Sunday 29 November, 2009

if u r live , just show it by raising ur voice against the u p scic regulations to stop back door amendments to rti act

rept. all ,

more than a year ago , when we got air of illconceived plans of sic up
to implement scic regulations , we raised our voice n succeeded in
compelling the scic to defer their plans .
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a news item from memorylanes about all this is given

http://www.indianexpress.com/news/activists-cry-foul-as-up-information-commiss/365717/

Activists cry foul as UP Information Commission drafts regulations
Alka Pande
Tags : lucknow, government

Posted: Thursday , Sep 25, 2008 at 0208 hrs
Lucknow, September 24:

The UP State Information Commission has formulated some regulations
for the implementation of the Right to Information Act, which,
activists allege, are contrary to the spirit of the law enacted to
facilitate availability of information.

"The regulations of the state commission are the copy of the Central
Information Commission (CIC) rules and regulations, which reject 60
per cent cases on technical grounds," said Arvind Kejriwal, who was
actively involved in the formation of the RTI Act.

The commission has not sought public opinion while formulating the
regulations. But since the matter was posted on the commission
website, it has attracted suggestions from various quarters.

Chief Information Commissioner Wajahat Habibullah clarified that the
states have the authority to form regulations for the implementation
of the Act in its true spirit. But it is better to seek public opinion
while drafting the regulations, he added.

The activists from across the nation have now come together to oppose
the regulations and have demanded several amendments.

Social worker and RTI activist Urvashi Sharma from RTI Mahila Manch
has raised the issue by writing an open letter to the officiating
state Chief Information Commissioner, Gyanendra Sharma. Copies of the
letter have been sent to the President, besides the Governor and the
Chief Minster of Uttar Pradesh.

Urvashi says the rules are meant to make the process so complex that
it acts as a deterrent, and forces the applicant to seek legal help.

"The law was passed after a people's movement. It was drafted by civil
societies. Its rules should also be made through public discussions,"
she said.

Gyanendra Sharma said the regulations were basically for the
functioning of the commission, but still he got them posted at the
commission website.

"We are going through all suggestions and will incorporate whatever is
feasible before implementing them," said Sharma. He however, denied
that the regulations had been sent to the government for its approval.

"The question of sending the regulations to government does not arise
as they are an internal matter."

Some of the points in the SIC regulations and the counterpoints of the
activists:

* Rule 6 mentions a flexible two to four-week summer break and a
two-week winter break. Activists say: This lacks clarity. Besides,
this is unjustified when over 10,000 cases are pending with the SIC.

* Rule 8(1) (a) makes it mandatory for the appellant/complainant to
furnish his personal details, apart from name and address.
Activists say: Personal details are not specified.

* Rule 11(5) (b) says that the registrar can cancel cases that are not
maintainable due to "some" reasons.
Activists say: The word "some" is ambiguous.

* Rule 12 dealing with filing of counter by the public information
officer gives a bunch of relaxations to the PIO as it says, "after
getting the complaint/appeal, the PIO shall submit his counter (if
there is any) along with related documents.
Activists say: Why the words "if there is any" when according to Rule
10, the complainant/appellant has to send a copy of complaint/appeal
to the PIO and compulsorily furnish attested copies to the SIC while
filing the complaint/appeal

* Rule 12 says during hearing in commission, "generally" the PIO shall
present his view.
Activists say: Why is this not mandatory?

* Rule 15(5) says the commission shall pass order on the merits of the case.
Activists say: The term "speaking order" has not been used, which is
mandatory as per Section 4(1)d of the Act.
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at that time acting scic sri gyanendra sharma assured us that any
decision in this effect shall be taken only after taking us in full
confidance. we had submitted our objections on these regulations to
the scic. but now the website of upsic shows it as final though the
sic says these r draft regulations.

now since the issue has surfaced once again , i request all fello
rti-activists of uttar pradesh to raise the issue without any further
delay lest rti act is deprived of its soul in uttar pradesh.

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The SCIC regulations can be accessed at given link

http://upsic.up.nic.in/

http://rtiact2005india4u.hpage.com/up_sic_rules__final_copy__77116916.html

उत्‍तर प्रदेश राज्‍य सूचना आयोग (संचालन) नियमावली, 2008

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 15(4) और दूसरे प्रा‍वधानों के
तहत दी गयी शक्तियों का प्रयोग करते हुए उत्‍तर प्रदेश राज्‍य सूचना आयोग
के मुख्‍य सूचना आयुक्‍त, राज्‍य सूचना आयोग के विभिन्‍न मामलों के
प्रभावी संचालन हेतु नि‍म्‍नलिखित नियम बनाते हैं:-

अध्‍याय:-1 संक्षिप्‍त नाम और प्रारंभ
1. नाम एवं प्रारम्‍भ तिथि: अ. इस नियमावली को राज्‍य सूचना आयोग
(संचालन) नियमावली
2008 के नाम से पुकारा जायेगा। आ. यह नियमावली उस तिथि से प्रभावशील होगी
जो मुख्‍य सूचना
आयुक्‍त अलग से आदेश जारी करके तय करेंगे।
इ. जो अपीलें/शिकायतें इस नियमावली के प्रभावी होने के पहले
पंजीकृत की जा चुकी हैं और जिनका निस्‍तारण हो चुका है उनके अलावा शेष पर
यह नियमावली लागू होगी। पूर्व में पंजीकृत् मामले तत्‍समय प्रभावी नियमों
के तहत सुने एवं निस्‍तारित किए जाएंगे। यह नियमावली उन पुराने वादों पर
भी लागू होगी जिनमें आगे कोई कार्यवाही प्रस्‍तावित की गई हो।

