पर दर्ज एफ.आई.आर. पर कार्यवाही न करने पर सी.जे.एम. ने लगाई
पुलिस को फटकार l
यूपी की राजधानी लखनऊ के चीफ जुडिशिअल मजिस्ट्रेट हितेंद्र हरि ने लखनऊ
की एक राजपत्रित महिला अधिकारी द्वारा अभिलेखों में कूटरचना करके जालसाजी
करने के मामले में दर्ज एक एफ.आई.आर. पर मूलतः ग्वालियर मध्य प्रदेश
निवासी ऊंची पंहुच बाली इस अभियुक्ता पर कार्यवाही न करने पर लखनऊ की
पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में तलब की है और
मामले की अगली सुनवाई आने 10 दिसम्बर को करने का आदेश दिया है. सी.जे.एम.
के न्यायालय ने यह आदेश लखनऊ की सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट
उर्वशी शर्मा द्वारा दाखिल एक अर्जी पर दिया है.
बकौल उर्वशी उन्होंने लखनऊ के मोहान रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त
पॉलिटेक्निक के कार्यालय में अनेकों आरटीआई आवेदन किये थे जिनके जबाबों
के आधार पर जी.बी.पन्त की अंग्रेजी की प्रवक्ता श्रद्धा सक्सेना द्वारा
अभिलेखों में कूटरचना करने की बात सामने आने पर उन्होंने बीते मार्च में
इस महिला के विरुद्ध आई.पी.सी. की धारा 420,467,468,471 और 167 में लखनऊ
के पारा थाने में एफ.आई.आर. दर्ज कराई थी.
उर्वशी ने बताया कि जब ऊंची पंहुच बाली इस राजपत्रित अधिकारी अभियुक्ता
ने इस बाबत अपने पति देवेन्द्र शुक्ल मूल निवासी जौनपुर और अन्य लोगों के
मार्फत उनको जान-माल की धमकियाँ दिलाना शुरु कर दिया और पुलिस के जांच
अधिकारी से बात करने पर भी उनको कोई संतोषजनक जबाब नहीं मिला तथा न ही इस
मामले में पुलिस द्वारा उनके कोई बयान ही अंकित किये गए तो उनको न्यायालय
में यह अर्जी देने के लिए वाध्य होना पड़ा है.
सामाजिक कार्यकत्री और आरटीआई एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने बताया कि मोहान
रोड पर स्थित राजकीय जी.बी.पन्त पॉलिटेक्निक उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण
के अंतर्गत संचालित एक अति विशिष्ट और देश का एकमात्र ऐसा पॉलिटेक्निक है
जो साल 1965 से समाज के वंचित वर्ग अर्थात अनुसूचित जाति, अनुसूचित
जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों को तकनीकी शिक्षा देकर समाज की
मुख्यधारा में लाने के लिए संचालित है जिसमें 97% आरक्षित और 3% सामान्य
वर्ग के छात्रों को प्रवेश दिया जाता है. उर्वशी ने बताया कि आपराधिक
मानसिकता की यह महिला इससे पहले भी अधिकारियों से मिलकर आरक्षित वर्ग के
छात्रों के मेस के पैसों में गबन कर चुकी है जिसके सम्बन्ध में उनके
द्वारा न्यायालय में इस अधिकारियों और इस महिला के खिलाफ अलग आपराधिक वाद
दर्ज कराया गया है जो अभी न्यायालय में लंबित है.
उर्वशी ने कहा कि ऐसे विशिष्ट पॉलिटेक्निक में आपराधिक मानसिकता बाली ऐसी
महिला अध्यापक के रहने से युवा होते छात्रों का चरित्रनिर्माण होने के
स्थान पर उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और अब वह अपने संगठन के माध्यम
से समाज कल्याण के प्रमुख सचिव सुनील कुमार को पत्र लिखकर इस महिला को
निलंबित कर इस मामले में विभागीय जांच कराने की भी मांग करेंगी.
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