Thursday 28 June, 2012

मिलिए उच्च न्यायालय का आदेश न मानने वाले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के जिलाधिकारी अनुराग यादव से

हाई कोर्ट की मानें या डीएम की
http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=37&edition=2012-06-27&pageno=3#

जागरण संवाददाता, लखनऊ : हाई कोर्ट का आदेश है कि शहर को अतिक्रमण से
मुक्त किया जाए। ऐसा ही आदेश अखिलेश सरकार ने भी जारी कर रखा है, लेकिन
जिलाधिकारी अनुराग यादव के आदेश से नगर निगम व पुलिस महकमा गफलत में है
कि वह किसका आदेश माने। जिलाधिकारी ने बिना पुर्नवास किए अतिक्रमण न
हटाने को कहा है। जिलाधिकारी के आदेश को आधार मानकर ही नगर निगम और पुलिस
महकमे चल रहे हैं और अवैध फल-सब्जी मंडियां अब उनके पोषक का केंद्र बन गई
हैं। यही कारण है कि रेजीडेंसी के फुटपाथ, लखनऊ विश्वविद्यालय के पास,
निशातगंज ओवरब्रिज और मुंशीपुलिया जैसी मंडियां सड़कों पर सज गई हैं।
डीएम का आदेश : 18 जून के अपने अ‌र्द्धशासकीय पत्र के माध्यम से डीआइजी
को जिलाधिकारी की तरफ से निर्देश जारी किए गए हैं। पटरी दुकानदारों के
संगठनों के प्रार्थना पत्रों का हवाला देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि
बगैर पुर्नवास की समुचित व्यवस्था के इस प्रकार की कार्यवाही (अतिक्रमण
हटाने की) न की जाए, साथ ही यह प्रयास किया जाए कि यातायात के सुचारू
संचालन के लिए पटरी दुकानदारों के व्यवस्थापन और सीमांकन इस प्रकार से
हों, जिससे इन परिवारों के जीवन-यापन पर कोई कुप्रभाव न पड़े।

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