2. परिभाषाएं: इस नियमावली में प्रयुक्‍त शब्‍दों और संज्ञाओं की परिभाषा
इस प्रकार होगी:-
(i) ^अधिनियम* का तात्‍पर्य सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 से होगा।
(ii) ^अपीलकर्ता* की श्रेणी में शिकायतकर्ता भी शामिल होगा
(iii) ^आयोग* का तात्‍पर्य राज्‍य सूचना आयोग से है।
(iv) ^मुख्‍य सूचना आयुक्‍त* से तात्‍पर्य राज्‍य मुख्‍य सूचना आयुक्‍त से होगा।
(v) ^जसूधि* का तात्‍पर्य जन सूचना अधिकारी से है] जो अधिनियम की धारा
5(1) के तहत नियुक्‍त किया गया हो और इसमें 5(2) के तहत नियुक्‍त सहायक
जन सूचना अधिकारी भी शामिल होगा। इसकी परिभाषा में निम्‍नलिखित भी शामिल
होंगे।
अ. वह अधिकारी जिसके पास धारा 5(4) के तहत सूचना सम्‍बंधी आवेदन
स्‍थानांतरित किया गया हो,
आ. वह अधिकारी जिसके पास सूचना सम्‍बंधी आवेदन जसूधि ने स्‍वीक`ति या
निस्‍तारण हेतु भेजा हो और,
इ. कोई जन सूचना अधिकारी नियुक्‍त या अधिसूचित न होने की स्थिति में लोक
प्राधिकारी का प्रमुख।
(vi) ^निर्णय* से तात्‍पर्य किसी विषय पर आदेश-निर्देश और किसी विषय पर
निष्‍कर्ष से होगा।
(vii) ^प्रथम अपीलीय अधिकारी* से तात्‍पर्य इस अधिनियम के तहत संबंधित
लोक प्राधिकkरी द्वारा नियुDr किये गये विभागीय अपीलीय अधिकारी से होगा।
यदि किसी लोक प्राधिकारी द्वारा किसी प्रथम या विभागीय अपील अधिकारी की
नियुक्ति न की गई हो तो वह उस लोक प्राधिकारी का प्रमुख भी हो सकता है।
(viii) ^सूचना आयुक्‍त* से तात्‍पर्य इस कानून के तहत नियुक्ति किये गये
राज्‍य सूचना आयुक्‍त से होगा।
(ix) ^विहित* का तात्‍पर्य अधिनियम के तहत और इस नियमावली में विहित
नियमों से होगा
(x) ^अभिलेखों* का तात्‍पर्य उन कागजातों से होगा] जो अपील या शिकायत के
संबंध में उभयपक्षों द्वारा प्रतिउततर, टिप्‍पणh, प्रकियाओं और
तर्को-वितर्को के दौरान दिए जाएं या अन्‍यथा प्रस्‍तुत किये जाएं या बाद
में दिए जाने वाले अभिलेख या मौखिक साक्ष्‍य से होगा जो विभिन्‍न
निर्णयों, आदेशों आदि के दौरान दिए जाएं।
(xi) ^रजिस्‍ट्री* से तात्‍पर्य आयोग की रजिस्‍ट्री से होगा जिसमें
रजिस्‍ट्रार, अतिरिक्‍त रजिस्‍ट्रार, संयुक्‍त रजिस्‍ट्रार, उप
रजिस्‍ट्रार या सहायक रजिस्‍ट्रार शामिल होगें।
(xii) ^रजिस्‍ट्रार* से तात्‍पर्य आयोग के रजिस्‍ट्रार से होगाA इसमें
अतिरिक्‍त रजिस्‍ट्रार, संयुक्‍त रजिस्‍ट्रार, उप रजिस्‍ट्रार और सहायक
रजिस्‍ट्रार शामिल होंगे।
(xiii) ^नियमावली* से तात्‍पर्य नियमित नियमावली से होगा।
(xiv) ^प्रतिनिधि* से तात्‍पर्य विभिन्‍न पक्षों की ओर से या उनकीh ओर से
अधिकृत किये गये व्‍यक्ति से होगा] इसमें अधिवक्‍ता शामिल होंगे।
(xv) 'प्रतिवादी' से तात्‍पर्य हस्‍तक्षेप करने वाले पक्ष, द्वितीय पक्ष
व आयोग द्वारा बनाए गए पक्ष से होगा।
(xvi) 'नियम' से तात्‍पर्य राज्‍य सरकार द्वारा इस अधिनियम की धारा 27 के
अंतर्गत बनkये गये नियमों से होगा।
(xvii) 'धारा' से तात्‍पर्य इस अधिनियम में शामिल धारा से होगा।
(xviii) ऐसे शब्‍दों और अभिव्‍यक्तियों का जिन्‍हें यहां परिभाषित नहीं
किया गया है] उनका तात्‍पर्य इस अधिनियम या यहां बनाये जा रहे नियमों के
अंतर्गत दी गयी परिभाषाओं से होगा।

