Sunday 3 April, 2016

यूपी में आरटीआई को कमजोर करने की साजिश में जुटे पत्रकार अमित मिश्र और आरटीआई एक्टिविस्ट मुन्नालाल शुक्ल l

पीत पत्रकारिता करने वाले पत्रकार हमेशा रहे हैं और रहेंगे भी l ऐसे ही एक पत्रकार हैं दैनिक जागरण लखनऊ के रिपोर्टर अमित मिश्र l इसी प्रकार आस्तीन के सांप आरटीआई एक्टिविस्ट भी हमेशा रहे हैं और रहेंगे भी l ऐसे ही एक आरटीआई एक्टिविस्ट हैं मुन्नालाल शुक्ल l

आज एक तरफ सूबे के आरटीआई आवेदक सूचनाएं न मिलने से बेहाल-परेशान हैं तो वहीं अपने निहितार्थ साधने के लिए मुन्नालाल शुक्ल सरीखे आरटीआइ कार्यकर्ता सूचना देने में उदासीन सरकारी विभागों को क्लीन चिट देने में लगे हुए हैं l

रिपोर्टर अमित मिश्र ने एक चौंकाने बाली रिसर्च की है कि आरटीआइ आवेदकों पर बढ़े हमलों का कारण मेरे जैसे आरटीआई एक्टिविस्ट हैं तो वहीं आरटीआइ कार्यकर्ता मुन्नालाल शुक्ल का कहना है कि आरटीआइ का इतना नुकसान तो उदासीन सरकारी विभागों ने भी नहीं किया है जितना आरटीआइ को दलाली का हथियार बनाने वाले तथाकथित एक्टिविस्टों ने कर दिया।

मैं इस पत्रकार अमित मिश्र और आरटीआइ कार्यकर्ता मुन्नालाल शुक्ल को खुला चैलेंज देती हूँ कि ये दोनों यूपी के आरटीआई कार्यकर्ताओं के द्वारा ब्लैकमेलिंग, दलाली, उगाही और खुन्नस निकालने के मामलों की कुल संख्या इन सभी मामलों के प्रमाण सहित सार्वजनिक करें l

इन दोनों के इस प्रकार के आचरण का कारण शायद यह  कि ये दोनों, अर्थात अमित मिश्र और मुन्नालाल शुक्ल यूपी के भ्रष्ट सूचना आयुक्तों से पैसे पाकर आरटीआई को कमजोर करने का षड्यंत्र रच रहे हैं जिसके लिए में इनकी सार्वजनिक भर्त्सना कर रही हूँ l आप भिज्ञ हैं कि  मेरे द्वारा आगामी 11 अप्रैल को नवीन आरटीआई भवन के उद्घाटन के समय ही नवीन आरटीआई भवन के गेट के सामने सभी सूचना आयुक्तों का पुतला दहन करने के निर्णय से बौखलाए सूचना आयुक्तों ने अब अमित मिश्र जैसे बिकाऊ पत्रकार और मुन्नालाल शुक्ल जैसे बिकाऊ आरटीआइ कार्यकर्ता के मार्फत मुझ पर अपरोक्ष हमला बोला है जिसका स्वागत है l पर मैं हर लड़ाई प्रत्यक्ष और पारदर्शी रूप से लडती हूँ इसलिये इन दोनों का नाम लेकर इनकी सार्वजनिक भर्त्सना कर रही हूँ lपुतला दहन कार्यक्रम के मेरे प्लान और मांगों से संवंधित दिनांक 20 मार्च की खबर यहाँ पढ़ें http://gaongiraw.com/2016/03/20/153

विगत दिनों दैनिक जागरण के लखनऊ संस्करण के पेज 12 पर "आरटीआई को बना दिया वसूली का औजार" शीर्षक से एक खबर छपी  l इसमें केस संख्या 2 मुझसे सम्बंधित था  l इसमें रिपोर्टर अमित मिश्र ने लिखा  "समाज कल्याण विभाग में कार्यरत एक साहब किसी आरोप पर निलंबित कर दिए गए तो उनकी पत्नी ने आरटीआइ आवेदन कर कई सूचनाएं मांग लीं। विभाग जवाब देने में हिचकिचाया तो पत्नी ने शर्त रख दी कि मेरे पति को बहाल कर दो तो आरटीआइ आवेदन वापस ले लूंगी। विभाग ने बहाल कर दिया तो मैडम ने आवेदन वापस ले लिया, लेकिन उन्हें आरटीआइ का इस्तेमाल समझ आ गया। आनन-फानन में एनजीओ बनाया और बड़े पैमाने पर यही काम शुरू कर दिया।" संवंधित खबर यहाँ http://epaper.jagran.com/ePaperArticle/30-mar-2016-edition-Lucknow-page_14-30105-3370-11.html

अमित मिश्र ने मेरे मामले का हवाला देते हुए लिखा है कि मेरे द्वारा आरटीआइ का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भी हो रहा है। अमित मिश्र का कहना है कि मुझे कोई संवैधानिक दर्जा या मानदेय नहीं मिलता, लेकिन फिर भी मैं फुलटाइम आरटीआइ एक्टिविस्ट बन गयी हूँ । अमित मिश्र के अनुसार मुन्नालाल शुक्ल सरीखे आरटीआइ एक्टिविस्ट तो वास्तव में जनोपयोगी सूचनाएं मांग रहे हैं पर मेरे जैसे आरटीआइ एक्टिविस्टो ने आरटीआइ को ब्लैकमेलिंग, दलाली, उगाही और खुन्नस निकालने का औजार बना लिया है और इससे ही आरटीआइ आवेदकों पर हमले बढ़े हैं।

अमित मिश्र ने अपने निहितार्थ साधने को मुझ पर आरटीआइ को ब्लैकमेलिंग, दलाली, उगाही और खुन्नस निकालने का औजार बनाने के झूंठे आरोप लगाए है जिसके लिए में पीत पत्रकारिता करने बाले इस पत्रकार की एक बार फिर सार्वजनिक भर्त्सना करते हुए अमित मिश्र को इस मामले पर मुझसे सप्रमाण इन-कैमरा बहस का खुला चैलेंज दे रही हूँ l आरटीआइ कार्यकर्ता मुन्नालाल शुक्ल को भी सप्रमाण इन-कैमरा बहस का खुला चैलेंज l

यदि ये दोनों मुझे या मेरे एनजीओ को गलत साबित कर दें तो मैं सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लूंगी अन्यथा अमित मिश्र पत्रकारिता छोड़ दें और मुन्ना लाल सार्वजनिक जीवन l

यदि इन दोनों ने एक माह में मेरा चैलेंज स्वीकार नहीं किया तो इन पर मानहानि का वाद दायर करूंगी l
 

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