Wednesday 13 December, 2017

UP गृह विभाग में गुम गई भारत सरकार की एडवाइजरी लेकिन RTI एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने प्रयास कर जारी कराया शासनादेश l


लखनऊ/१३ दिसम्बर २०१७............
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj

साल २००५ में लागू हुआ आरटीआई एक्ट जहाँ एक तरफ बड़े-बड़े घोटाले उजागर कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ देश के समाजसेवी इस अधिनियम का प्रयोग करके सरकारों से आम जनता के हितों से जुड़े मुद्दों पर वृहद् लोकहित के शासनादेश तक जारी कराने में कामयाबी हासिल  कर रहे हैं l   इसी कड़ी में ताजा खबर आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से आ रही है जहाँ के फायरब्रांड आरटीआई एक्टिविस्ट और इंजीनियर संजय शर्मा ने आरटीआई एक्ट का प्रयोग करके  उत्तर प्रदेश सरकार से सभी नागरिकों के लिए बिना किसी भेद-भाव के भयमुक्त वातावरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का शासनादेश जारी कराने में कामयाबी हासिल की है l


Download original RTI & other related documents by clicking this exclusive weblink http://upcpri.blogspot.in/2017/12/l_13.html

देश में पारदर्शिता, जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में काम रहे चोटी के समाजसेवियों में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते मार्च महीने की १६ तारीख को यूपी के मुख्य सचिव के कार्यालय के जनसूचना अधिकारी और अनुसचिव पी. के. पाण्डेय को एक आरटीआई अर्जी भेजकर भारत सरकार द्वारा सभी पुलिस थानों पर संज्ञेय अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की वाध्यता होने और ऍफ़.आई.आर. दर्ज नहीं करने पर सम्बंधित थाना प्रभारी के खिलाफ विधिक कार्यवाही करने के सम्बन्ध में साल २०१५ के अक्टूबर महीने की १२ तारीख को यूपी के मुख्य सचिव को जारी की गई एक एडवाइजरी पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई कार्यवाही आदि से सम्बंधित ६ बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l बीते २१ मार्च को पाण्डेय ने संजय को चिट्ठी भेजकर बताया कि मुख्य सचिव कार्यालय ने भारत सरकार की एडवाइजरी को साल २०१५ के अक्टूबर महीने की १६ तारिख को ही यूपी के गृह विभाग को भेज दिया था और संजय की आरटीआई की अर्जी को एक्ट की धारा ६(३) के तहत गृह विभाग के जन सूचना अधिकारी को अंतरित कर दिया था l ३० दिन में सूचना न  मिलने पर संजय ने बीते २७ अप्रैल को मामला राज्य सूचना आयोग में दाखिल कर दिया था l


उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी के दखल के बाद गृह (पुलिस) अनुभाग-३ के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी उदय प्रताप सिंह ने संजय को जो सूचना दी है वह जहाँ एक तरफ महत्वपूर्ण सरकारी अभिलेखों के रखरखाव के  प्रति यूपी के गृह विभाग की घोर लापरवाही को उजागर कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ सूचना के अधिकार की ताकत को भी उजागर कर रही है l सिंह ने एक्टिविस्ट संजय को बताया है कि मुख्य सचिव द्वारा भेजी गई भारत सरकार की एडवाइजरी गृह विभाग में प्राप्त नहीं हो पाने के कारण इस एडवाइजरी पर कोई निर्देश जारी नहीं हो पाए थे l सिंह ने संजय को यह भी बताया है कि मार्च महीने में उनके द्वारा आरटीआई के साथ भेजी गई भारत सरकार की एडवाइजरी और इसके संलग्नकों का संज्ञान लेकर प्रदेश सरकार ने बीते जून महीने की १९ तारीख को शासनादेश जारी करके यूपी के पुलिस महानिदेशक,समस्त जोनल अपर पुलिस महानिदेशक,समस्त परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक,समस्त पुलिस उपमहानिरीक्षक एवं सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक को सीआरपीसी की धारा १५४ के अंतर्गत संज्ञेय अपराधों में अनिवार्य रूप से सभी नागरिकों के लिए बिना किसी भेद-भाव के भयमुक्त वातावरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट ( FIR ) दर्ज कराने के निर्देश जारी किये गए हैं l संजय को प्रमुख सचिव अरविन्द कुमार द्वारा जारी किये गए इस शासनादेश की प्रति भी दी गई है l यह शासनादेश उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक अपराध,अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था,समस्त मंडलायुक्त और समस्त जिला मजिस्ट्रेटों को पृष्ठांकित भी  है l

अपनी आरटीआई की सफलता से खुश संजय ने इस स्वतंत्र पत्रकार को एक विशेष बातचीत में बताया कि अब वे पूरे सूबे के सभी थानों में इस शासनादेश का अक्षरशः अनुपालन कराने और अनुपालन नहीं करने वाले थानाध्यक्षों को दण्डित कराने की मुहिम शुरू करने जा रहे हैं l संजय ने इस मामले में थानों से बिना ऍफ़.आई.आर. दर्ज किये टरकाये गए पीड़ितों द्वारा  मोबाइल हेल्पलाइन नंबर ८०८१८९८०८१  पर बात करने पर  व्यक्तिगत रूप से मदद करने की बात भी कही है l   
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समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj


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