अध्‍याय:-2 आयोग के अधिकारी और उनके कर्तव्‍य

3. रजिस्‍ट्रार की नियुक्ति
आयोग की ओर से मुख्‍य सूचना आयुक्‍त को यह अधिकार होगा कि वह आयोग में
रजिस्‍ट्रार और अतिरिक्‍त रजिस्‍टा्र के पद पर कार्य करने के लिए माननीय
उच्‍च न्‍यायालय से जिला न्‍यायाधीश अथवा अपर जिला न्‍यायाधीश के समकक्ष
न्‍यायाधिकारियों को आयोग में प्रतिनियुक्ति पर भेजने हेतु अनुरोध करे।
आयोग अतिरिक्‍त रजिस्‍ट्रार, संयुक्‍त रजिस्‍ट्रार, उप रजिस्‍ट्रार या
सहायक रजिस्‍ट्रार के पद पर कार्य करने के लिए भी अपने अधिकारियों में से
किन्‍हीं को नामित कर सकेगा और उक्‍त रजिस्‍ट्रारों को अपने कर्तव्‍यों
का निर्वहन के लिए आवश्‍यक कर्मी उपलब्‍ध करायेगा।
4. रजिस्‍ट्रार की शक्तियां और कर्तव्‍य
(i) रजिस्‍ट्रार आयोग के न्‍याय पक्ष के मामले मेंa मुख्‍य कार्यकारी
अधिकारी होगा, कोई भी पत्राचार जो उन्‍हें संबोधित किया जायेगा वह आयोग
को संबोधित पत्राचार माना जायेगा और वह सभी न्‍यायिक मामलों में आयोग का
प्रतिनिधित्‍व करेगा।
(ii) रजिस्‍ट्रार मुख्‍य राज्‍य सूचना आयुक्‍त के नियंत्रण एवं अधीक्षण
में अपने कर्तव्‍यों का निर्वहन करेगा।
(iii) आयोग के सभी अभिलेख रजिस्‍ट्रार के नियंत्रण में होंगे।
(iv) आयोग की अधिकृत मोहर रजिस्‍ट्रार के नियंत्रणाधीन होगी।
(v) मुख्‍य राज्‍य सूचना आयुक्‍त के सामान्‍य व विशेष निर्देशों के तहत
आयोग की अधिकृत मोहर विभिन्‍न आदेशों, समन और रजिस्‍ट्रार के अधीन अन्‍य
प्रक्रियाओं में लगायी जा सकेगी।
(vi) आयोग की अधिकृत मोहर आयोग द्वारा जारी की जाने वाली किसी प्रमाणित
प्रतिलिपि पर नहीं लगायी जायेगी सिवा ऐसे मामलों के जिनमेंa स्‍वयं
रजिस्‍ट्रार इसके लिए आदेश करें।
(vii) रजिस्‍ट्रार का कार्यालय सभी आवेदन, अपील, प्रतिउत्‍तर, उत्‍तर और
अन्‍य अभिलेख प्राप्‍त करेगा।
(viii) सभी अपीलों और शिकायतों को पंजीकृत किये जाने के पूर्व तत्‍संबंधी
मामलों में रजिस्‍ट्रार के आदेशानुसार उनकी जांच-पड़ताल होगी।
(ix) रजिस्‍ट्रार को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी आवेदन, अपील,
प्रतिउततर, उत्‍तर जो आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत किये जायेगें] उनमेंsa इस
नियमावली के तहत आवश्‍यक संशोधन के आदेश कर सकेंगे।
(x) रजिस्‍ट्रार विभिन्‍न अपीलों, शिकायतों अथवा दूसरी सुनवाई के मामलों
में तारीख तय करेंगे और सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों की काWWजलिस्‍ट
तैयार करके उसे अग्रिम रूप से अधिसूचित करेंगे।
(xi) रजिस्‍ट्रार को अधिकार होगा कि वे प्रतिउत्‍तर, उत्‍तर आदि दाखिल
किये जाने के संबंध में अतिरिक्‍त समय दिए जाने के अनुरोध पर फैसला
करेंa।
(xii) रजिस्‍ट्रार, निर्धारित शुल्‍क लेने के बाद किसी भी पक्ष को आयोग
के तत्‍संबंधी अभिलेखों का निरीक्षण करा सकेगें और यह कार्यवाही आयोग के
किसी अधिकारी की देख-रेख और उपस्थिति में होगी।
(xiii) विभिन्‍न मामलों से संबंधित पक्षों को अभिलेखों की अधिकृत या
प्रमाणित प्रतियां केवल रजिस्‍ट्रार के अधिकार के तहत दी जायेगी।
(xiv) रजिस्‍ट्रार आयोग के सभी निर्णयों, आदेशों व निर्देशों को संबंधित
पक्षों को अवगत करायेंगे और उन पर हस्‍ताक्षर करके उन्‍हें प्रमाणित
करेंगे। इस तरह दिये गये सभी अभिलेख आयोग की तरफ से दिये गये अभिलेख माने
जायेंगे।
(xv) आयोग द्वारा जारी किये गये सभी आदेशों, निर्देशों व निर्णयों के
क्रियान्‍वयन की जिम्‍मेदारी रजिस्‍ट्रार की होगी और वह इस संबंध में सभी
आवश्‍यक कदम उठाने के लिए अधिकृत होगें।
(xvi) रजिस्‍ट्रार यह सुनिश्चित करेंगे कि अपीलों, शिकायतों और दुसरी
सुनवाई के दौरान आयोग में उचित व अनुकूल माहौल रहे और इसके लिए वे सभी
आवश्‍यक कदम उठा सकेंगे।
(xvii) रजिस्‍ट्रार इस नियमावली के तहत उन्‍हें सौंपे गये सभी दायित्‍यों
और अधिका‍रों का निर्वहन करेंगे और मुख्‍य सूचना आयुक्‍त इस संबंध में
समय समय पर उन्‍हें निर्देश दे सकेंगे।
(xviii) रजिस्‍ट्रार सभी राज्‍य सूचना आयुक्‍तों को उनके कर्तव्‍यों के
निष्‍पादन में सहायता करेंगे।
(xix) अतिरिक्‍त रजिस्‍ट्रार को रजिस्‍ट्रार की सभी शक्तियां प्राप्‍त
होंगी और वह रजिस्‍ट्रार के दिशा निर्देशों के अधीन कार्य करेंगे।
(xx) रजिस्‍ट्रार इस नियमावली के अधीन उल्लिखित दायित्‍वों व कार्यों का
निष्‍पादन अथवा संपादन सुनिश्चित करने के लिए मुख्‍य राज्‍य सूचना
आयुक्‍त की स्‍वीकृति से संयुक्‍त रजिस्‍ट्रार, उप रजिस्‍ट्रार व सहायक
रजिस्‍ट्रार को कोई भी कार्य सौंप सकेंगे।
अध्‍याय-3 कार्य के घण्‍टे और अवकाश इत्‍यादि

