Tuesday 8 November, 2016

UP प्रदूषण पर CM अखिलेश के निर्देश महज सरकारी खानापूर्ति : उर्वशी शर्मा




यूपी स्मॉग जनता के स्वास्थ्य का आपात काल  : 24 घंटे में प्रभावी कार्यवाही की उर्वशी शर्मा की मांग

लखनऊ/08-11-16/
विगत कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की राजधानी जहरीली धुंध की चपेट में है और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के वैज्ञानिकों ने यहाँ के निवासियों को घर से बाहर निकलने की सलाह दी है। शहर के अलग-अलग  इलाकों की जांच में जो नतीजे सामने आए हैं उनके अनुसार लखनऊ में प्रदूषण का स्तर मानक से आठ गुना तक ज्यादा पाया गया है   जहरीलीहवा के मामले में लखनऊ दिल्ली, फरीदाबाद और आगरा के बाद देश में चौथे पायदान पर गया है  
लखनऊ की समाजसेविका और सूचना का अधिकार बचाओ अभियान की संरक्षिका उर्वशी शर्मा ने  यूपी के स्मॉग पर राज्य सरकार को घेरते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं पर्यावरण मंत्री, मुख्य सचिव,/प्रमुख सचिव पर्यावरण विभाग, प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय, निदेशक पर्यावरण, महापौर  लखनऊ,नगर आयुक्त लखनऊ और जिलाधिकारी लखनऊ को एक पत्र भेजा है और इसकी प्रतिलिपि  राष्ट्रपति ,  उप राष्ट्रपति , प्रधान मंत्री , राज्यपाल उत्तर प्रदेश,  मुख्य न्यायाधीश  उच्चतम न्यायालय और , मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद को भी प्रेषित की है





स्मॉग के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण विभाग को धुंध के लिए जिम्मेदार कारणों का शीघ्र पता लगाकर इनके निदान के उपाय करने के लिए दिए गए निर्देशों को महज सरकारी खानापूर्ति बताते हुए उर्वशी ने  प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रदूषण बढाने के सामान्य कारकों जैसे अतिक्रमण हटाकर शहर को जाम से मुक्ति दिलाने, शहर के कूड़ाघरों में कूड़े को जलाया जाना तत्काल प्रतिबंधित करके इन कूड़ाघरों को आबादी से दूर अंतरित करने,कंस्ट्रक्शन/डेमोलेशन को बंद करने,लोगों को वर्क फ्रॉम होम करने ,स्कूल बंद करने ,डीजी सेट्स पर रोक लगाने, शहर में वाहनों का ऑड-इवन सिस्टम लागू करने,कृत्रिम बारिश कराने,राख पैदा करने वाले उपक्रमों पर पाबंदी लगाने,सड़कों पर पानी का छिड़काव करने,लखनऊ शहर में ट्रकों के घुसने पर पाबंदी लगाने के आदेश तत्काल जारी करने की मांग की है




बकौल उर्वशी दिल्ली में धुंध से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के लोगों में इस अप्रत्याशित धुंध के कारणों की वजह जानने के लिए बेचैनी है पर सरकार ने इस मुद्दे पर कोई भी प्रभावी कदम उठाकर लोगों को प्रदूषण से निजात दिलाने का कोई प्रयास नहीं किया है दिल्ली में एक्यूआई के 485 पर पहुंचने पर स्कूल बंद करने का फैसला ले लिया गया था परन्तु सूबे की सरकार और प्रशासन बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर अब तक सोया पड़ा है




उर्वशी के अनुसार इस धुंध के लिए खेतों में जलाई जा रही फसल, गाडि़यों का पॉल्यूशन, जाम में फंसे वाहनों से निकलता धुंआ, शहर में जगह जगह आवादी के बीच स्थित कूड़ाघरों में जलाया जा रहा कूड़ा मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। धुंध वहीं पर अधिक है जहां पर गाडि़यों की संख्या अधिक है जिससे स्पस्ट है कि गाडि़यों से निकल रहे धुएं के कारण पॉल्यूशन लेवल काफी अधिक बढ़ रहा है किन्तु लखनऊ में हर साल लगभग सवा लाख से अधिक वाहन सड़क पर बढ़ जाने के बाद भी  सरकार  अब तक सडकों पर गाड़ियों की संख्या को नियंत्रित करने और अतिक्रमण को हटाकर शहर को जाम से निजात दिलाने के प्रभावी उपाय नहीं कर पाई है यदि शहर में वाहनों की संख्या और जाम की समस्या इसी प्रकार बढ़ती रही तो शीघ्र ही आने वाले समय में लखनऊ में भी लोगों को मॉस्क लगाकर ही बाहर निकलना पड़ेगा





