Monday 15 October, 2012

देश kaa हमारे देश का नाम?-

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देश kaa हमारे देश का नाम?-सुभाष बुड़ावन वाला
पोस्टेड ओन: 14 Oct, 2012 जनरल डब्बा, मस्ती मालगाड़ी, मेट्रो लाइफ, लोकल
टिकेट, सोशल इश्यू, हास्य - व्यंग में

हमारे देश का नाम क्या है???

लखनऊ की एक आरटीआई ऐक्टिविस्ट ने पूछा है सरकार से कि बताइए देश का नाम
क्या – भारत या इंडिया। अब सरकार क्या-क्या याद रखे। एक मंत्रालय दूसरे
मंत्रालय से पूछ रहा है – क्या है जी। मसला गृह मंत्रालय के पास गया,
संस्कृति मंत्रालय के पास गया। मेरा सुझाव है कि इसे वित्त मंत्रालय के
पास भी भेजा जाना चाहिए। संसाधन जुटाने की जुगत में वित्त मंत्रालय को यह
करना चाहिए कि नोएडा के बिल्डरों से प्रेरणा लेते हुए भारत का नाम यूएस
एक्सटेंशन वन कर दे

ऐसा करते ही इंडिया में जमीन की वैल्यू, पूरे इंडिया की वैल्यू यूएस
जितनी हो जाएगी। नोएडा से 10 किलोमीटर दूर जगह का नाम रखा जाता है –
नोएडा एक्सटेंशन। नोएडा से 25 किलोमीटर दूर इलाका ग्रेटर नोएडा हुआ।
दूर-दराज की जमीन के भाव भी नोएडा के भाव जैसे मिल जाएं, ऐसी उम्मीद होती
है, एक्सटेंशन या ग्रेटर बनाने के पीछे।

भारत यूएस एक्सटेंशन वन हो जाएगा, तो पाकिस्तान भी नकल में यूएस
एक्सटेंशन नंबर टू हो जाएगा। यूएस के दो नंबर के सारे काम पाकिस्तान के
हवाले, इंडिया सिर्फ एक नंबर के काम करेगा, यह डिप्लोमैटिक मेसेज पूरी
दुनिया को चला जाएगा। या सरकार यह कह सकती है कि आधिकारिक नाम यूं माना
जाए भारत उर्फ इंडिया। पर जी यह उर्फ का मामला कुछ ठीक सा ना लगता।
बिल्ला उर्फ मिक्का उर्फ चिक्कू उर्फ लुक्का टाइप नाम क्रिमिनल्स के होते
हैं। कई नाम रखने वाले, नाम लगातार बदलने वाले क्रिमिनल होते हैं। शरीफ
तो एक ही नाम रखते हैं। पर जी सरकार है, तो उसे शरीफ होना जरूरी थोड़े ही
ना है।

या यूं हो कि जो देश हमारा भला करे, जो हमको रकम दे, उसके नाम पर कुछ साल
देश का नाम रख लिया जाए। पता लगा कि तीन साल देश का नाम रहा – ब्रुनई
एक्सटेंशन, क्योंकि ब्रुनई वालों ने यहां 500 बिलियन डॉलर का
इन्वेस्टमेंट किया। अगले तीन सालों में देश का नाम उजबेकिस्तान के नाम पर
उजबक पार्ट टू हो सकता है। यूं उजबक संबोधन को बहुत सम्मान की निगाह से
ना देखा जाता। पर जी इन्वेस्टमेंट या सम्मान में से एक ही आइटम
मिलेगा।–सुभाष बुड़ावन वाला,18,शांतीनाथ कार्नर,खाचरौद[म्प]
-456-224.E-mail-sbudawanwala@yahoo.com

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