5. मुख्‍य राज्‍य सूचना आयुक्‍त के आदेश के अधीन आयोग का कार्यालय सभी
कार्य दिवसों में प्रात: 09:30 बजे से सायंकाल 06:00 बजे तक खुला रहेगा
और अपराह्नन 01:00 बजे से 02:00 बजे के बीच भोजनावकाश रहेगा।
6. मुख्‍य राज्‍य सूचना आयुक्‍त के निर्देशों के चलते आयोग में जून-जुलाई
के बीच 2 से 4 सप्‍ताह का ग्रीष्‍म अवकाश और दिसम्‍बर से जनवरी में 2
सप्‍ताह का शीतकालीन अवकाश घोषित किया जा सकेगा, लेकिन आयोग का कार्यालय
उक्‍त अवकाश के दौरान राजपत्रित अवकाश के अलावा बाकी दिनों में खुला
रहेगा। अवकाश के दिनों में अविलंबनीय व आवश्‍यक कार्यों के निष्‍पादन के
लिए मुख्‍य सूचना आयुक्‍त आवश्‍यक उपाय करेंगे।
अध्‍याय-4 पंजीकरण, निस्‍तारण अथवा अपील की वापसी
7. पंजीकरण एवं निस्‍तारण :
अपील अथवा शिकायत इत्‍यादि के संबंध में प्राप्‍त अपील, शिकायत,
आवेदन, वक्‍तव्‍य, प्रतिउत्‍तर, उत्‍तर इत्‍यादि अथवा कोई भी अन्‍य
अभिलेख जो आयोग के समक्ष दायर किया जायेगा वह या तो टाइप किया गया या
मुद्रित होगा अथवा साफ-साफ और स्‍पष्‍टत: पठनीय विधि से और सुसंस्‍कृत
भाषा में लिखा जायेगा और उसमें किसी तरह की असभ्‍य या गाली गलौज वाली
भाषा का प्रयोग नहीं किया जायेगा। अपील, शिकायत अथवा आवेदन जो भी आयोग के
समक्ष लिये जायेंगे वह दो प्रतियां में होंगे और वे पेपर बुक के फार्म
में देय होंगे।


8. अपील/शिकायत की विषय वस्‍तु:
1- आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की जानी वाली अपील/शिकायत के साथ
निम्‍नलिखित अभिलेख/सूचनाएं संलग्‍न किया जाना आवश्‍यक है:- यथा,
अ. अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता का नाम पता और दूसरा व्‍यक्तिगत विवरण। आ.
उस जन सूचना अधिकारी का नाम व पता जिसके खिलाफ अधिनियम
की धारा 18 के अंतर्गत शिकायत की जा रही है अथवा प्रथम अपीलीय
अधिकारी का नाम व पता जिसके खिलाफ धारा 19(1) के अंतर्गत द्वितीय अपील
की जा रही है।
इ. उस निर्णय का विवरण, जिसमें उसकी संख्‍या व दिनांक शामिल होगा,
जिसके कि खिलाफ अपील की जा रही है।
ई. अपील/शिकायत के कारणों का संक्षिप्‍त विवरण। उ. यदि अपील या शिकायत
सूचना देने से इंकार किये जाने या सूचना न
दिए जाने के खिलाफ की जा रही है तो उक्‍त जन सूचना अधिकारी को
दिये गये आवेदन का विवरण अथवा प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष
की गयी अपील का विवरण। ऊ. अपील/शिकायत के माध्‍यम से क्‍या
राहत मांगी जा रही है या क्‍या
प्रार्थना की जा रही है, उसका विवरण।
ए. उक्‍त प्रार्थना/राहत मांगने का आधार। ऐ. अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता
द्वारा प्रस्‍तुत विवरण को स्‍वप्रमाणित किया
जाना। ओ. ऐसा कोई विवरण जिससे आयोग को अपील/शिकायत के निस्‍तारण
में मदद मिले।
2- दर्ज की जाने वाली शिकायत के साथ आवश्‍यक रूप से नत्‍थी किए जाने वाले
अभिलेख/सूचनाएं उसी तरह से दी जाएंगी जैसी कि अपील के मामले में दी जानी
होती हैं।

9. अपील/शिकायत के साथ नत्‍थी किये जाने वाले अभिलेख:
आयोग के समक्ष की जानी वाली प्रत्‍येक अपील/शिकायत के साथ निम्‍नलिखित
अभिलेख/दस्‍तावेज स्‍वप्रमाणित करके भेजा जाना अनिवार्य होगा:- अ. जन
सूचना अधिकारी के समक्ष दी गयी सूचना संबंधी आवेदन और उसके साथ
जमा किये गये शुल्‍क का प्रमाण। आ. यदि उक्‍त जन सूचना अधिकारी द्वारा
उक्‍त आवेदन पर कोई आदेश/निर्णय दिया
गया है तो उसकी प्रतिलिपि।
इ. प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष दायर की गयी अपील की प्रति एवं
उसे दायर किये जाने का प्रमाण।
ई. प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा यदि संबंधित अपील पर कोई निर्णय या
आदेश जारी किये गये हैं तो उसकी प्रतिलिपि।
उ. वे दस्‍तावेज/अभिलेख जिसके आधार पर अपील/शिकायत की जा रही है।
ऊ. अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता का यह प्रमाणपत्र कि जिस विषय पर वह अपील या
शिकायत कर रहा है उसके बारे में उसने पहले कोई अपील या शिकायत आयोग में
नहीं की है और न ही उसके संबंध में किसी न्‍यायालय अथवा किसी न्‍यायाधिरण
के समक्ष कोई मामला दायर है या उनके समक्ष विचाराधीन है।
ए. अपील/शिकायत के साथ नत्‍थी किये जा रहे अभिलेखों की सूची।
ऐ. अपील/शिकायत पर हुई कार्यवाही/सुनवाई आदि का तिथिवार विवरण
जो सभी अभिलेखों के ऊपर नत्‍थी किया जाये।

