Friday 20 August, 2010

Hats off to Salim Beg - the unmatched rti user & an avid crusader against corruption

http://in.jagran.yahoo.com/news/article/article.php?aid=6651569&cid=220&scid=241

इस्तेमाल किया आरटीआई, मिली जेलAug 15, 06:26 pm
मुरादाबाद [राशिद सिद्दीकी]।

अमर शहीदों ने जान की कुर्बानी देकर अंग्रेजों की गुलामी से देश को
मुक्त कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी मगर अब आजाद भारत में लोगों को
अधिकारों की लड़ाई लड़नी पड़ रही है।

आजाद भारत में अधिकारों की जंग लड़ने वाले स्वतंत्रता से संवाहकों में एक
नाम सलीम बेग का है, जिन्होंने कुछ वक्त पूर्व मिले सूचना के अधिकार का
इस्तेमाल शुरू करते हुए कुछ ऐसे मुद्दों से परदा हटाने की कोशिश जो कहीं
न कहीं राष्ट्र अथवा जनहित से जुड़े थे।

सूचना के अधिकार के प्रति सामाजिक जागरूकता की इन कोशिशों में कुछ बिंदु
व्यवस्था पर गहरा रही भ्रष्टाचार की छाया से जुड़े थे तो सलीम को आजाद
भारत में अपनी ही कही जाने वाली व्यवस्था से उत्पीड़न की मार झेलनी पड़ी।

रसोई गैस व्यवस्था के भ्रष्टाचार से लेकर पुलिस की कमजोरियों पर सूचना
अधिकार का इस्तेमाल करने वाले सलीम जवाबी हमले के तहत 18 दिन की जेल काट
चुके हैं और सरकारी डंडे की मार से बचने के लिए उन्हें डेढ़ बरस खुद को
ही तड़ीपार भी रखना पड़ा। हालाकि वह फिर भी अपनी मुहिम जारी रखे हैं।

कस्बा भोजपुर निवासी सलीम बेग ने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल शुरू करते
हुए एक गैस एजेंसी से जुड़ी सूचनाएं एकत्रित कीं और 18 सौ फर्जी कनेक्शन
का राजफाश किया। फिर सलीम ने पुलिस भर्ती की सूचनाएं मागी। सूचनाएं नहीं
मिलने पर राज्य सूचना आयोग को चुनौती देकर तत्कालीन एसपी देहात पर
जुलाई-07 में 25 हजार का जुर्माना डलवाने में कामयाबी हासिल कर ली।

वर्दी को यह बात नागवार गुजरी और जवाबी हमले के तहत भोजपुर थाने में सलीम
के खिलाफ दो रिपोर्ट दर्ज हुई। नतीजे में यह जंग न्यायिक स्तर तक पहुंची
और हाईकोर्ट ने दोनों रिपोर्ट खारिज कर दीं। यही नहीं इन स्थितियों पर
सूचना आयोग ने तत्कालीन एसएसपी पर भी छह हजार रुपये जुर्माना आरोपित
किया। एसएसपी के वेतन से छह हजार रुपए लेना सलीम को और महंगा पड़ा। भोजपुर
थाने में फिर रिपोर्ट दर्ज करके सलीम को गिरफ्तार कर लिया गया और सलीम को
18 दिन जेल में बिताने पड़े। जेल से जमानत पर रिहा होते ही सलीम के खिलाफ
फिर रिपोर्ट दर्ज हुई। इस बार सलीम पुलिस की गिरफ्तारी से बचने को डेढ़
साल तक घर ही नहीं भोजपुर से ही दूर रहे।

पुलिस उत्पीड़न, जेल की रोटी और घर से बेघर होने के संघर्ष से सलीम ने
सूचना के अधिकार को लचर व्यवस्था के खिलाफ हथियार बनाने का संकल्प बना
लिया।

इसके बाद सलीम ने मुख्यमंत्री द्वारा अपने जन्मदिन पर वर्ष-08 में जेलों
से 12780 बंदी रिहा करने की घोषणा को सूचना अधिकार के तहत चुनौती देते
हुए इस बाबत कानूनी प्रावधान की जानकारी मागी तो साफ हुआ कि यह घोषणा
संविधान के प्रावधानों के अनुकूल नहीं है। साथ ही राज खुला कि
मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर छोड़े गए बंदियों ने सजा पूरी कर ली थी और उनकी
रिहाई स्वाभाविक थी।

सलीम अब तक 36 सौ सूचनाएं माग चुके हैं। जर्जर रेल पुल, काग्रेस नेता
रीता बहुगुणा की गिरफ्तारी पर लखनऊ से पैरवी करने हेलीकाप्टर से आए
वकीलों पर हुआ खर्च, मनरेगा, गुंडा एक्ट कार्रवाई, पुलिस अभिरक्षा में
मौतें, एनकाउंटर, अल्पसंख्यकों से जुड़े मुद्दे इनमें प्रमुख हैं। यही
नहीं मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज की नियुक्ति पर भी सलीम सूचना
अधिकार के तहत सवाल उठा चुके हैं। इस बीच उनके सूचना दायरे में आने वाले
कई दबंग जान की धमकी भी उन्हें दे चुके हैं। इसके बाद भी इकला चलो की
शैली में सूचना के अधिकार को हथियार बनाए सलीम कहते हैं-व्यवस्था में
सुधार उनका मकसद है, जिसके लिए वह तन, मन और धन से जुटे रहेंगे।

--
Urvashi Sharma

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