Sunday 20 October, 2013

सूचना बेचने का अभियुक्त यूपी का प्रमुख सचिव!

http://www.palpalindia.com/2013/10/20/UP-RTI-activist-Urvashi-Sharma-shocking-revelation-news-hindi-india-26192.html

रविवार 20 अक्टूबर, 2013

सूचना बेचने का अभियुक्त यूपी का प्रमुख सचिव!

प्रेषित समय :18:34:46 PM / Sun, Oct 20th, 2013

सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा की आरटीआई से हुआ चौंकाने वाला खुलासा

पलपल इंडिया ब्यूरो, लखनऊ. क्या आप यह सोच सकते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति
जिसके खिलाफ सीबीआई ने देश से दगाबाजी कर निजी उपक्रमों को संवेदनशील
सूचनाएं मुहैया कराकर निजी हित साधने के गंभीर आरोप लगाये हों, जिसके
खिलाफ सीबीआई जांच के लिए भारत सरकार ने अनुमति दी हो और सीबीआई की यह
जांच वर्ष 2011 से अब तक प्रचलित हो , वह व्यक्ति उत्तर प्रदेश सरकार में
तीन-तीन विभागों के प्रमुख सचिव का पद भी लेकर नीली बत्ती की सुविधाओं का
उपभोग रहा हो ? ऐसा ही एक चौंकाने वाला खुलासा सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी
शर्मा की एक आरटीआई से हुआ है.

आरटीआई से पता चला है कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी यूपी
कैडर के सीनियर आईएएस सदाकांत पर गृह मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेट्री के
रूप में कार्य करते हुए निजी कंपनियों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराकर
भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे थे. आरोप था कि सदाकांत नेशनल प्रोजेक्ट
कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के एक प्रोजेक्ट में प्राइवेट कंपनी को गोपनीय
जानकारियां मुहैया करा रहे थे. इस पर गृह मंत्रालय ने सदाकांत से पूछताछ
के लिए सीबीआई को मंजूरी देते हुए उन्हें वापस उनके कैडर में भेज दिया था
.

सदाकांत 2007 में पांच साल के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे और
केंद्र में उनका कार्यकाल 2०12 तक था लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के
बाद सीबीआई द्बारा सदाकांत के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किये
जाने के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सदाकांत को वापस
उनके कैडर में भेज दिया गया था . लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी
शर्मा ने बीते सितम्बर में भारत सरकार के गृह मंत्रालय से सदाकांत के
कथित भ्रष्टाचार, देश के साथ दगाबाजी कर गोपनीय सूचनाएं लीक करने,
प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित करार एवं गृह मंत्रालय द्बारा
सदाकांत को उनके मूल कैडर में वापस भेजने संबंधी फाइलों की फोटो कॉपी और
पत्राचार की कॉपी मांगी थी.

गृह विभाग ने सदाकांत को उनके मूल कैडर में वापस भेजने संबंधी पत्र
दिनांक 2०-०5-11 की छायाप्रति उर्वशी को उपलब्ध करा दी है. गृह मंत्रालय
की निदेशक एवं केंद्रीय जन सूचना अधिकारी श्यामला मोहन ने अन्य चार
बिन्दुओं पर सदाकांत के कथित भ्रष्टाचार, देश के साथ दगाबाजी कर गोपनीय
सूचनाएं लीक करने, प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित करार, गृह
मंत्रालय द्बारा सदाकांत को उनके मूल कैडर में वापस भेजने संबंधी फाइलों
की फोटो कॉपी इत्यादि देने के सम्बन्ध में अधिनियम की धारा 8(1)(एच)
केसन्दर्भ से उर्वशी को सूचित किया है कि ये सूचना देने से सदाकांत के
विरुद्ध चल रही जांच की प्रक्रिया वाधित हो सकती है और सूचना देने से मना
कर दिया है. आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(एच) के अंतर्गत ऐसी सूचना देने
से छूट है जिसके दिए जाने से अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जाने या
अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी.

उर्वशी कहती हैं कि गृह विभाग के पत्र से स्पष्ट है कि भारत सरकार का गृह
विभाग आज भी यह मान रहा है कि उनके द्बारा चाही गयी सूचना दिए जाने से
सदाकांत के विरुद्ध चल रहे अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी यानी
भारत सरकार के अनुसार सदाकांत आज भी सीबीआई द्बारा दायर केस में अभियुक्त
हैं. उर्वशी ने अपनी इस आरटीआई के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार की कार्य
प्रणाली की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर
सदाकांत को तत्काल निलंबित करने का आग्रह किया है.

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