10. अपील/शिकायत की प्रतियों का दिया जाना
आयोग के समक्ष कोई भी अपील या शिकायत दर्ज कराने के पूर्व परंतु यदि जो
शिकायतकर्ता धारा 18 के अंतर्गत शिकायत करता है और उसे संबंधित जनसूचना
अधिकारी अथवा प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम या पता यदि ज्ञात नहीं है तो
अपनी शिकायत लोक प्राधिकारी के अथवा उसके प्रमुख के कार्यालय में देगा और
उक्‍त कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज करने का प्रमाण आयोग के समक्ष देगा।

11¬. अपील/शिकायत का प्रस्‍तुतीकरण और उसकी दस्‍तावेजी जॉच:
1- आयोग का रजिस्‍ट्रार या उसकी तरफ से अधिकृत कर्मी अपील/शिकायत
प्राप्‍त करेगा और यह देखेगा कि:-
(अ) क्‍या अपील/शिकायत निर्धारित प्रारूप के अनुसार की गयी है और
(आ) सभी विवरण/दस्‍तावेज अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता द्वारा स्‍वप्रमाणित
किये गये हैं और कि
(इ) अपील/शिकायत इस नियमावली के विभिन्‍न नियमों के तहत दायर की गयी है।
2- रजिस्‍ट्रार यह भी सुनिश्चित करेगा कि अपील/शिकायत के साथ निम्‍नलिखित
दस्‍तावेज व उनकी प्रतिलिपियां निर्धारित विधि से संलग्‍न की गयी हैं:-
(अ) सूचना संबंधित आवेदन
(आ) सूचना संबंधित आवेदन जमा किये जाने की रसीद (इ) जमा की गयी फीस,
अतिरिक्‍त शुल्‍क के भुगतान का प्रमाण (यदि कोई हो)
(ई) संबंधित जन सूचना अधिकारी द्वारा दिये गये आदेश/निर्णय/उत्‍तर की
प्रतिलिपि (यदि कोई हो)
(उ) प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष की गयी अपील और प्रथम अपीलीय अधिकारी
द्वारा जारी किये गये आदेश/निर्णय (यदि कोई हो)
3- रजिस्‍ट्रार या अधिकृत कर्मी प्रत्‍येक अपील/शिकायत की जांच पड़ताल
करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि,
(अ) अपील/शिकायत बाकायदा प्रमाणित हो और उसकी प्रति वांछित
संख्‍या में जमा की गयी है।
(आ) जमा किये गये सभी दस्‍तावेज पृष्‍ठांकित किये गये हैं और वे
अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता द्वारा प्रमाणित हैं।
(इ) जो दस्‍तावेज जमा किये जा रहे हैं वे स्‍पष्‍ट रूप से लिखे गये हैं और
पठनीय हैं।
4- रजिस्‍ट्रार या अधिकृत कर्मी ऐसी किसी अपील/शिकायत को वापस लौटा देगा
जो उपरोक्‍त विधि/प्रारूप के तहत प्रस्‍तुत नहीं की गयी है। वह उक्‍त
अपील/शिकायत को दोबारा निर्धारित प्रारूप पर दर्ज किये जाने की अनुमति दे
सकेगा।
5- रजिस्‍ट्रार को यह अधिकार होगा कि वह किसी अपील/शिकायत को खारिज कर दे यदि,
(अ) वह कालातीत है या (आ) वह किन्‍ही कारणवश पोषणीय नहीं है। या (इ) वह
इस नियमावली में निर्धारित नियमों के अंतर्गत नहीं आती है परन्‍तु शर्त
यह होगी कि कोई भी अपील/शिकायत रजिस्‍ट्री द्वारा तब तक खारिज नहीं की
जायेगी जब तक अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता को उसके बारे में अपनी बात कहने का
मौका नहीं दिया जाता। अपील/शिकायत की पोषणीयता के संबंध में रजिस्‍ट्र।र
का जो निर्णय होगा, अंतिम माना जायेगा।
6- वे सारी अपीलें/शिकायतें जो अस्‍वीकार या वापस नहीं की जाती हैं और जो
नियमत: पायी जाती है उन्‍हें विधिवत् पंजीकृत किया जायेगा और प्रत्‍येक
को एक विशिष्‍ट नंबर दिया जायेगा।
7- रजिस्‍ट्रार या आयोग द्वारा अधिकृत कोई अन्‍य अधिकारी प्रत्‍येक
अपील/शिकायत पर उस तारीख का अंकन करेगा जिस तारीख को वह प्रस्‍तुत की गई
होगी।
8- सभी अपीलों/शिकायतों का अलग-अलग नंबर होगा ताकि उन्‍हें आसानी से
चिन्हित किया जा सके।
9- यदि किसी अपील/शिकायत में कोई खामी या कमी पायी जाती है जो तकनीकी हो
तो रजिस्‍ट्रार संबंधित अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता से अपनी उपस्थिति में ही
खामी/कमी को दुरुस्‍त करा सकता है अथवा उसे दो सप्‍ताह का समय इसके लिए
दिया जा सकता है। यदि ऐसी कमी/खामी वाली अपील/शिकायत डाक से प्राप्‍त हो
तो रजिस्‍ट्रार द्वारा अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता को इसे दुरुस्‍त करने के
लिए लिखेगा और इसके लिए तीन सप्‍ताह का समय उसे देगा।
10- यदि अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता उक्‍त खामी/कमी को दी गयी समयावधि में
दुरुस्‍त नहीं करता है तो उक्‍त अपील/शिकायत वापस ली हुई मानी जायेगी।
11- यदि अपील/शिकायत जो अन्‍यथा त्रुटिपूर्ण होगी या निर्धारित प्रारूप
के अनुकूल नहीं होगी तो उसे खारिज कर दिया जायेगा। परंतु यदि रजिस्‍ट्रार
चाहे तो अपने विवेकानुसार शिकायतकर्ता/अपीलकर्ता को उचित या निर्धारित
प्रारूप पर नये आवेदन देने की अनुमति दे सकता है।
12- किसी अपील/शिकायत को उस सूरत में कभी भी खारिज किया जा सकेगा जब इस
बात की पुष्टि हो जाय कि उसके साथ नत्‍थी कोई भी अभिलेख या दस्‍तावेज या
कोई भी अन्‍य सम्‍बंधित सामग्री सत्‍य से परे है, भ्रामक है, अर्धसत्‍य
है, उसमें तथ्‍यों को छिपाने की कोशिश की गई है।

