Saturday 19 October, 2013

भारत सरकार का अभियुक्त, उत्तर प्रदेश में तीन विभागों का प्रमुख सचिव

Saturday, October 19, 2013

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भारत सरकार का अभियुक्त, उत्तर प्रदेश में तीन विभागों का प्रमुख सचिव
By visfot news network


क्या आप यह सोच सकते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति जिसके खिलाफ सीबीआई ने देश से
दगाबाजी कर निजी उपक्रमों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराकर निजी हित
साधने के गंभीर आरोप लगाये हो, जिसके खिलाफ सीबीआई जांच के लिए भारत
सरकार ने अनुमति दी हो और सीबीआई की यह जांच वर्ष 2011 से अब तक प्रचलित
हो वह व्यक्ति न केबल स्वतंत्र घूम रहा हो बल्कि प्रदेश सरकार में तीन
तीन विभागों के प्रमुख सचिव का पद भी धारित कर नीली बत्ती की सुविधाओं का
उपभोग रहा हो? अगर आप उत्तर प्रदेश में हैं तो आप ऐसा बिलकुल सोच सकते
हैंl यह चौंकाने बाला खुलासा सामाजिक कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा की एक
आरटीआई से हुआ हैl

गौरतलब है कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी यूपी
कैडर के सीनियर आईएएस सदाकांत पर गृह मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेट्री के
रूप में कार्य करते हुए निजी कंपनियों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराकर
भ्रष्टाचार करने के आरोप लगे थेl आरोप था कि सदाकांत निहित स्वार्थसिद्धि
हेतु नेशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के एक प्रोजेक्ट में
प्राइवेट कंपनी को गोपनीय जानकारियाँ मुहैया करा रहे थेl गृह मंत्रालय ने
इस मामले में सदाकांत से पूछताछ के लिए सीबीआई को मंजूरी देते हुए उन्हें
वापस उनके कैडर में भेज दिया था। सदाकांत 2007 में पांच साल के लिए
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए थे और केंद्र में उनका कार्यकाल 2012 तक था
लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद सीबीआई द्वारा सदाकांत के विरुद्ध
प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किये जाने के बाद पांच साल का कार्यकाल पूरा
होने से पहले ही सदाकांत को वापस उनके कैडर में भेज दिया गया था।

लखनऊ निवासी सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बीते सितम्बर में भारत
सरकार के गृह मंत्रालय से सदाकांत के कथित भ्रष्टाचार, देश के साथ
दगाबाजी कर गोपनीय सूचनाएँ लीक करने,प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित
करार एवं गृह मंत्रालय द्वारा सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने
संबंधी फाइलों की फोटो कॉपी और पत्राचार की कॉपी माँगी थीl

गृह विभाग ने सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी पत्र
दिनांक 20-05-11 की छायाप्रति उर्वशी को उपलब्ध करा दी हैl गृह मंत्रालय
की निदेशक एवं केंद्रीय जन सूचना अधिकारी श्यामला मोहन ने अन्य चार
बिन्दुओं पर सदाकांत के कथित भ्रष्टाचार, देश के साथ दगाबाजी कर गोपनीय
सूचनाएँ लीक करने,प्राइवेट कंपनी के साथ किये गए कथित करार, गृह मंत्रालय
द्वारा सदाकांत को उनके मूल कैडर में बापस भेजने संबंधी फाइलों की फोटो
कॉपी इत्यादि देने के सम्बन्ध में अधिनियम की धारा 8(1)(h) के सन्दर्भ से
उर्वशी को सूचित किया है कि ये सूचना देने से सदाकांत के विरुद्ध चल रही
जांच की प्रक्रिया वाधित हो सकती है और सूचना देने से मना कर दिया है l
आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(h) के अंतर्गत ऐसी सूचना देने से छूट है
जिसके दिए जाने से अपराधियों के अन्वेषण,पकडे जाने या अभियोजन की
प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी l

उर्वशी कहती हैं कि गृह विभाग के पत्र से स्पस्ट है कि भारत सरकार का गृह
विभाग आज भी यह मान रहा है कि उनके द्वारा चाही गयी सूचना दिए जाने से
सदाकांत के विरुद्ध चल रहे अभियोजन की प्रक्रिया में अड़चन पड़ेगी यानी
भारत सरकार के अनुसार सदाकांत आज भी CBI द्वारा दायर केस में अभियुक्त
हैंl उर्वशी ने अपनी इस आरटीआई के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार की कार्य
प्रणाली की शुचिता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर
सदाकांत को तत्काल निलंबित करने का आग्रह किया हैl


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