उर्वशी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने कानून बनाकर फसलों का वेस्ट जलाने से रोकने को प्रतिषिद्ध किया है किन्तु फसल जलाने पर दंड दिए जाने की स्पष्ट व्यवस्था होने और शासन प्रशासन द्वारा प्रभावी मोनिटरिंग किये जाने के कारण खेतों में वेस्टेज का जलाना बदस्तूर जारी है पॉल्यूशन बढ़ जाने के बाद भी सरकार ने तो मास्क पहनकर ही बाहर निकलने के सम्बन्ध में कोई एडवाईजरी जारी की है और ही लखनऊ के लोगों को मास्क उपलब्ध कराने के कोई प्रयास किये है 1952 में लंदन में एसओटू के हाई लेवल से पैदा हुए स्मोग के कारण 4 हजार लोगों की मौत हो गई थी पर आज जब लगभग पूरा सूबा ही गंभीर प्रदूषण की चपेट में है, राज्य सरकार प्रदूषण की समस्या का स्थाई हल खोजने में विफल है  प्रदूषण से लखनऊ के लोगों की आयु भी घट रही है जिससे लखनऊ के निवासियों के जीवन के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है और सरकार लखनऊ के निवासियों के इस संवैधानिक अधिकार का संरक्षण करने में पूर्णतया असफल सिद्ध हो रही है




उर्वशी ने अपने पत्र में लिखा है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड'  का प्रमुख दायित्व एवं कर्तव्य प्रदूषण निवारण, नियंत्रण या उसे कम करने के लिए सम्बद्ध विषयों पर जानकारी एकत्र कर राज्य सरकार को सलाह देने का है किन्तु सरकार द्वारा लखनऊ के हालिया प्रदूषण पर राज्य सरकार द्वारा कारणों की जांच कराये जाने से स्पष्ट है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य सरकार को समय पर सही सलाह देने में विफल है ।यद्यपि प्रदेश में प्रदूषण की रोकथाम के लिए लखनऊ स्थित मुख्यालय के अतिरिक्त 27 क्षेत्रीय कार्यालय हैं किन्तु प्रदेश के 71 जिलों में से मात्र 21 में ही वायु प्रदूषण की मानिटरिंग की जा रही है जिसे बढाए जाने की आवश्यकता है यही नहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार दिल्ली से सटे नॉएडा में बीते फरवरी के बाद से प्रदूषण की जांच नहीं की गयी है यही नहीं नॉएडा में प्रदूषण की मोनिटरिंग के लिए मैनुअल सिस्टम है जिसकी बजह से प्रदूषण के आंकड़े आने तक वे अर्थहीन हो जाते हैं प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर बजट का बहाना बनाना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है उर्वशी ने  सूबे के सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में प्रदूषण जांच के आटोमेटिक उपकरण तत्काल लगाए जाने की मांग भी की है



स्मॉग के कारण लखनऊ समेत प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य और जीवन के लिए आपात स्थिति  पैदा होने की बात कहते हुए उर्वशी का कहना है कि आने वाले समय में कोहरा बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या और बढ़ेगी




सूचना का अधिकार बचाओ अभियान के अध्यक्ष और समाजसेवी तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि उनके संगठन की संरक्षिका ने यह पत्र लिखकर राज्य सरकार से लखनऊ समेत पूरे सूबे की हवा को साफ करने और लगातार साफ बनाए रखने के लिए 24 घंटे के अन्दर सख्त कदम उठाते हुए उन्हें सूचित किये जाने की मांग की है तनवीर ने बताया कि यदि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की जनता के जीवन के अधिकार के हनन के इस मामले में प्रभावी कार्यवाही नहीं की तो उनका संगठन इस मामले में  उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अनुतोष पाने की गुहार लगाएगा



उर्वशी शर्मा द्वारा लिखे पत्र की प्रति पाने के लिए इस वेबलिंक पर क्लिक करें http://upcpri.blogspot.in/2016/11/24.html




टैग्स : प्रदूषण,यूपी,लखनऊ,उर्वशी,शर्मा,अखिलेश,यादव,pollution,up,lucknow,urvashi,Sharma,akhilesh,yadav,

No comments:

Post a Comment