12. जनसूचना अधिकारी/प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा प्रतिउत्‍तर दाखिल किया
जाना: अपील/शिकायत की प्राप्ति के बाद जनसूचना अधिकारी/प्रथम अपीलीय
अधिकारी अपना प्रतिउत्‍तर (यदि कोई हो) सम्‍बंधित दस्‍तावेजों के सहित
दाखिल करेगा और इसकी प्रतिलिपि अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता को उसके या उसके
लोक प्राधिकारी द्वारा भेजी जायेगी। आयोग में सुनवाई के समय सामान्‍य तौर
पर जन सूचना अधिकारी अथवा प्रथम अपील अधिकारी (जैसा कि मामला हो) ही अपना
पक्ष रखेंगे। यदि किसी कारणवश वे आयोग के समक्ष उ‍पस्थित न हो पा रहे हों
तो अपने समकक्ष या वरीयता क्रम में अपने से एक क्रम नीचे के अधिकारी को
पूरे विवरण के साथ आयोग में भेज सकते हैं लेकिन उनके लिए इस सम्‍बंध में
यह स्‍पष्‍टीकरण देना अनिवार्य होगा कि वे आयोग के समक्ष क्‍यों नहीं
उपस्थित हो पा रहे हैं।

13. सूचना आयुक्‍त के समक्ष अपील/शिकायत का प्रस्‍तुतीकरण:
1- कोई भी अपील/शिकायत या विभिन्‍न अपीलें या शिकायतें जो एक निर्धारित
श्रेणी की हों, उन्‍हें एक राज्‍य सूचना आयुक्‍त, दो राज्‍य सूचना
आयुक्‍त की खण्‍डपीठ अथवा तीन या अधिक आयुक्‍तों की पूर्ण खण्‍डपीठ
द्वारा सुना जायेगा और यह मुख्‍य सूचना आयुक्‍त के विशिष्‍ट या सामान्‍य
आदेश के तहत होगा जो वे इस आशय के लिए समय-समय पर जारी करेंगे।
2- यदि किसी अपील/शिकायत की सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्‍त की एकल पीठ यह
समझती है कि प्रश्‍नगत मामले से ही सम्‍बंधित कोई वाद किसी अन्‍य आयुक्‍त
द्वारा सुना जा रहा है या उनके निर्णयाधीन है तो वह इसे सम्‍बंधित
आयुक्‍त को संदर्भित करने के लिए मुख्‍य सूचना आयुक्‍त को भेज सकेगी। उकल
पीठ यदि समझती है कि प्रश्‍नगत वाद को किसी खण्‍डपीठ या पूर्ण खण्‍डपीठ
द्वारा सुना जाना चाहिए तो वह इस मामले को मुख्‍य सूचना आयुक्‍त को
संदर्भित करेगी। तत्‍पश्‍चात ऐसी पीठ का गठन मुख्‍य राज्‍य सूचना आयुक्‍त
द्वारा मामले की सुनवाई और निस्‍तारण के लिए किया जायेगा।
3- इसी तरह यदि किसी मामले की सुनवाई के समय खण्‍डपीठ यह समझती है कि
मामले को पूर्ण खण्‍डपीठ द्वारा सुना जाना चाहिए या फिर पूर्ण पीठ के समझ
सुनवाई के दौरान वह इस निष्‍कर्ष पर पहुंचती है कि इसे और बड़ी पीठ
द्वारा सुना जाना चाहिए तो वह मामले को मुख्‍य सूचना आयुक्‍त को संदर्भित
करेंगे और तत्‍पश्‍चात वे मामले की सुनवाई और उसके निस्‍तारण के लिए पीठ
का गठन करेंगे।

14. अपील/शिकायत में संशोधन व उसका वापस लिया जाना:
आयोग अपने विवेकानुसार किसी भी अपील या शिकायत में संशोधन किये जाने या
उसे वापस लिये जाने का अनुरोध यदि वह लिखित रूप में किया गया हो तो उसे
अपने विवेकानुसार स्‍वीकार कर सकता है। परंतु कोई अनुरोध या प्रार्थना तब
स्‍वीकार नहीं की जायेगी जब संबंधित मामले में अंतिम सुनवाई हो चुकी हो
या कोई आदेश या निर्णय जारी कर दिया गया हो।

15. अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता की व्‍यक्तिगत उपस्थिति:
1- अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता को सुनवाई की तारीख के बारे में कम से कम सात
दिन पूर्व सूचना दी जानी चाहिए।
2- अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता अपने विवेकानुसार सुनवाई के दौरान स्‍वयं
उपस्थित हो सकता है अथवा अपने किसी अधिकृत प्रतिनिधि को उपस्थित कर सकता
है अथवा वह अनुपस्थित भी रह सकता है। अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता यदि आयोग में
सुनवाई के समय अनुपस्थित रहने का विकल्‍प चुनता है तो उसे अपनी यह मंशा
अपनी मूल शिकायत/अपील में लिखित रूप में जाहिर कर देनी चाहिए।
3- यदि आयोग इस नतीजे पर पहुंचता है कि ऐसी प‍रिस्थितियां हैं, जिन में
अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता को आयोग के समक्ष सुनवाई से दूर रखा जा रहा है तो
अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता को मामले में अंतिम निर्णय से पूर्व सुनवाई का एक
और अवसर दे सकते हैं अथवा इस मामले में ऐसी कोई कार्यवाही कर सकता है
जिसे वह उचित समझे।
4- अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता आयोग में अपने पक्ष के प्रस्‍तुतीकरण के समय
किसी भी व्‍यक्ति की सहायता ले सकता है और यह व्‍यक्ति अधिवक्‍ता के
अलावा भी कोई हो सकता है।
5- यदि अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता बिना किसी पूर्व सूचना के आयोग में सुनवाई
के समय अनुपस्थित रहता है तो आयोग प्रस्‍तुत वाद में एकपक्षीय निर्णय
देने से पूर्व उसे अपना पक्ष प्रस्‍तुत करने का एक और अवसर दे सकता है।
लेकिन दूसरी सुनवाई के समय भी अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता बिना किसी सूचना के
अनुपस्थित रहता है तो आयोग गुणदोष के आधार पर वाद पर अपना निर्णय देगा।
6- यदि वाद की दो लगातार सुनवाई के समय दोनों ही पक्ष बिना किसी सूचना के
अनुपस्थित रहते हैं तो आयोग या तो इस आदेश के साथ कि दोनों ही पक्षों की
दिलचस्‍पी प्रस्‍तुत वाद में नहीं रह गई है, उसे खारिज कर सकेगा या फिर
वह प्रतिवादी की अनिवार्य उपस्थिति के लिए सम्‍बंधित जन सूचना अधिकारी
या लोक प्राधिकारी के किसी अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी को आवश्‍यक आदेश जारी
कर सकेगा और वाद के अंतिम निस्‍तारण के लिए एक और तारीख मुकर्रर कर
सकेगा।
7- विचाराधीन वाद में जब दोनों ही पक्ष उपस्थित हों और आयोग यदि मामले को
किसी अन्‍य तिथि को सुने जाने का निश्‍चय करे तो सुनवाई की अगली तिथि का
निर्धारण आयोग के उस दिन दिए गए आदेश का हिस्‍सा होगा और इसकी जानकारी
देने के लिए किसी भी पक्ष को अलग से कोई नोटिस जारी नहीं की जाएगी।

16. सुनवाई की तिथि को घोषित किया जाना: आयोग द्वारा किसी भी
अपील/शिकायत की सुनवाई की तारीख और स्‍थान की सूचना संबंधित पक्ष को इस
तरह से देगा जैसा कि मुख्‍य राज्‍य सूचना आयुक्‍त अपने सामान्‍य या
विशिष्‍ट आदेश द्वारा निर्देशित करेंगे।

17. सुनवाई का स्‍थगन: कोई भी अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता अथवा कोई भी अन्‍य
पक्ष विधि सम्‍मत और उपयुक्‍त कारणों से सुनवाई को स्‍थगित किये जाने के
संबंध में आवेदन दे सकेगा जिस पर आयोग जैसा उचित समझे आदेश पारित कर
सकेगा।

18. आयोग के समक्ष साक्ष्‍य:
अपील/शिकायत पर निर्णय देते समय आयोग:- 1- शपथ या शपथपत्र पर
मौखिक या लिखित साक्ष्‍य संबंधित व्‍यक्ति या
व्‍यक्तियों से ले सकेगा। 2- संबंधित अभिलेख अथवा उसकी
प्रतिलिपियों का निरीक्षण व जांच पड़ताल
कर सकेगा।
3- अधिकृत अधिकारी के माध्‍यम से मामले के विभिन्‍न विवरणों/तथ्‍यों के
बारे में जांच पड़ताल कर सकेगा। 4- किसी भी जनसूचना अधिकारी, सहायक
जनसूचना अधिकारी, अथवा उस
विशिष्‍ट अधिकारी को, जिसने प्रथम अपील का निस्‍तारण किया हो अथवा
ऐसे व्‍यक्ति या व्‍यक्तियों जिनके खिलाफ शिकायत की गयी हो उनको
व्‍यक्तिगत रूप से सुन सकेगा, एक्‍जामिन कर सकेगा अथवा उनसे
शपथ पत्र पर साक्ष्‍य प्राप्‍त किए जा सकेंगे।
5- ऐसे तृतीय पक्ष को अथवा हस्‍तक्षेप करने वाले को अथवा किसी अन्‍य
व्‍यक्ति या व्‍यक्तियों को, जिनका संबंधित मामले में साक्ष्‍य आवश्‍यक या
प्रसांगिक हो, उन्‍हें व्‍यक्तिगत रूप से सुन सकेगा, उन्‍हें एक्‍जामिन कर
सकेगा अथवा शपथपत्र पर उनसे साक्ष्‍य प्राप्‍त किया जा सकेगा।


