Thursday 22 March, 2018

राफेल विमान से जुडी की कोई भी जानकारी RTI में नहीं देगी NDA सरकार l

News Summary : राफेल विमान खरीद को UPA सरकार ने नहीं किया था कोई करार और देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर सेना को कमजोर करने और सेना का आधुनिकीकरण रोके रखने के आरोपों का कोई प्रमाण नहीं : RTI खुलासा l राफेल विमान से जुडी की कोई भी जानकारी RTI में नहीं देगी NDA सरकार l कांग्रेस पार्टी और भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण दोनों झूंठी : RTI खुलासा l



लखनऊ / 22 मार्च 2018............        
समाचार लेखिका - उर्वशी शर्मा  ( स्वतंत्र पत्रकार )
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj

राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी  और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर लम्बे समय से जारी है l बताते चलें कि वायुसेना की मांग पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार ने 126 लड़ाकू विमान खरीदने का   प्रस्ताव सबसे पहले रखा था l बाद में  UPA सरकार ने  रक्षा  खरीद परिषद बनाकर इस प्रस्ताव को आगे बढाया  जिसके मुखिया तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटोनी  ने अगस्‍त 2007 में 126 एयरक्राफ्ट की खरीद को मंजूरी दी l  इसके बाद  बोली लगने की प्रक्रिया शुरू हुई और  आखिरकार 3 हजार 800 किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम 126 राफेल विमानों की खरीद का आरएफपी मीडियम मल्‍टी-रोल कॉम्‍बेट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) कार्यक्रम के अंतर्गत जारी किया गया l  एमएमआरसीए के कॉम्पिटीशन में अमेरिका के बोइंग एफ/ए-18ई/एफ सुपर हॉरनेट, फ्रांस का डसॉल्‍ट राफेल, ब्रिटेन का यूरोफाइटर, अमेरिका का लॉकहीड मार्टिन एफ-16 फाल्‍कन, रूस का मिखोयान मिग-35 और स्वीडन के साब जैस 39 ग्रिपेन जैसे एयरक्राफ्ट शामिल थे l  कम कीमत और सस्ते रखरखाव की बात कहते हुए इन छह फाइटर जेट्स के बीच राफेल को  चुना गया l भारतीय वायुसेना ने कई विमानों के तकनीकी परीक्षण और मूल्यांकन किए और साल 2011 में  राफेल और यूरोफाइटर टाइफून को मानदंडों  पर खरा पाया गया और साल 2012 में राफेल को एल-1 बिडर घोषित किया गया और इसके मैन्युफैक्चरर दसाल्ट ए‍विएशन के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर बातचीत शुरू हुई. लेकिन आरएफपी अनुपालन,लागत और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे  कई मुद्दों पर गतिरोध की वजह से साल 2014 में UPA सरकार के समय तक यह बातचीत अधूरी ही रही l साल 2014 में  नरेंद्र मोदी सरकार ने इस दिशा में फिर से प्रयास शुरू किया और  पीएम की फ्रांस यात्रा के दौरान साल 2015 में भारत और फ्रांस के बीच 36 फ्लाइ-अवे यानी उड़ान के लिए तैयार राफेल विमान  हासिल करने और दोनों देश विमानों की आपूर्ति की शर्तों के लिए एक अंतर-सरकारी समझौता करने की सहमति बनी l कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद दोनों देशों के बीच 2016 में आईजीए समझौता हुआ है l एनडीए सरकार ने दावा किया है कि उसने यह सौदा यूपीए से कम  कीमत में करके  12,600 करोड़ रुपये से ज्यादा बचाए हैं जबकि कोंग्रेस  का कहना है कि यूपीए ने 126 विमानों का सौदा  54,000 करोड़ रुपये में किया था जबकि मोदी सरकार सिर्फ 36 विमानों के लिए 58,000 करोड़ रुपये खर्च रही है l अब सूबे  की राजधानी लखनऊ के फायरब्रांड आरटीआई कंसलटेंट और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा  भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में दायर की गई एक आरटीआई पर वायु सेना मुख्यालय ने जो जबाब दिया है उससे राफेल विमान से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं l  

मूल आरटीआई आवेदन और जवाब देखने के लिए इस एक्सक्लूसिव वेबलिंक   http://upcpri.blogspot.in/2018/03/rti-l.html   को क्लिक करें l


बताते चलें कि लोकजीवन में पारदर्शिता,जबाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे देश के नामचीन  समाजसेवियों ओं में शुमार होने वाले संजय शर्मा ने बीते साल के नवम्बर महीने की 20 तारीख को  भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में एक RTI दायर करके राफेल विमान सौदे आदि के सम्बन्ध में 11 बिन्दुओं पर सूचना माँगी थी l रक्षा मंत्रालय की सेक्शन ऑफिसर ( RTI) मंजू बिष्ट ने बीती साल 21 दिसम्बर को संजय की आरटीआई अर्जी वायु सेना मुख्यालय को अंतरित की थी l अब वायु सेना मुख्यालय की केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी और विंग कमांडर सुमन अधिकारी ने संजय को जो सूचना दी है वह बेहद चौंकाने वाली है l