19. सम्‍मन जारी करना:
आयोग के समक्ष विभिन्‍न पक्षों अथवा गवाहों की उपस्थिति अथवा
अभिलेख/दस्‍तावेज अथवा अन्‍य चीजों को प्रस्‍तुत किये जाने के बारे में
रजिस्‍ट्रार द्वारा आयोग की ओर से समन जारी किया जायेगा और यह कार्य आयोग
द्वारा निर्धारित विधि से किया जायेगा।
20. जांच के आदेश: किसी भी अपील/शिकायत जो आयोग के समक्ष विचाराधीन है
उसके संबंध में आयोग किसी जांच का आदेश रजिस्‍ट्रार या अन्‍य अधिकारी को
दे सकता है। रजिस्‍ट्रार या ऐसा कोई अधिकारी जिसे जांच का काम सौंपा
जाये, उसे सभी आवश्‍यक अधिकार प्राप्‍त होंगे जिसमें निम्‍नलिखित अधिकार
शामिल हैं:-
1- विभिन्‍न व्‍यक्तियों को समन जारी करने और उन्‍हें उपस्थिति के लिए बाध्‍य
करना
2- दस्‍तावेज अथवा अन्‍य वस्‍तुओं को आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत करने के लिए
बाध्‍य करना
3- शपथ दिलाना/मौखिक साक्ष्‍य लेना अथवा शपथ पत्र या लिखित साक्ष्‍य
प्राप्‍त करना।
4- दस्‍तावेजों का परीक्षण करना और दस्‍तावेजों के प्रस्‍तुतीकरण के लिए
आदेश देना तथा
5- किसी भी लोक प्राधिकारी से कोई भी सार्वजनिक अभिलेख अथवा दस्‍तावेज
मांगना।
21. आयोग द्वारा हर्जाने का आदेश दिया जाना: आयोग मामले के तथ्‍यों और
परिस्थिति के ध्‍यान में रखते हुए विभिन्‍न
पक्षों को ऐसे हर्जाने के भुगतान का आदेश दे सकता है जिसे वह उचित समझे।
22. आदेश या निर्णयों को जारी किया जाना:
1- आयोग के प्रत्‍येक निर्णय/आदेश पर उस आयुक्‍त एवं आयुक्‍तों द्वारा
हस्‍ताक्षर किया जायेगा और उसे दिनांकित किया जाएगा जिसने उससे सम्‍बंधित
अपील/शिकायत को सुना हो और उस पर निर्णय दिया हो। प्रत्‍येक आदेश/निर्णय
को रजिस्‍टार द्वारा प्रमाणित किया जाएगा।
2- आयोग का प्रत्‍येक निर्णय/आदेश वाद की सुनवाई के समय सुनाया जायेगा और
उसे लिख्रित रूप में रजिस्‍ट्ार या किसी अन्‍य अधिक़ृत अधिकारी द्वारा
प्रमाणित किया जाएगा।
3- कोई भी निर्णय/आदेश चाहे वह एक सूचना आयुक्‍त या खण्‍डपीठ या
तीन से अधिक सूचना आयुक्‍तों की पूर्ण पीठ द्वारा सुनाया जायेगा, उसे
आयोग द्वारा इस अधिनियम के तहत जारी किया गया निर्णय/आदेश
माना जायेगा।
4- आयोग के निर्णय/आदेश की नकल उक्‍त निर्णय या आदेश के पारित
होने के चार कार्य दिवस बाद आयोग के कार्यालय से स्‍वत: अथवा
अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्‍यम से अथवा खुद का पता अंकित
टिकट लगा 10 गुणा 4 का खाली लिफाफा आयोग के कार्यालय में जमा
करके डाक से प्राप्‍त किया जा सकेगा।

23. अंतिम निर्णय:
1- आयोग द्वारा सुनाया गया निर्णय/आदेश अंतिम होगा। 2- हालांकि कोई भी
अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता अथवा परिवादी मुख्‍य सूचना आयुक्‍त को आवेदन देकर
उक्‍त निर्णय/आदेश पर पुनर्विचार के लिए
पुनर्विचार याचिका (स्‍पेशल लीव पिटीशन) दायर कर सकेगा और इसमें वह उन
कारणों का उल्‍लेख करेगा जिन पर उसकी प्रार्थना आधारित है।
3- मुख्‍य सूचना आयुक्‍त ऐसे किसी प्रार्थना के मिलने के बाद उस पर
उचित आदेश जारी करेंगे और उचित समझेंगे तो उसे पुनर्विचार के लिए
सम्‍बंधित आयुक्‍त/आयुक्‍तों या उनकी सम्‍बंधित पीठ, जिसने वह आदेश दिया
हो, को पुनर्विचार के लिए संदर्भित कर सकेंगे।

24. अपील/शिकायत की समाप्ति: किसी अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता की आयोग के
समक्ष विचाराधीन कार्यवाही उसके निधन के बाद समाप्‍त मानी जायेगी।


अध्‍याय-5 विविध:
25. मोहर एवं प्रतीक चिन्‍ह: आयोग की अधिकृत मोहर एवं प्रतीक चिन्‍ह ऐसा
होगा जैसा कि आयोग स्‍वयं तैयार करे।

26. आयोग की भाषा: 1- कोई भी अपील/शिकायत आयोग के समक्ष दस्‍तावेजों एवं
प्रतिलिपियों के साथ हिन्‍दी या अंग्रेजी में दायर की जा सकेगी।
जो भी दस्‍तावेज संलग्‍न
किया जायेगा वह अंग्रेजी या हिन्‍दी जिस भाषा में भी होगा उसमें ही उसे
नत्‍थी करके भेजा जाये। यह उपबंध, प्रतिउत्‍तर, उत्‍तर अथवा आयोग के
समक्ष प्रस्‍तुत किये जाने वाले किसी भी अभिलेख/दस्‍तावेज पर लागू होगा।
2- आयोग की कार्यवाही हिन्‍दी भाषा में सम्‍पादित की जायेगी।
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please help save rti .

best regards

urvashi sharma
9235169855
9369613513

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