फ्रांस की कंपनी दसौल्ट एविएशन और भारत सरकार के बीच राफेल विमान खरीदने के लिए UPA सरकार के समय हुए करार,NDA सरकार के समय हुए करार,परिचालित पत्रावलियों,सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी की बैठकों के कार्यवृत्तों, भारत में जहाज बनाने की जिम्मेदारी हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड HAL की जगह रिलायंस डिफेन्स लिमिटेड को देने के करार और NDA सरकार के समय किये गए सौदे में प्रति विमान कीमत की सूचना को गोपनीय प्रकृति की सूचना बताते हुए सुमन ने एक्टिविस्ट संजय को बताया है कि इस सूचना के सार्वजनिक करने से यह सूचना देश के दुश्मनों तक पंहुचेगी जिसका सीधा असर देश की सुरक्षा और रणनीतिक हितों पर पड़ेगा l सुमन ने यह भी बताया है कि यह सूचना वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार गोपनीयता अथवा बौद्धिक सम्पदा से सम्बंधित है जिसके प्रगटन से  विदेशी सरकार के बिश्वास पर भारत से जुड़े  तृतीय पक्ष दसौल्ट एविएशन की प्रतियोगी स्थिति को हानि पंहुचेगी और आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8(1)(a),(d) & (f) के तहत सूचना देने से मना कर दिया है l




संजय को दी गई सूचना के अनुसार पूर्ववर्ती UPA सरकार के कार्यकाल में राफेल विमान खरीद के सम्बन्ध में कोई करार नहीं किया गया था l राफेल विमानों का निर्माण भारत में करने के लिए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किये गए करार, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किये गए करार को रद्द करने और रिलायंस डिफेन्स लिमिटेड द्वारा किये गए करार की कोई भी सूचना रक्षा मंत्रालय और वायु सेना मुख्यालय में नहीं होने की बात भी संजय को बताई गई है l



देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पूर्ववर्ती UPA सरकार पर 10 वर्षों तक वायुसेना सहित रक्षा तैयारियों पर ध्यान नहीं देने और रक्षा आधुनिकीकरण को रोके रखने संबंधी आरोपों के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य रक्षा मंत्रालय और वायुसेना मुख्यालय में नहीं होने की बात भी संजय को बताई गई है l



सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने के लिए विश्वविख्यात संजय कहते हैं कि एक तरफ कांग्रेस राफेल सौदे के सम्बन्ध में बिना कोई करार किये ही करार करने की बात कहकर आम जनता को गुमराह कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी अन्य सूचनाएं सार्वजनिक करना तो दूर की बात है, एक  राफेल विमान की कीमत तक बताने से मुंह छुपाकर जनता को सरकार की ईमानदारी पर शक करने का मौका दे रहे हैं तथा  देश की रक्षा मंत्री संभवतः क्षुद्र राजनैतिक लाभ के लिए अपने पद की गरिमा को गिराकर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्मिता से जुड़े संवेदनशील मामले में भी झूंठे और निराधार आरोप लगाने से  गुरेज नहीं कर रही हैं  l संजय ने राजनैतिक दलों और व्यक्तियों के इस प्रकार के कृत्यों को निंदनीय करार दिया है l



एक्टिविस्ट संजय शर्मा ने एक विशेष बातचीत में इस स्वतंत्र पत्रकार उर्वशी शर्मा को  बताया कि राफेल विमान सौदा विवादग्रस्त हो गया है और ऐसे में केंद्र सरकार का यह दायित्व है कि वह इस विमान सौदे के वित्तीय पक्ष की समस्त सूचनाएं खुद-ब-खुद पब्लिक डोमेन में डाले ताकि देश के सबा सौ करोड़ से अधिक नागरिकों का सरकार पर विश्वास कायम रहे l कांग्रेस और भारत की रक्षामंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से बोले गए झूंठ पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग उठाने संबंधी पत्र अपने पंजीकृत सामाजिक संगठन तहरीर के माध्यम से कांग्रेस अध्यक्ष और देश की रक्षा मंत्री को भेजने की बात कहते हुए संजय ने माँगी गई सूचनाओं को व्यापक लोकहित की सूचनाएं बताया है और  सूचनाओं को सार्वजनिक कराने के लिए मामले में अपील डालने की बात कही है l




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News written by freelance journalist Urvashi Sharma  
Exclusive News by YAISHWARYAJ ©yaishwaryaj
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